LNMU के पूर्व कुलपति की बढ़ी मुश्किलें, उनके खिलाफ जांच करने तीन जुलाई को आएगी राजभवन की टीम
लनामिवि के छह सिंडिकेट सदस्यों ने 28 फरवरी को राज्यपाल को सौंपा था स्मारपत्र। तीन सदस्यीय जांच कमेटी में राजभवन के एक संयुक्त सचिव व दो विशेष कार्य पदाधिकारी शामिल।
दरभंगा, जेएनएन। ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति प्रो. सुरेंद्र कुमार सिंह का कार्यकाल भले समाप्त हो चुका हो, लेकिन उनकी मुश्किल अभी भी कायम हैं। उनके विरूद्ध विश्वविद्यालय के छह सिंडिकेट सदस्यों के लगाए गए आरोपों की राजभवन जांच कराने जा रहा है। इसके लिए राजभवन तीन सदस्यीय जांच कमेटी का गठन कर चुका है। अब यह जांच कमेटी तीन जुलाई को विश्वविद्यालय आ रही है और सभी शिकायतकर्ताओं का पक्ष जानकर पूरे मामले की जांच करेगी। इसकी सूचना जांच कमेटी के अध्यक्ष सह राजभवन के संयुक्त सचिव राज कुमार सिंहा ने विश्वविद्यालय को दे दी है।
कुलसचिव को निर्देशित किया गया है कि सभी शिकायतकर्ताओं को इस सूचना का तामिला कराकर तामिला प्रतिवेदन अविलंब राजभवन सचिवालय को भेजें। साथ ही कहा गया है कि शिकायतकर्ताओं के आवेदन में वर्णित आरोपों की जांच के लिए संबंधित पदाधिकारी व कर्मचारी को वांछित अभिलेखों के साथ जांच के दौरान उपस्थित रहने का निर्देश दिया जाए। बता दें कि पूर्व कुलपति प्रो. सिंह के खिलाफ राजभवन में शिकायत करने वालों में सभी विश्वविद्यालय के सिंडिकेट सदस्य हैं। इनमें नगर विधायक संजय सरावगी, डॉ. हरि नारायण सिंह, डॉ. बैद्यनाथ चौधरी बैजू, मीना झा, डॉ. धनेश्वर प्रसाद सिंह व सुजीत पासवान शामिल हैं।
इन सिंडिकेट सदस्यों ने 28 फरवरी को राजभवन जाकर कुलाधिपति सह राज्यपाल को संयुक्त रूप से कुलपति की कार्यशैली के खिलाफ स्मार पत्र सौंपा था। उसी दिन कुलाधिपति ने सिंडिकेट सदस्यों को जांच का भरोसा दिया था। इसके बाद अपर सचिव राम अनुग्रह नारायण सिंह की अध्यक्षता में गठित तीन सदस्यीय कमेटी को जांच का जिम्मा सौंपा गया था। यह कमेटी 18 मार्च को विश्वविद्यालय आने वाली थी, लेकिन कोविड-19 महामारी के कारण जांच कमेटी उस दिन विश्वविद्यालय नहीं पहुंच सकी और जांच अधर में लटक गया।
इस बीच 22 मार्च को पूर्व कुलपति प्रो. सिंह का कार्यकाल समाप्त हो गया और वे अपने मूल स्थान बनारस हिंदू विश्वविद्यालय के लिए प्रस्थान कर गए। अब राजभवन ने संयुक्त सचिव राज कुमार सिंहा की अध्यक्षता में एक नई तीन सदस्यीय कमेटी का गठन इस मामले की जांच के लिए किया है जो तीन जुलाई को विश्वविद्यालय आने वाली है। इस कमेटी में शामिल दो अन्य सदस्यों में राजभवन सचिवालय के विशेष कार्य पदाधिकारी संजय कुमार व महावीर प्रसाद शर्मा शामिल हैं। पूर्व कुलपति के खिलाफ वित्तीय अनियमितता, भ्रष्टाचार, अवैध नियुक्ति आदि से संबंधित आरोप लगे हैं।