कई विभागों में शिक्षक नहीं, धड़ल्ले से हो रहा नामांकन West Champaran News
छात्रों का 75 फीसद उपस्थिति की अनिवार्यता भी साबित हो रही छलावा। सबकुछ जान व समझकर भी विवि व सरकार के स्तर पर पहल नहीं होने से कटघरे में खड़ी हो रही व्यवस्था।
पश्चिम चंपारण, जेएनएन। सूबे में शिक्षा व्यवस्था की स्थिति से कोई अनजान नहीं है। हालात यह है किआरएलएसवाई में बिना कक्षा के छात्र दे रहे परीक्षा, मिल रही डिग्रियां उच्च शिक्षा के क्षेत्र में यूं तो इस जिले के कॉलेजों में करोड़ो रुपये सालाना खर्च हो रहे हैं लेकिन उसका प्रतिफल वह नहीं है जो होना चाहिए। स्थिति यह है कि जिले के कॉलेज व विश्वविद्यालय वर्तमान दौर में केवल डिग्री बांटने वाले संस्थान बनकर रह गए हैं। शहर के रामलखन सिंह यादव कॉलेज में स्थिति यह है कि कई विषयों में शिक्षक हैं ही नहीं।
बावजूद उन विषयों में छात्रों का ना केवल नामांकन जारी है, बल्कि छात्रों को पचहत्तर प्रतिशत उपस्थिति का प्रमाण भी कॉलेजों की ओर से दिया जाता है। वस्तुस्थिति से अवगत होते हुए भी विश्वविद्यालय इन प्रमाणों के आधार पर छात्रों की परीक्षा लेता है और उन्हें उच्च शिक्षा का प्रमाण पत्र भी बांट रहा है। ऐसा नहीं है कि सरकार इन तथ्यों से अवगत नहीं है, मगर इस दिशा कोई पहल नहीं होती।
सवाल यह उठता है कि क्या बिना शिक्षक के विषयों में छात्रों का नामांकन जायज है? क्या बिना कक्षा के छात्रों की पचहत्तर प्रतिशत उपस्थिति का प्रमाण दिया जा सकता है? अगर कक्षा होती नहीं है तो छात्र बिना पढ़े परीक्षा देते कैसे हैं? और पास भी कर रहे हैं। ऐसे कई सवाल वर्तमान उच्च शिक्षा व्यवस्था को कटघरे में खड़े कर रहे हैं। यहां इस कॉलेज मे यह भी देख सकते हैं कि प्रोफेसर के रहते उनके विभागों में ताले लटके रहते हैं।
कॉलेजों में जो शिक्षक होते भी हैं तो ऐसा लगता है वे अपने निजी कार्यों से कॉलेज आते है या फिर कॉलेज के ही वातानुकूलित कमरे में बैठ कर उसका आनंद लेते हैं। इसके अलावा कॉलेज प्रशासन इस पर कोई भी सख्त कदम नहीं उठाता है, जिससे विद्यार्थियों को ऐसा लगता है कि यदि कॉलेज ना भी जाऊं तो कौन क्या बिगाड़ लेगा ।
गेस व नोट्स छात्रों के लिए बन रहे गुरु
करियर के लिए प्रमाण पत्र की अनिवार्यता के कारण छात्र कॉलेजों में नामांकन लेने को बाध्य हैं। पठन-पाठन तो बाधित है ही, ऐसे में परीक्षा का समय आते ही छात्र बाजार का रूख करते हैं। सूत्रों के अनुसार परीक्षा के संभावित प्रश्नों के नोट्स के लिए ये छात्र ना केवल शिक्षकों बल्कि शिक्षा माफिया के चंगुल में फंस कर आर्थिक शोषण का शिकार भी हो रहे हैं।
बाजार के कई फोटो स्टेट की दुकानों में गेस व नोट्स पैसे खर्च कर आसानी से प्राप्त किए जा सकते हैं। गौरतलब यह है कि इन नोट्स को पढ़कर छात्र परीक्षा भी पास कर रहे हैं। ऐसे में छात्रों को बिना पढ़ाई किए डिग्रियां बांटी जा रही हों, उस मुल्क का भविष्य कैसा होगा, सिर्फ अंदाजा ही लगाया जा सकता है।
प्राचार्य ने कहा-शिक्षकों की कमी के बीच पढ़ाई की कोशिश जारी
रामलखन सिंह महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ. राजेश्वर प्रसाद यादव ने कहा कि हां, शिक्षकों की कमी से परेशानी तो है। मगर, ऐसी बात नहीं है कि बिना पढ़े छात्र पास कर रहे हैं। कॉलेज आनेवाले छात्रों को हरसंभव पढ़ाई उपलब्ध कराने की कोशिश की जाती है। अतिथि शिक्षकों को बुलाकर शिक्षकों की कमी को दूर किया जाता है।