सीतामढ़ी में पकड़ा गया नौ साल से फरार शिवहर का उग्रवादी, एसटीएफ के सहयोग से पकड़ाया
Sitamarhi Crime News नौ वर्षों से फरार हार्डकोर नक्सली शिवहर का मनोज सहनी आखिरकार पकड़ा गया। भनसपट्टी लाइन होटल से हुई हार्डकोर नक्सली मनोज सहनी की गिरफ्तारी। पोटा और टाडा जैसे कानून यूएपीए के तहत हुई उसकी गिरफ्तारी।
सीतामढ़ी, जागरण संवाददाता। नौ वर्षों से फरार हार्डकोर नक्सली शिवहर का मनोज सहनी आखिरकार पकड़ा गया। एसटीएफ के सहयोग से उसको रुन्नीसैदपुर स्थित भनसपट्टी लाइन होटल से गिरफ्तार किया गया। वह तरियानी के डोरा टोला का रहने वाला है। एसपी हरकिशोर राय ने उसकी गिरफ्तारी की पुष्टि की और बताया कि रुन्नीसैदपुर थाने में उसके विरूद्ध विस्फोटक पदार्थ अधिनियम एवं यूएपीए के तहत मामला दर्ज था। शुक्रवार की शाम इसकी गिरफ्तारी हुई। मनोज सहनी को गिरफ्तार किया गया। थाना क्षेत्र के भनसपट्टी गांव के समीप एक लाइन होटल परिसर से उसकी गिरफ्तारी हुई।
पुलिस के अनुसार, एक दशक पहले रुन्नीसैदपुर थाना क्षेत्र अंतर्गत महिंदवारा ओपी का इलाका नक्सली घटनाओं के लिए सुर्खियों में था। महिंदवारा ओपी पुलिस को दबाव में लाने तथा किसी बड़ी घटना को अंजाम देने हेतु नक्सलियों की गहरी साजिश रची जा रही थी। उ न्हीं दिनों एसटीएफ द्वारा भाकपा माओवादी के सबजोनल कमांडर सोहाग पासवान को गिरफ्तार किया गया। सोहाग पासवान मुजफ्फरपुर के सिवाईपट्टी थाना अंतर्गत रामनगर गांव का रहने वाला है। सोहाग पासवान की निशानदेही पर 09 अक्तूबर, 2012 को महिंदवारा ओपी भवन से महज पचास मीटर की दूरी पर एक सड़क पुल के नीचे भारी मात्रा में विस्फोटक, डेटोनेटर व जमीन के नीचे बिछाए तार को बरामद किया गया था। लैंड माइंस के जरिए उक्त पुल को उस समय उड़ाने की योजना थी जब पुलिस की गाड़ी वहां से गुजरने वाली थी। इस मामले में सोहाग पासवान समेत थाना क्षेत्र के मुकेश पटेल, नरेश पटेल, भुट्टा पटेल, राम बाबू पासवान व तरियानी के मनोज सहनी को नामजद किया गया था। इसी मामले में पुलिस को मनोज पासवान की तलाश थी।
गिरफ्तारी को बड़ी कामयाबी बता रही पुलिस
पुलिस के अनुसार, उसकी गिरफ्तारी बड़ी कामयाबी है। दरअसल, अहम इस लिए भी कि उसकी गिरफ्तारी विस्फोटक पदार्थ अधिनियम एवं यूएपीए के तहत हुई है। यूएपीए का फुल फॉर्म ऑन लॉ फुल एक्टिविटीज (प्रिवेंशन) एक्ट और हिंदी में गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम कहलाता है। पिछले कुछ सालों में आतंकी गतिविधियों से संबंधी पोटा और टाडा जैसे कानून खत्म कर दिए गए, लेकिन यूएपीए कानून अब भी मौजूद है और पहले से ज्यादा मजबूत। इस कानून का मुख्य काम आतंकी गतिविधियों को रोकना होता है। इस कानून के तहत पुलिस ऐसे आतंकियों, अपराधियों या अन्य लोगों को चिह्नित करती है, जो आतंकी गतिविधियों में शामिल होते हैं, इसके लिए लोगों को तैयार करते हैं या फिर ऐसी गतिविधियों को बढ़ावा देते हैं।