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बिहार विवि का फर्जी अकाउंट बनाकर छात्रों को कर रहे गुमराह, अंक दिलाने के लिए मांग रहे पैसे

B. R. Ambedkar Bihar University अच्छे अंक दिलाने और प्रमाणपत्रों की गड़बड़ी में सुधार के लिए मांग रहे पैसे। विवि प्रशासन ने कहा- छात्र रहें सावधान सोशल साइट्स पर विवि का आधिकारिक हैंडल नहीं। परीक्षा नियंत्रक बोले- सोशल साइट्स के चक्कर में नहीं पड़ें विद्यार्थी।

By Murari KumarEdited By: Published: Fri, 27 Nov 2020 07:54 AM (IST)Updated: Fri, 27 Nov 2020 07:54 AM (IST)
बिहार विवि का फर्जी अकाउंट बनाकर छात्रों को कर रहे गुमराह, अंक दिलाने के लिए मांग रहे पैसे
बिहार विवि का फर्जी अकाउंट बनाकर छात्रों को कर रहे गुमराह

मुजफ्फरपुर, जेएनएन। सोशल मीडिया के माध्यम से फर्जीवाड़ा करने वाले बदमाशों का रुझान अब विद्यार्थियों की ओर हो रहा है। बैंक और एटीएम से धोखाधड़ी के मामले सामने आने के बाद अब सोशल मीडिया पर बीआरए बिहार विश्वविद्यालय के नाम से फर्जी अकाउंट बनाकर छात्रों को गुमराह किया जा रहा है। कभी अखबार की क्लोन की गई खबर तो कभी विवि के अधिकारियों के हस्ताक्षर को स्कैन कर फर्जी तरीके से दूसरे पत्रों से जोड़कर वायरल किया जा रहा है। सैकड़ों छात्र इसे सही मानकर फर्जी अकाउंट्स संचालित करने वाले से कमेंट बॉक्स में संवाद करते हैं। यहीं से संबंधित छात्र-छात्रा का नंबर मांगता है और अवैध वसूली का खेल शुरू होता है। पार्ट टू की एक छात्रा जब ऐसे ही फर्जी अकाउंट पर पेंडिंग रिजल्ट में सुधार कराने की प्रक्रिया की जानकारी चाही तो उसे इनबॉक्स में मैसेज करने के लिए कहा। वहां उससे 1500 रुपये की मांग की गई। हालांकि, उसने पैसे नहीं दिए। 

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सोशल साइट्स के चक्कर में नहीं पड़ें विद्यार्थी : परीक्षा नियंत्रक 

परीक्षा नियंत्रक डॉ.मनोज कुमार ने कहा कि अक्सर ऐसी शिकायतें मिलती हैं कि विवि परिसर में छात्र-छात्राओं से नंबर बढ़वाने, प्रमाणपत्र बनवाने और सुधार कराने के नाम पर पैसे की ठगी हो जाती है। अब सोशल मीडिया पर परीक्षा का गलत कार्यक्रम व अन्य जानकारी वायरल किया जा रहा है। छात्र-छात्राओं को चाहिए कि इससे दूर रहें। साथ ही किसी काम के लिए विवि में ही संपर्क करें। क्योंकि, सोशल मीडिया पर भी अब साइबर बदमाश सक्रिय हो गए हैं। जो विवि में काम कराने की बात कह पैसे मांगते हैं और इसके बाद गायब हो जाते हैं। उन्होंने स्पष्ट किया कि सोशल मीडिया पर विवि का कोई आधिकारिक हैंडल नहीं है। बीआरएबीयू न्यूज, ऑफिसियल बीआरएबीयू समेत फेसबुक पर दर्जनों फर्जी अकाउंट्स बनाकर गलत जानकारियां प्रसारित की जा रही हैं। 


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