नहीं रहीं स्वतंत्रता संग्राम की अंतिम गवाह सावित्री सिन्हा, सौ वर्ष से अधिक थी आयु Darbhanga News
महात्मा गांधी डॉ. राजेंद्र प्रसाद व आचार्य विनोवा भावे के साथ किया था संघर्ष। सावित्री सिन्हा के निधन की सूचना मिलते ही जुटी भीड़ पहुंचे पूर्व केंद्रीय मंत्री मो. अली अशरफ फातमी।
दरभंगा, जेएनएन। राष्ट्रपिता महात्मा गांधी, देशरत्न राजेंद्र प्रसाद, आचार्य विनोबा भावे जैसे कई महान विभूतियों के साथ देश की सेवा कर चुकी वयोवृद्ध स्वतंत्रता सेनानी सावित्री सिन्हा का निधन उनके निवास स्थान शहर के जुरावन सिंह मोहल्ला में बुधवार की रात हो गया। उनकी आयु सौ वर्ष से अधिक थी। गुरुवार की सुबह उनका दाह संस्कार बागमती नदी के किनारे सतीहारा में कर दिया गया। मुखाग्नि उनके पुत्र वरिष्ठ पत्रकार एवं राजनीतिक चिंतक अमरेश्वरी चरण सिन्हा ने दिया।
पारिवारिक दायित्वों के साथ स्वतंत्रता आंदोलन में लिया भाग
देश की स्वतंत्रता के संघर्ष में जुटे अपने पति स्व. डॉ. ललितेश्वरी चरण सिन्हा के साथ उन्होंने न केवल पारिवारिक दायित्वों का निर्वहन किया बल्कि, स्वतंत्रता आंदोलन में भी बढ़-चढ़कर भाग लिया था। वे कुछ दिनों से बीमार चल रहीं थी।
पहुंचे कई गणमान्य
शहर में स्वतंत्रता संग्राम की शायद अंतिम गवाह के निधन की सूचना मिलते ही उनके आवास पर भीड़ जुटनी शुरू हो गई। शहर के कई गणमान्य लोगों ने उनके आवास पर पहुंचकर उनके शव पर पुष्पाजंलि और माल्यार्पण किया। पूर्व केंद्रीय मंत्री मो. अली अशरफ फातमी, नगर विधायक संजय सरावगी, महापौर बैजंयती देखी खेडिय़ा आदि ने शोक व्यक्त की। बता दें कि जब आचार्य विनोबा भावे ने वर्ष 1951 में स्वैच्छिक भूमि सुधार आंदोलन शुरू किया तो उन्होंने सथानीय स्तर पर इसकी अगुवाई की थी। इसी क्रम में उन्होंने महाराष्ट्र के वर्धा में आचार्य विनोबा भावे के स्थापित पवनार आश्रम में लंबे समय तक अपनी सेवा दी।