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मिस्त्री न लेबर, अपने हाथों बना डाला छह कमरों का आशियाना

मधुबनी जिले अंतर्गत रहिका के सुभाषचंद्र ने खुद बनाया नक्शा। मिस्त्री और लेबर का खर्च तकरीबन दो लाख रुपये बचाए। 40 हजार रुपये आवास योजना से मिले थे।

By Ajit KumarEdited By: Published: Tue, 21 May 2019 01:35 PM (IST)Updated: Tue, 21 May 2019 01:35 PM (IST)
मिस्त्री न लेबर, अपने हाथों बना डाला छह कमरों का आशियाना
मिस्त्री न लेबर, अपने हाथों बना डाला छह कमरों का आशियाना

मधुबनी, [विनय पंकज]। मकान बनाना न तो कहीं से सीखा और न ही किसी से कोई जानकारी ली। गरीबी की मार के चलते मिस्त्री और मजदूर का खर्च नहीं उठा सकते थे तो खुद बनाने का निर्णय ले लिया। अकेले ही एक-एक ईंट जोड़ छह साल में छह कमरों का सपनों का आशियाना खड़ा कर दिया। मकान भी ऐसा-वैसा नहीं, भूकंपरोधी। कुछ कमरों की छत की ढलाई और प्लास्टर का काम अभी बाकी है, लेकिन उनके जज्बे की हर कोई तारीफ कर रहा। यह अनोखा काम करने वाले शख्स हैं शहर से सटे रहिका प्रखंड के भच्छी गांव निवासी 52 वर्षीय सुभाषचंद्र ठाकुर।

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टीवी, फ्रीज सहित अन्य उपकरण बनाने वाले सुभाषचंद्र ने धनबाद के एक संस्थान से इलेक्ट्रॉनिक इंजीनियरिंग में डिप्लोमा किया है। पत्नी और दो बच्चों का खर्च किसी तरह चलाने वाले सुभाषचंद्र को वर्ष 2013 में इंदिरा आवास योजना से घर निर्माण के लिए महज 40 हजार रुपये मिले। इतने में घर कैसे बनेगा, यह सोच परेशान हो गए। फिर उन्होंने खुद ही घर बनाने का निर्णय लिया। पहले उन्होंने गांव में जहां-जहां मकान बन रहे थे, ध्यान से देखा। मिस्त्री किस तरह काम करते हैं, इसे समझा और परखा।

  फिर जुट गए अकेले ही 1200 वर्गफुट जमीन पर निर्माण कार्य में। नक्शा खुद तैयार किया। मकान की नींव रखने से लेकर दीवार खड़ी करने का काम धीरे-धीरे करने लगे। निर्माण में प्रतिदिन चार से छह घंटे देने लगे। धीरे-धीरे कर छह साल में छह कमरों का मकान बना दिया। कुछ कमरों की छत की ढलाई हो गई है तो कुछ के लिए तैयारी कर रहे। 2020 तक निर्माण पूरा करने की योजना है।

अब तक खर्च किए ढाई लाख

वे कहते हैं, सरकार से जो रकम मिली थी, उससे घर बनाना संभव नहीं था। फिर सोचा कि अपने हाथ से निर्माण कर लूं तो काफी बचत हो सकती है। अभी तक सीमेंट, रेत, सरिया सहित अन्य सामान पर करीब ढाई लाख खर्च आया है। करीब दो लाख रुपये मिस्त्री व मजदूर पर आने वाले खर्च की बचत कर चुका हूं। परिवार के भरण-पोषण के बाद बचने वाले एक-एक रुपये मकान के लिए जोड़ा। निर्माण में भूकंपरोधी तकनीक का इस्तेमाल किया है।

जज्बा हो तो कोई भी कार्य कठिन नहीं

भच्छी गांव निवासी सत्यनारायण ठाकुर कहते हैं कि लोगों को सुभाषचंद्र से प्रेरणा लेनी चाहिए। गांव के ही विनोदानंद ठाकुर कहते हैं कि उन्होंने युवाओं के समक्ष मिसाल पेश की है। जज्बा हो तो कोई भी कार्य संभव है।अभियंता ने कहा-भूकंपरोधी मकान का निर्माण अकेले करना सराहनीय

मधुबनी नगर परिषद के अभियंता ज्योतीश्वर शिवम ने कहा कि अकेले ही भूकंपरोधी मकान का निर्माण सराहनीय है। यह काम इतना आसान नहीं। नक्शा बनाने से लेकर अन्य कार्य जिस दक्षता से उन्होंने किया है, वह किसी बेहतर मिस्त्री से कम नहीं।

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