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खेतों में नमी से नहीं हो पा रही आलू की बोआई, बीज पर महंगाई की मार

बगहा। इस वर्ष बाढ़ व बारिश के कारण रामनगर शहर व प्रखंड के सैकड़ों एकड़ धान गन्ना व सब्जी की फसल बर्बाद हो गई है।

By JagranEdited By: Published: Tue, 09 Nov 2021 04:45 PM (IST)Updated: Tue, 09 Nov 2021 04:45 PM (IST)
खेतों में नमी से नहीं हो पा रही आलू की बोआई, बीज पर महंगाई की मार

बगहा। इस वर्ष बाढ़ व बारिश के कारण रामनगर शहर व प्रखंड के सैकड़ों एकड़ धान, गन्ना व सब्जी की फसल बर्बाद हो गई है। वहीं कई निचले हिस्से वाले खेतों में अभी भी इतनी नमी है कि धान की कटनी नहीं हो पा रही है। इधर आलू के बोने का समय हो गया है। पर, निचले भूमि पर इसकी खेती करना संभव नहीं है। ऊंचे विस्तार वाले भूमि पर इसकी रोपाई हो सकती है। आलू बोने का समय क्षेत्र में 15 नवंबर तक बताया जाता है।

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पड़ताल में बात सामने आई कि फसलों की क्षति से परेशान किसान आलू बोना भी चाहते हैं तो, इसपर महंगाई की मार है। डीजल के बढ़ते भाव से परेशान किसानों के समक्ष बीज के दाम की दोहरी मार पड़ रही है। अगर आंकड़े देखे तो बीते तीन से चार सालों में इसके भाव में चार से पांच गुणा की वृद्धि दर्ज की गई है। बाढ़ व बारिश से बर्बाद फसलों की भरपाई के लिए किसान इसे लगाना चाहते हैं। पर, रेट व बरसात के कारण इसका रकबा इस वर्ष सिकुड़ने की पूरी संभावना है। नगर व प्रखंड में अच्छी होती है आलू की खेती आलू क्षेत्र का नगदी फसल नहीं है। पर, स्थानीय कृषक इतना आलू जरूर लगाते हैं कि साल के दिन आराम से कट जाए। क्षेत्र में इसको अन्तरवर्ती खेती के रूप में गन्ना के साथ भी बोया जाता है। वैसे इसका कोई विशेष आंकड़ा तो नहीं है। पर, नगर व प्रखंड में करीब 220 एकड़ में आलू की खेती होती है। खेतों में नमी के कारण इसकी खेती इस बार प्रभावित होगी। अनुमान है कि इस बार रकबा में कमी आएगी। आलू का बाजार मूल्य वर्तमान में 30 रुपये प्रति किलो खुदरा में बिक रहा है। वहीं थोक मूल्य 2800 रुपये प्रति क्विटल है। जिसे खेत में बोने का कार्य भी किया जा रहा है। स्थानीय स्तर पर किसानों को कोल्ड स्टोरेज की जरूरत नहीं होती है। इसका कारण यह है कि यहां खेती व्यापक पैमाने पर नहीं की जाती है। कृषि विज्ञानी डॉ. आरपी सिंह ने बताया कि नमी वाले खेतों में आलू लगाने से इसके बीज सड़ने की संभावना है। ऊंचे भूमि पर आलू की खेती ठीक है। अभी का मौसम आलू बोने के लिए उपयुक्त है। ठंड से बचाव के लिए भी कई तरह के दवाएं बाजार में उपलब्ध है।


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