Positive India: निर्भया के लिए न्यायिक लड़ाई के बाद ये लड़ रहे कोरोना से जंग, बांट रहे निशुल्क मास्क
मोतिहारी में महिलाओं पुरुषों व बच्चों के लिए अलग-अलग रंग के मास्क बांट रहे समाजसेवी सर्वेश। मुसहर टोली से अभियान की शुरुआत शारीरिक दूरी के पालन को एक स्टिक से देते मास्क।
पूर्वी चंपारण, अनिल तिवारी। निर्भया के लिए न्यायिक लड़ाई में सहयोग के बाद मोतिहारी के पहाड़पुर निवासी सर्वेश तिवारी इनदिनों कोरोना से जंग लड़ रहे हैं। वे आमलोगों को निशुल्क मास्क उपलब्ध करा रहे। अब तक आठ हजार से अधिक मास्क का वितरण कर चुके हैं।
परिवार में मास्क की अदला-बदली न हो इसलिए महिलाओं के लिए लाल व गुलाबी, पुरुषों के लिए नीला एवं काला और बच्चों के लिए सफेद मास्क बनवाते हैं। शारीरिक दूरी बनाए रखने के लिए एक स्टिक बनवाई है। इसी की मदद से ये मास्क देते हैं। इस दौरान हाथों में ग्लव्स पहनते हैं। प्रतिदिन तकरीबन 300 मास्क बांटते हैं। मुसहर टोली से इस अभियान की शुरुआत की। इनका लक्ष्य 20 हजार लोगों तक मास्क पहुंचाना है।
मुसहर टोली निवासी रूदल मांझी कहते हैं कि मास्क खरीदने के लिए पैसे नहीं थे, ऐसे में सुरक्षा के लिए उन्हें निशुल्क मिल गया। सर्वेश को स्थानीय युवाओं का भी भरपूर साथ मिल रहा। लोगों को बचाव के प्रति जागरूक भी कर रहे। दूसरे राज्यों से गांव लौट रहे लोगों का ये चिकित्सकों से मुफ्त जांच भी करवाते हैं। समाजसेवी सर्वेश का कहना है कि कोरोना से बचाव के लिए मास्क लगाना जरूरी है।
बदलाव लाने की कोशिश
सर्वेश ने निर्भया के मां-पिता के साथ कानूनी लड़ाई का खर्च जुटाने के लिए निर्भया ज्योति ट्रस्ट बनाया था। इसके महासचिव के तौर पर निर्भया को न्याय दिलाने के लिए लंबी लड़ाई लड़ी। वे आर्थिक रूप से कमजोर परिवार की बेटियों के लिए सामूहिक विवाह कार्यक्रम, पानी की समस्या से निजात दिलाने के लिए चापाकल लगवाने और आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के वरिष्ठ नागरिकों के लिए वार्षिक मुफ्त तीर्थयात्रा जैसे सामाजिक कार्यक्रम भी चलाते हैं।
पं. उगम पांडेय महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ. कर्मात्मा पांडेय ने कहा कि सर्वेश की यह पहल सराहनीय है। अमूमन एक ही रंग का मास्क होने के कारण कई लोग उसका इस्तेमाल कर लेते हैं। अलग-अलग रंग के मास्क से पहचान का संकट नहीं होगा।