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अब बिना प्रैक्टिकल के अंक दिए तो फसेंगे गुरुजी, ऐसे पकड़ में आएगा मामला... Muzaffarpur News

सीबीएसई ने 2020 में होने वाली प्रायोगिक परीक्षाओं के लिए तैयार किए सख्त नियम। वीडियोग्राफी से पकड़ में आएगा मामला।

By Ajit KumarEdited By: Published: Wed, 30 Oct 2019 01:17 PM (IST)Updated: Wed, 30 Oct 2019 01:17 PM (IST)
अब बिना प्रैक्टिकल के अंक दिए तो फसेंगे गुरुजी, ऐसे पकड़ में आएगा मामला... Muzaffarpur News
अब बिना प्रैक्टिकल के अंक दिए तो फसेंगे गुरुजी, ऐसे पकड़ में आएगा मामला... Muzaffarpur News

मुजफ्फरपुर, जेएनएन। अब बिना प्रैक्टिकल के अंक पाने वाले छात्र और अंक देने वाले गुरुजी दोनों की मुश्किलें बढ़ गईं हैं। केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (सीबीएसई) को लगातार इसकी शिकायतें मिल रही थी कि बिना प्रैक्टिकल के ही शिक्षक माक्र्स दे देते हैं। इसको देखते हुए सीबीएसई ने 2020 में होने वाली प्रायोगिक परीक्षाओं के लिए सख्त नियम तैयार किए हैं। अब ऐसे विद्यार्थियों पर बोर्ड की पैनी नजर रहेगी। जो फ्लाइंग स्टूडेंट हैं या फिर दूसरे शहरों में रहकर अन्य परीक्षाओं की तैयारी कर रहे हैं।

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 बोर्ड प्रैक्टिकल एग्जाम की वीडियोग्राफी कराने की भी तैयारी कर रहा है। देश भर में सीबीएसई से संबद्ध ऐसे बहुत स्कूल हैं, जिनके पास प्रयोगशाला नहीं हैं। ऐसे स्कूलों में पढऩे वाले छात्रों को परेशानी होगी। स्कूलों को बताना होगा कि विद्यार्थी ने कहां प्रायोगिक परीक्षा दी है। अब तक कई स्कूल बिना प्रायोगिक परीक्षा लिए ही मौखिक आधार पर नंबर बैठा देते थे, लेकिन अब ऐसा नहीं होगा।  

कई ऐसे मामले पकड़े गए 

फर्जीवाड़ा रोकने के लिए सीबीएसई की परीक्षा में एडमिट कार्ड ले जाना अनिवार्य है। लैब में क्लास अटेंड नहीं करने वाले विद्यार्थियों को प्रैक्टिकल में परेशानी होगी। प्रैक्टिकल में शत प्रतिशत या फिर 90 फीसद अंक पा गए थ्योरी में 10 प्रतिशत भी नहीं आए, वैसे छात्रों की कड़ी निगरानी होगी। स्कूल संचालक अगर इस तरह का फर्जीवाड़ा कर नंबर देंगे तो पकड़े जाएंगे। प्रायोगिक परीक्षा नहीं देने पर विद्यार्थी को परिणाम में अनुपस्थिति कर दिया जाएगा।

फ्लाइंग छात्रों की बढ़ीं मुश्किलें

फ्लाइंग छात्र वे होते हैं जो गैर मान्यता प्राप्त स्कूल में पढ़ते हैं। ऐसे  छात्रों को काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ सकता है। जब एडमिट कार्ड मिलेगा तब ही उनको स्कूल के संबंध में पता चलेगा। ऐसे में उस स्कूल का ड्रेस भी नहीं मिल पाएगा। वहीं मान्यता प्राप्त स्कूलों में पढ़ रहे बच्चों को कोई परेशानी नहीं होगी। उनके पास उस स्कूल के यूनिफॉर्म पहले से होंगे।


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