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Darbhanga: कोरोना काल में रक्तदान कर बचाई लोगों की जान, 26 बार हो चुके हैं सम्मानित

रक्तवीर उमेश को है रक्तदान करने का है जुनून अबतक 62 मरीजों की बचा चुके हैं जान कोरोना काल में भी पांच लोगों को दिया रक्त लगातार 28 वर्षों से कर रहे पीडि़त मानवता की सेवा सेवा के लिए बना रखा है रक्तवीरों का ग्रुप।

By Dharmendra Kumar SinghEdited By: Published: Mon, 14 Jun 2021 02:56 PM (IST)Updated: Mon, 14 Jun 2021 02:56 PM (IST)
Darbhanga: कोरोना काल में रक्तदान कर बचाई लोगों की जान, 26 बार हो चुके हैं सम्मानित
दरभंगा में रक्‍तदान करते उमेश प्रसाद। प्रतीकात्‍मक तस्‍वीर

दरभंगा, [दिनेश राय] । दरभंगा के उमेश प्रसाद रक्तदान कर लोगों की जान बचा रहे हैं। कोरोना काल में ही पांच लोगों को रक्त दिया है। इनमें कई गंभीर रूप से बीमार थे। कहीं से रक्त की व्यवस्था नहीं हो पा रही थी। 28 साल से इस कार्य में लगे उमेश रक्तदान कर अब तक 62 गंभीर मरीजों की जान बचा चुके हैं। हर तीन माह पर एक बार स्वैच्छिक रक्तदान करते हैं। बीच में अगर किसी को इमरजेंसी होती है तो उसके लिए अपने ग्रुप से जुड़े किसी सदस्य से रक्तदान कराते हैं। उनके साथ 50 से अधिक लोग जुड़े हैं। इनमें अन्य राज्य के भी हैं। सभी वाट््सएप ग्रुप पर एक-दूसरे से संपर्क में हैं। रक्त की जहां भी जरूरत पड़ती है, वहां इनके सदस्य एक्टिव होकर व्यवस्था करते हैं। इनका एक ही उद्देश्य है कि रक्त के अभाव में किसी की जान न जाए। इस काम के लिए उन्हें बिहार रत्न के अलावा वाराणसी, ओडिशा और राजस्थान में सम्मानित भी किया जा चुका है।

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26 बार हो चुके हैं सम्मानित

55 साल के उमेश के इस अभियान में पत्नी गुंजन प्रसाद और 20 वर्षीय पुत्र नीलेश प्रसाद भी लगे हैं। जरूरतमंद लोगों की मदद के लिए वो एक टेलीफोन या मेल पर बिहार ही नहीं अन्य राज्यों तक जाकर रक्तदान करते हैं। उन्हें देश के कई प्रांतों में रक्तवीर के रूप में 26 बार सम्मानित किया जा चुका है। बनारस, उड़ीसा और राजस्थान में भी कई सम्मान मिले हैं।

रक्तदान के लिए बनाई साइट

उमेश ने रक्तदान के लिए एक साइट बनाई है। इसके अलावा व्हाट््सएप नंबर, मोबाइल नंबर, मेल और इंटरनेट मीडिया के माध्यम से रक्तदान करने के लिए सक्रिय रहते हैं। इनके सामने में मात्र एक ही लक्ष्य रहता है कि मरीजों की मौत खून के अभाव में ना हो ।

चिकित्सक डॉ. बीएमपी वर्मा से मिली प्रेरणा

उमेश बताते हैं- उन्हें यह प्रेरणा शहर के चर्चित चिकित्सक डॉ. बीएमपी वर्मा से मिली। डॉ. राजकुमार झा ने भी प्रोत्साहित किया। पहली बार 1992 में मधुबनी के पूर्व सांसद स्व. शिवचंद्र झा की बड़ी पुत्री के लिए रक्तदान किया। इसके बाद से सेवा का सफर जारी है। यदि मेडिकल साइंस के अनुसार एक माह पर रक्तदान करने का आदेश होता तो वह एक माह पर भी रक्तदान करता। तीन माह पर ही रक्तदान करने का आदेश है। तीन माह पूर्व रक्तदान किया था। अब फिर करूंगा।


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