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कानपुर हादसा: एक-एक कर खुल रही ISI की साजिश, जानिए कहां बना था बम

कानपुर रेल हादसे के आतंकी कनेक्‍शन की जांच में जुटी एनआइए ने कई खुलासे किए हैं। गिरफ्तार आतंकियों ने कांड से संबंधित कई नई बातें बताई हैं।

By Amit AlokEdited By: Published: Wed, 22 Feb 2017 11:32 AM (IST)Updated: Wed, 22 Feb 2017 10:34 PM (IST)
कानपुर हादसा: एक-एक कर खुल रही ISI की साजिश, जानिए कहां बना था बम
कानपुर हादसा: एक-एक कर खुल रही ISI की साजिश, जानिए कहां बना था बम

पूर्वी चंपारण [संजय कुमार उपाध्याय]। घोड़ासहन ट्रैक कांड व कानपुर रेल हादसे की जांच में जुटी एनआइए की टीम को अहम सुराग हाथ लगे हैं। जांच अधिकारियों को इस बात के प्रमाण मिले हैं कि जिस आइईडी का प्रयोग घोड़ासहन में किया गया, उसका निर्माण आइएसआइ कारिंदा उमाशंकर पटेल उर्फ राजू ने एक म्यूजिक कंपनी के दफ्तर में किया था। इस काम में रंजय साह ने उसका साथ दिया। एनआइए की ओर से खुलासा किया गया दोनों बदमाशों ने विस्फोटक निर्माण की बात स्वीकार ली है।
पौधे का लिया था सहारा
राजू व रंजय में काफी पहले से बेहतर संबंध थे। इस बीच विस्फोट की साजिश हुई तो उमाशंकर ने ही रंजय को साथ लिया। इसके बाद 1 अक्टूबर 2016 को घोड़ासहन में आइईडी प्लांट किया। दोनों एक साथ ट्रैक पर गए और आइईडी लगाने के लिए एक पौधे का सहारा लिया था।

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'दंगल म्यूजिक' के दफ्तर में बना बम
आइएसआइ के इशारे पर काम कर रहे लोगों ने 'दंगल म्यूजिक' के दफ्तर को अपना केंद्र बनाया था। वहां सभी जमा होते थे। आइईडी भी इसी दफ्तर में तैयार की गई। जांच प्रभावित न हो, इस कारण से अभी इस म्यूजिक कंपनी के पते का खुलासा नहीं किया गया है। फिलहाल टीम उमाशंकर और रंजय के साथ सभी संबंधित लोगों व ठिकानों की खोज कर रही है।
गृह मंत्रालय ने की त्वरित कार्रवाई मंत्रालय को जैसे ही बिहार पुलिस की रिपोर्ट मिली, 24 जनवरी 2017 को एनआइए को खास निर्देश दिए गए। इसके मद्देनजर दिल्ली स्थित एनआइए थाने में 25 जनवरी, 2017 को मामला (आरसी 02/2017) दर्ज हुआ। इसके बाद से लगातार कार्रवाई जारी है। इस पर गृह मंत्रालय की नजर है।

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ये थी बिहार पुलिस की रिपोर्ट
पुलिस की ओर से बताया गया था कि आदापुर थाने में 14 जनवरी, 2017 को दर्ज हत्याकांड (7/2017) की कार्रवाई में तीन लोग क्रमश: मोतीलाल पासवान, मुकेश यादव व उमाशंकर पटेल को गिरफ्तार किया गया। तीनों ने कानपुर रेल हादसे व घोड़ासहन कांड में संलिप्तता स्वीकारी। इसके अलावा गिरोह के अन्य लोगों के नामों का खुलासा किया। इस रिपोर्ट के बाद एनआइए की टीम सक्रिय हो गई।

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