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कहीं नाव तो कहीं चचरी के सहारे जिंदगी, बाढ़ ने क्षेत्र के लोगों की परेशानी बढ़ा दी

आजादी के 73 साल बाद भी औराई के सुंदरखौली में नहीं हुआ पुल का निर्माण। दशकों से चचरी पुल के सहारे 20 हजार की आबादी दे रही जिंदगी को रफ्तार।

By Ajit KumarEdited By: Published: Thu, 20 Aug 2020 03:08 PM (IST)Updated: Thu, 20 Aug 2020 03:08 PM (IST)
कहीं नाव तो कहीं चचरी के सहारे जिंदगी, बाढ़ ने क्षेत्र के लोगों की परेशानी बढ़ा दी
कहीं नाव तो कहीं चचरी के सहारे जिंदगी, बाढ़ ने क्षेत्र के लोगों की परेशानी बढ़ा दी

मुजफ्फरपुर, [नीरज]। बेशक सूबे में सड़कों का जाल बिछा है, पुलों का निर्माण कर सरकार ने दिलों को जोड़ा है, लेकिन मुजफ्फरपुर जिले में अब भी कहीं नाव पर जिंदगी है, तो कहीं चचरी के सहारे जिंदगी रह गई है। जिले के औराई, कटरा, मीनापुर और साहेबगंज के इलाकों में सड़क और पुल के अभाव में लोग दशकों से परेशान है। सालोभर लोग चचरी के सहारे आवागमन करते हैं। बरसात में नाव ही एक मात्र सहारा होता है। इस दौरान होते हादसों में हर साल लोग मौत के शिकार बनते हैं।

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ग्रामीण एक अदद पुल की मांग कर रहे

औराई प्रखंड के सुंदरखौली में लखनदेई नदी पर अबतक पुल नहीं बन पाया है। आजादी के बाद से अबतक ग्रामीण एक अदद पुल की मांग करते रहे हैं। आंदोलन भी होते रहे। लेकिन, उनकी फरियाद अधूरी रह जा रही है। पुल के अभाव में इस गांव से अब डोली नहीं उठती है। एक तो दूसरे गांव के लोग यहां रिश्तेदारी तय नहीं करते हैं। तय करते भी हैं? तो दूल्हे को पैदल ही आना और दुल्हन को लेकर पैदल ही जाना पड़ता है। बीमार और प्रसूता को इलाज के लिए खाट पर लादकर ले जाने की मजबूरी है। एक अदद पुल के अभाव में 20 हजार की आबादी परेशान है। यह तो महज बानगीभर है।

दर्जनों सड़क बाढ़ की भेंट चढ़ गई

जिले में दर्जनों स्थानों पर पुल और सड़क का पहले से ही अभाव था। इसबार भी दर्जनों सड़क बाढ़ की भेंट चढ़ गई है। अब स्थिति और विकट हो गई है। ऐसे में यहां के लोग जन सहयोग से चचरी का निर्माण करते रहे है। बाढ़ के चलते तकरीबन 50 से अधिक गांवों की सड़कें क्षतिग्रस्त हो गई है। 300 से अधिक गांवों में नाव चलाया जा रहा है। जबकि, 40 गांवों में जन सहयोग से चचरी पुल का निर्माण कर ग्रामीण अपनी राह आसान करने में लगे है।ग्रामीण दिनेश कुमार, अरूण कुमार व नवीन कुमार बताते है कि आंदोलन के बावजूद इस ओर किसी का ध्यान नही है।

बीडीओ बीके प्रसाद व सहायक अभियंता अरूण कुमार के अनुसार, पुल निर्माण के लिए सरकार को प्रस्ताव भेजा जा चुका है। अब शीघ्र ही पुल का निर्माण शुरू होगा। उधर, यही हाल मीनापुर के हरशेर घाट का है। यहां पुल के अभाव में सालोभर नाव का परिचालन होता है। बाढ़ के दौरान नाव भी बंद कर दिया जाता है। पानापुर निवासी सामाजिक कार्यकर्जा रविरंजन कुमार उर्फ गुड्डू पासवान बताते है कि अब पुल निर्माण की मांग को लेकर ग्रामीण आंदोलन के मूड में है। उधर, कटरा प्रखंड के कटरा-गंगेया, मधुबनघाट, बभनगामा बड़की, छोटकी, बसघट्टा समेत दर्जनों गांवों की सड़कें बाढ़ की भेंट चढ़ गई है। 


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