पश्चिम चंपारण में बाढ़ में डूब गए पीडि़तों के लिए बने आश्रय स्थल
पश्चिम चंपारण की हरपुर गढ़वा पंचायत में 1.75 करोड़ की लागत से इसी साल हुआ है निर्माण। भवन निर्माण विभाग की लापरवाही लो लैंड एरिया में होने से बरसात के चार माह रहता जलजमाव। यहां आश्रय लेने की जगह ग्रामीण ऊंचे स्थानों तटबंध और नाते-रिश्तेदारों के यहां पलायन कर गए।
सरिसवा (पश्चिम चंपारण), मुन्ना खां। सरकारी पैसे का किस तरह से बेजा इस्तेमाल किया जाता है, इसकी बानगी आप मझौलिया प्रखंड की हरपुर गढ़वा पंचायत में देख सकते हैं। यहां बाढ़ पीडि़तों के लिए बनाया गया आश्रय स्थल बाढ़ में डूब गया है। कुछ महीने पहले ही बनकर तैयार इस भवन की कोई उपयोगिता सिद्ध नहीं हो रही। हर साल बाढ़ का कहर झेलने वाली हरपुर गढ़वा पंचायत के लोगों को आश्रय देने के लिए भवन निर्माण विभाग ने एक साल पहले बाढ़ आश्रय स्थल के निर्माण की योजना बनाई। बीरवा गांव में 1.75 करोड़ की लागत से अगस्त 2020 में निर्माण शुरू किया गया। बीते मार्च में यह भवन बनकर तैयार हुआ। दो मंजिल इस भवन में 300 लोगों के आश्रय लेने की व्यवस्था है। छत पर सामुदायिक किचन भी बनाया गया है। बीते दिनों जमकर हुई बरसात के साथ ही सिकरहना नदी में जलस्तर बढ़ा तो पूरी पंचायत में घुस गया। बाढ़ आश्रय स्थल भी पानी से घिर गया। यहां आश्रय लेने की जगह ग्रामीण ऊंचे स्थानों, तटबंध और नाते-रिश्तेदारों के यहां पलायन कर गए हैं।
मुखिया सजदा तबस्सुम का कहना है कि जिस स्थल पर बाढ़ आश्रय भवन का निर्माण कराया गया है, वह लो लैंड है। वहां चार महीने जलजमाव रहता है। आने-जाने के लिए कोई रास्ता नहीं है। जब निर्माण शुरू किया गया था, तभी आपत्ति जताई गई थी, लेकिन ध्यान नहीं दिया गया। अधिकारियों एवं अभियंताओं की लापरवाही के कारण सरकारी राशि का दुरुपयोग हुआ है। ग्रामीण मो. तबरेज का कहना है कि जब इस भवन का निर्माण शुरू हुआ तब लगा था कि अब बरसात में नाते-रिश्तेदारों के यहां शरण लेने से मुक्ति मिलेगी, लेकिन बाढ़ आश्रय स्थल के चारों तरफ दो से तीन फीट पानी है।
अंचलाधिकारी, मझौलिया सूर्यकांत का कहना है कि अभी तक निर्माण कंपनी ने भवन हस्तगत नहीं कराया है। चाबी मिलने के बाद जांच कर आवश्यक कार्रवाई की जाएगी। बेतिया के अनुमंडल पदाधिकारी विद्यानाथ पासवान का कहना है कि इस आश्रय स्थल को संपर्क पथ से जोडऩे के बाद ही उपयोग में लाया जाएगा। जो कमी होगी, उसे दूर कराया जाएगा।