मधुबनी में मिथिला पेंटिंग कलाकारों की फौज तैयार कर रहे षष्ठिनाथ, बना रहे आत्मनिर्भर
मिथिला पेंटिंग कलाकार के तौर पर अपनी यात्रा शुरू करने वाले राजनगर के रांटी गांव निवासी षष्ठिनाथ झा ने आज अपनी एक अलग पहचान बना ली है। वे मिथिला पेंटिंंग कलाकारों की लंबी फौज तैयार कर महिला सशक्तीकरण की मिसाल कायम कर रहे हैं।
मधुबनी, जासं। मिथिला पेटिंंग कलाकार के तौर पर अपनी यात्रा शुरू करने वाले राजनगर के रांटी गांव निवासी षष्ठिनाथ झा ने आज अपनी एक अलग पहचान बना ली है। वे मिथिला पेंटिंंग कलाकारों की लंबी फौज तैयार कर महिला सशक्तीकरण की मिसाल कायम कर रहे हैं। मिथिला पेंङ्क्षटग को बढ़ावा देने के लिए ग्राम विकास परिषद संस्था का गठन कर महिलाओं को निशुल्क मिथिला पेंटिंंग का प्रशिक्षण दे रहे हैं। ढाई दशक में परिषद के माध्यम से करीब एक हजार से अधिक महिलाओं को प्रशिक्षित किया गया है। इसमें से एक सौ से अधिक कलाकार देश के विभिन्न हिस्सों में मिथिला पेंटिंंग के क्षेत्र में आत्मनिर्भर बन चुके हैं।
सिद्धीनाथ झा के पुत्र 65 वर्षीय षष्ठिनाथ झा ने परिषद के कार्यालय परिसर स्थित पेड़ों पर मिथिला पेंङ्क्षटग उकेर कर पेड़ों की रक्षा के साथ पर्यावरण संरक्षण की पहल शुरू की थी। पेड़ों पर मिथिला पेटिंंग की पहल को देश स्तर पर काफी सराहा भी गया। मिथिला पेटिंंग को बढ़ावा और इसके कलाकारों को प्रोत्साहन के लिए चार दर्जन से अधिक पुरस्कार प्राप्त कर चुके हैं। इनका कहना है कि मिथिला पेंङ्क्षटग के क्षेत्र में महिलाओं की भागीदारी से ही उन्हें आत्मनिर्भर बनाया जा सकता है।
परिषद की ओर से मिथिला पेंटिंग को बढ़ावा देने के लिए प्रशिक्षण के साथ-साथ महिलाओं द्वारा तैयार पेंङ्क्षटग की बिक्री के लिए भी बेहतर प्रयास करते रहे हैं। बताया कि समय के साथ मिथिला पेंटिंग की ऑनलाइन डिमांड अब जोर पकडऩे लगी है। लॉकडाउन में ऑनलाइन व्यवस्था को बल मिलने से जिले के अनेकों मिथिला पेंटिंग कलाकारों ने अपनी पेटिंंग को कला प्रेमियों तक पहुंचाने के लिए ऑनलाइन सिस्टम को अपनाया है। ऑनलाइन पेंटिंग पसंद होने के बाद कलाकारों द्वारा उसे डाकघर या कुरियर के माध्यम से पेटिंंग खरीदारों तक भेज दिया जाता है। खरीदारों द्वारा पेंटिंंग की कीमत कलाकारों के बैंक अकाउंट में भुगतान कर दिया जाता है।