मुजफ्फरपुर, जेएनएन। मोतीझील स्थित बिहार बोर्ड के तिरहुत प्रमंडल कार्यालय में अधिकारियों के नहीं रहने से अराजक माहौल बन गया है। अफसरों की मनमानी के चलते छात्र-छात्राएं परेशान हैं। मूल प्रमाणपत्र, अंकपत्र, नाम में संशोधन आदि कार्य के लिए दूरदराज से आने वाले विद्यार्थियों को भारी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। यहां पूर्वी चंपारण, पश्चिमी चंपारण से लेकर उत्तर बिहार का बिहार बोर्ड कार्यालय है। इतने सारे जिले के छात्र-छात्राओं को कुछ न कुछ परेशानी रहती है। लेकिन कार्य नहीं होने निराशा हाथ लगती है।
मूल प्रमाणपत्र के लिए चक्कर काट रहे
कुछ ऐसे छात्रों ने भी शिकायत की, जिनकी नौकरी लगने वाली है और वे मूल प्रमाणपत्र के लिए कार्यालय का चक्कर काट रहे हैं। उनको कभी ई-मेल भेजकर मूल प्रमाणपत्र मंगवाने की बात कही जाती है तो कभी इंटरनेट में खराबी बता कर टाल दिया जाता है। अगर दो-तीन बार कार्यालय चले गए तो अफसर और प्रशासनिक पदाधिकारियों के नहीं रहने की बात बता कर वापस कर दिया जाता है। ऐसे में भ्रष्टाचार बढऩे की आशंका प्रबल हो गई है।
उप सचिव का बहुत कम आना जाना
सरकार ने छात्रों की परेशानियों को कम करने के लिए यहां बिहार बोर्ड के तिरहुत प्रमंडल कार्यालय की स्थापना की है, ताकि उत्तर बिहार के छात्रों को पटना का दौड़ नहीं लगाना पड़े। शुक्रवार को जब उक्त कार्यालय की पड़ताल की गई तो पता चला कि यहां हाल ही में उप सचिव केएन मिश्रा की पदस्थापना हुई है। उनका पटना से आना-जाना होता है। कोविड-19 के बढ़ते प्रभाव को देखते हुए वे कार्यालय कम ही आते हैं। अगर किसी विद्यार्थी को उनका हस्ताक्षर चाहिए तो इंतजार में कई दिन बीत जाते हैं। प्रशाखा पदाधिकारी भी नजर नहीं आए। पूछने पर भी उनका आता-पता नहीं बताया जाता। इस संबंध में प्रशाखा पदाधिकारी दिनेश प्रसाद गुप्ता से जब बात हुई तो उन्होंने बताया कि दिक्कत उन्हीं विद्यार्थियों को आती है जिनका बिहार बोर्ड पटना से डाटा नहीं भेजा गया है। वैसे सुगमता से छात्र-छात्राओं का काम हो जाता है। उनका दावा है कि क्षेत्रीय अधिकारी कार्यालय में रहते हैं।
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