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Valmiki Tiger Reserve: वीटीआर पर बनेगी दस वर्षीय कार्ययोजना, 22 अप्रैल को पटना में होगी बैठक

Valmiki Tiger Reserve News पटना में 22 अप्रैल को होने वाली वाल्मीकि टाइगर फाउंडेशन के शासी निकाय की बैठक में होगी चर्चा। दस वर्षीय योजना के निर्माण के लिए बाह्य परामर्शी की ली जाएगी मदद। वीटीआर से सटे गांवों का बनाया जाना है माईक्रो प्लान।

By Murari KumarEdited By: Published: Wed, 14 Apr 2021 05:20 PM (IST)Updated: Wed, 14 Apr 2021 05:20 PM (IST)
Valmiki Tiger Reserve: वीटीआर पर बनेगी दस वर्षीय कार्ययोजना, 22 अप्रैल को पटना में होगी बैठक
पश्चिम चंपारण। वीटीआर पर बनेगी दस वर्षीय कार्ययोजना।

बेतिया (पचं), जागरण संवददाता। वीटीआर में बाघों की सुरक्षा एवं इसके बाहर के इलाके(फ्रींज एरिया) में लोगों के रहन-सहन एवं उनकी वनों पर निर्भरता एवं रोजगार सृजन को लेकर दस वर्षीय कार्ययेाजना तैयार की जानी है। इसमें किसी बाह्य परामर्शी को लगया जाना है। इसको लेकर 22 अप्रैल को पटना में वाल्मीकि टाइगर फाउंडेशन के शासी निकाय की बैठक आयोजित की जानी है। बैठक की अध्यक्षता सूबे के वन एवं पर्यावरण मंत्री करेंगे। इसकी जानकारी देते हुए क्षेत्र निदेशक एचके राय ने बताया कि इस बैठक में इस वर्षीय कार्ययोजना तय करने के लिए सभी बिन्दुओं पर चर्चा होगी। विशेष रूप से वाल्मीकि आरक्ष्य क्षेत्र में ईको टूरिज्म के विकास उससे निकटस्थ ग्रामीणों को जोड़ने के लिए बाह्य परामर्शी को रखकर 10 वर्षीय योजना का प्रारूप तैयार किए जाने पर भी विचार विमर्श किया जाएगा। इसमें बाघों की सुरक्षा एवं उसके अधिवास प्रबंधन के साथ-साथ, शाकाहारी जानवारों की संख्या बढ़ाने पर भी चर्चा संभावित है।  

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वीटीआर से सटे गांवों का बनाया जाना है माईक्रो प्लान 

इस योजना के तहत इस बात पर मुख्य रूप से ध्यान दिया जाना है कि वीटीआर के पास के ग्रामीणों की कितनी निर्भरता है। जानकारों का मानना है कि बाघों की सुरक्षा एवं उसके बेहतर सेहत के लिए बाहरी हस्तक्षेप कम से कम होना जरूरी है। बाघों के लिए निर्धारित टेरीटरी होती है, उसमें किसी तरह का व्यवधान होना बाघों पर प्रतिकूल असर डालता है। इसे देखते हुए वीटीआर प्रशासन ने यहां से सटे गांवों का माइक्रो प्लान भी बनाया जा सकता है। माइक्रो प्लान में इस बात का उल्लेख किया जाएगा कि इन गांवों की जीवन शैली कैसी है? यहां के लोगों के जीवन यापन के मुख्य स्रोत क्या है? वनों पर उनकी कितनी निर्भरता है? वनों पर उनकी निर्भरता कम करने के लिए क्या उपाए किए जाएं? उन्हें रोजगार दिलाने के लिए किस तरह की व्यवस्था शुरू की जाए?  यहां के युवा युवतियों को स्वरोजगार के लिए किस तरह की प्रशिक्षण की आवश्यकता है आदि बातो पर ध्यान दिया जाएगा।


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