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मधुबनी के बेलही भवानीपुर गांव में पोखर उड़ाही में मिली भगवान विष्णु की मूर्ति, सात-आठ सौ साल हो सकता पुराना

लौकही प्रखंड के बेलही भवानीपुर पंचायत अंतर्गत बेलही भवानीपुर गांव में खिरी पोखर के उड़ाही के क्रम में एक काले पत्थर की मूर्ति मिली। मूर्ति देखने लोगों की जुट रही भीड़ शुरू हुई पूजा-अर्चना। कर्णाट वंश एवं ओइनवार वंश के बीच के कालखंड के बीच की हो सकती मूर्ति।

By Murari KumarEdited By: Published: Sat, 08 May 2021 04:48 PM (IST)Updated: Sat, 08 May 2021 04:48 PM (IST)
मधुबनी के बेलही भवानीपुर गांव में पोखर उड़ाही में मिली भगवान विष्णु की मूर्ति, सात-आठ सौ साल हो सकता पुराना
बेलही भवानीपुर गांव में खुदाई में मिली भगवान विष्णु की मूर्ति।

लौकही (मधुबनी), जासं। लौकही प्रखंड के बेलही भवानीपुर पंचायत अंतर्गत बेलही भवानीपुर गांव में खिरी पोखर के उड़ाही के क्रम में एक काले पत्थर की मूर्ति मिली। मूर्ति मिलने की खबर इलाके में आग की तरह फैल गई। लोगों का कौतुहल बढ़ा और मूर्ति देखने लोगों की भीड़ जुट गई। लोगों का अनुमान है कि यह भगवान विष्णु की मूर्ति है। साथ ही इसके बेशकीमती होने का भी अनुमान है। मूर्ति मिलने की खबर फैलते ही गांव के साथ ही अगल-बगल के गांव के लोग भी भगवान के दर्शनार्थ पहुंचने लगे हैं। लोगों ने मूर्ति की पूजा-अर्चना भी शुरू कर दी है। अभी फिलहाल मूर्ति गांव में ही है। पूर्व मुखिया शिव नारायण मंडल ने बताया कि मूर्ति की भव्यता अपने आप लोगों को आकर्षित करती है और लोग श्रद्धा से उनका नमन करते हैं।

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मधवापुर में भी मिली थी भगवान विष्णु की प्रतिमा 

करीब डेढ़ माह पूर्व मधवापुर प्रखंड के बैरवा गांव में भी मिट्‌टी कटाई के दौरान भगवान विष्णु की विशाल प्रतिमा मिली थी। वह प्रतिमा 13वीं-14वीं सदी के आसपास की बताई गई है। जानकारों के अनुसार कर्णाट वंश एवं ओइनवार वंश के बीच के कालखंड में इस मूर्ति का निर्माण हुआ होगा। मूर्ति विशेषज्ञ डॉ. सुशांत कुमार ने मूर्ति का जायजा लेने के बाद बताया कि काले पत्थर से बनी मूर्ति अत्यंत विलक्षण है। कर्णाट कला का एक अद्भुत नमूना है। बताया कि करीब सात-आठ सौ साल पहले इस मूर्ति का निर्माण हुआ होगा। ऐसा प्रतीत होता है कि कर्णाट राजाओं के समय यहां विष्णु के उपासकों का गांव रहा होगा। उन्होंने स्थानीय लोगों से मूर्ति की सुरक्षा पर विशेष ध्यान देने को कहा। विशेष कर चोर एवं अंधभक्तों से मूर्ति को सुरक्षित रखने पर बल दिया। लोगों से आग्रह किया कि मूर्ति पर पानी, सिंदुर, फूल, मिठाई आदि अन्य चढावे से परहेज़ रखें, मूर्ति को स्वच्छ एवं सुरक्षित रखें, अन्यथा पत्थर में क्षरण आ जाता है और मूर्ति अल्पायु हो सकती है। 

मूर्ति को संग्रहालय में संरक्षित करने की मांग 

बता दें कि मूर्ति मिलने के बाद दरभंगा के लक्ष्मीश्वर सिंह संग्रहालय के अध्यक्ष डॉ. शिव कुमार मिश्र ने प्रशासन से मूर्ति को संगहालय में सरंक्षित कराने की मांग की। हालांकि, ग्रामीणों ने मंदिर बनाने और मूर्ति को सुरक्षित रखने का अश्वासन दिया। डॉ. मिश्र ने स्थानीय जनप्रतिनिधि से मूर्ति की सुरक्षा के लिए संग्रहालय में जमा करने पर विचार करने का आग्रह करते हुए कहा कि तस्करी का खतरा बना रहेगा।


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