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किसी भी आपदा में अब नहीं जगाता भोंपू, 13 सालों से बंद है चार पानी टंकी पर लगे सायरन Muzaffarpur News

व्यवस्थागत कारणों से 13 सालों से बंद है चार पानी टंकी पर लगे सायरन। सेकेंड लाइन ऑफ डिफेंस की सुविधा से वंचित है शहर। युद्ध व आपातकाल में झेलनी पड़ेगी प्रशिक्षित कार्यकर्ताओं की कमी

By Murari KumarEdited By: Published: Fri, 10 Jan 2020 11:31 AM (IST)Updated: Fri, 10 Jan 2020 11:31 AM (IST)
किसी भी आपदा में अब नहीं जगाता भोंपू, 13 सालों से बंद है चार पानी टंकी पर लगे सायरन Muzaffarpur News
किसी भी आपदा में अब नहीं जगाता भोंपू, 13 सालों से बंद है चार पानी टंकी पर लगे सायरन Muzaffarpur News

मुजफ्फरपुर [प्रमोद कुमार]। शहर सेकेंड लाइन ऑफ डिफेंस की सुविधा से पूरी तरह से वंचित हो चुका है। आपातकाल में सचेत करने लिए जलमीनारों पर लगे सभी सायरन बंद हो चुके हैं। हालात से निपटने व कार्यकर्ताओं को तैयार करने के लिए स्थापित नागरिक सुरक्षा केंद्र भी शहर से बोरिया-बिस्तर समेट चुका है। स्थिति यह है कि किसी भी आपदा में अब भोंपू पिछले 13 वर्षों से नहीं जगाता है। 

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प्रतिदिन सुबह नौ बजे बजता था सायरन

दरअसल, चीन के करीब होने तथा बाढ़ व भूकंप का प्रमुख क्षेत्र होने के कारण वर्ष 1981 में शहर के गृह रक्षा वाहिनी कार्यालय परिसर में नागरिक सुरक्षा केंद्र की स्थापना की गई थी।  शहरवासियों को सचेत करने के लिए जिला स्कूल, समाहरणालय, एलएस कॉलेज एवं चंदवारा पानी टंकी पर सायरन लगाए गए थे। प्रतिदिन सुबह नौ बजे सायरन बजाकर चेक किया जाता था।

 केंद्र में हर साल चार-पांच सौ स्वयंसेवकों को प्रशिक्षण दिया जाता था, ताकि उनकी मदद से आपातकाल में हालात से निपटा जा सके। वर्ष 1992 तक केंद्र ठीक से चला। बाद में सरकारी अनुदान नहीं मिलने पर इसकी गतिविधियां ठप हो गईं। वर्ष 2006 में इसे चुपचाप बंद कर दिया गया। तबसे शहर सेकेंड लाइन ऑफ डिफेंस से वंचित हो गया। 

ये है सिविल डिफेंस 

सिविल डिफेंस युद्ध व प्राकृतिक आपदाकाल में नागरिकों को सुरक्षा एवं सहयोग देता है। चीन युद्ध 1962 के दौरान भारत में सिविल डिफेंस की स्थापना की गई। भारत-पाक युद्ध 1971 के बाद इसका विस्तार हुआ। आपातकाल में संगठन नागरिकों को प्रशिक्षण देकर अपनी सुरक्षा करते हुए दुश्मनों के नापाक इरादे को रोकता है। इसके स्वयंसेवकों को अवैतनिक स्वयंसेवकों का दर्जा प्राप्त होता है। 

इस बारे में केंद्र से प्रशिक्षित स्‍वयंसेवक सूरज कुमार राव ने कहा कि बाढ़ के दौरान हमें तैयार रहने को कहा जाता था। समय-समय पर परीक्षा ली जाती थी। कई मौके पर स्वयंसेवकों ने काम भी किया। लेकिन, पता नहीं केंद्र को क्यों बंद कर दिया गया? 

वहीं,  इस बारे में वरीय नागरिक अनिल कुमार सिन्हा ने बताया कि उत्तर बिहार का आर्थिक केंद्र एवं अंतरराष्ट्रीय सीमा से सटे होने की वजह से शहर में सिविल डिफेंस कवर दिया था। इसे हटा लिया गया। यह उचित कदम नहीं था। वर्तमान सरकार को इस पर ध्यान देना चाहिए।


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