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लीची को एईएस से जोड़ने से हुई क्षति मामले को देखे राज्य व केंद्र सरकार : हाईकोर्ट

लीची को गलत तरीके से एईएस से जोड़ने की याचिका की सुनवाई के बाद न्यायमूर्ति शिवाजी पांडेय व न्यायमूर्ति पार्थ सारथी की पीठ ने कहा कि सब्सिडी पूरी तरह कार्यपालिका के निर्णय क्षेत्र में आता है।

By JagranEdited By: Published: Wed, 30 Oct 2019 01:49 AM (IST)Updated: Wed, 30 Oct 2019 06:29 AM (IST)
लीची को एईएस से जोड़ने से हुई क्षति मामले को देखे राज्य व केंद्र सरकार : हाईकोर्ट
लीची को एईएस से जोड़ने से हुई क्षति मामले को देखे राज्य व केंद्र सरकार : हाईकोर्ट

मुजफ्फरपुर। लीची को गलत तरीके से एईएस से जोड़ने की याचिका की सुनवाई के बाद न्यायमूर्ति शिवाजी पांडेय व न्यायमूर्ति पार्थ सारथी की पीठ ने कहा कि सब्सिडी पूरी तरह कार्यपालिका के निर्णय क्षेत्र में आता है। केंद्र व राज्य सरकार से आशा की जाती है कि लीची उत्पादकों की मांग को देखें। हाईकोर्ट की पीठ ने याचिकाकर्ता को उचित फोरम या प्राधिकार के पास इस मुद्दे को ले जाने की सहमति दी है।

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यह है मामला : इस साल जिले में फैले एईएस को लीची से जोड़कर बताया गया। इससे लीची उत्पादक किसान व व्यापारियों को भारी क्षति हुई। बिहार लीची उत्पादक संघ के अध्यक्ष बच्चा प्रसाद सिंह ने इसके खिलाफ हाईकोर्ट में एक याचिका दाखिल की थी। याचिका में प्रभावितों के लिए 50 करोड़ हर्जाना दिलाने की राज्य व केंद्र सरकार को आदेशित करने की हाईकोर्ट से प्रार्थना की गई थी। इसमें केंद्रीय कृषि व किसान कल्याण मंत्रालय के सचिव, राष्ट्रीय बागवानी बोर्ड के एमडी, राज्य सरकार के कृषि विभाग के प्रधान सचिव, मुजफ्फरपुर के जिलाधिकारी, एसडीओ पूर्वी, पश्चिमी, मुशहरी व बोचहां अंचल के सीओ, मुख्य चिकित्सा पदाधिकारी, बागवानी व कृषि विभाग के निदेशक, राष्ट्रीय लीची अनुसंधान केंद्र के निदेशक व बीमा नियामक व विकास प्राधिकार के अध्यक्ष को प्रतिवादी बनाया था।

राज्य व केंद्र सरकार ने बताया था अफवाह : संघ के अध्यक्ष व याचिकाकर्ता बच्चा प्रसाद सिंह ने बताया कि सुनवाई के दौरान हाइकोर्ट ने राज्य व केंद्र सरकार से हलफनामा दाखिल करने का आदेश दिया था। इसके जबाव में राज्य व केंद्र सरकार की ओर से दाखिल हलफनामा में एईएस से लीची को जोड़ने को अफवाह बताया था।

केंद्र व राज्य सरकार के समक्ष जाएगा संघ : बच्चा प्रसाद सिंह ने बताया कि हाईकोर्ट के आदेश को लेकर जल्द ही संघ केंद्र व राज्य सरकार के पास जाएगा। दोनों सरकार से हर्जाना की मांग के साथ-साथ देश भर के अखबारों में विज्ञापन प्रकाशित किए जाने की मांग रखी जाएगी। इससे आमलोगों को इसकी सच्चाई का पता चल सके। बताते हैं कि हाईकोर्ट का निर्णय 16 अक्टूबर को आया है। उसकी साइट पर इसकी प्रति 23 अक्टूबर को अपलोड की गई है।


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