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विदेशी पक्षियों की चहचहाहट से गुलजार हो उठा पश्चिम चंपारण का सरैयामन

पश्चिम चंपारण में इन दिनों मेहमान पक्षियों का आगमन हुआ है। 33 प्रजाति की दुर्लभ पक्षियों का अधिवास क्षेत्र उदयपुर कोरोना बंदिश के कारण पर्यटकों के प्रवेश पर प्रतिबंध की वजह से भी विदेशी पक्षी कलरव कर रहे है।

By Dharmendra Kumar SinghEdited By: Published: Sun, 16 Jan 2022 04:56 PM (IST)Updated: Sun, 16 Jan 2022 04:56 PM (IST)
विदेशी पक्षियों की चहचहाहट से गुलजार हो उठा पश्चिम चंपारण का सरैयामन
पश्‍च‍ि‍म चंपारण के बेत‍िया में व‍िदेशी पक्ष‍ियों का आगमन। प्रतीकात्‍मक तस्‍वीर

बेतिया, {शशि कुमार मिश्र}। इन दिनों विदेशी पक्षियों की चहचहाहट से उदयपुर वनाश्रयी गूंज रहा है। ग्रीनलैंड, साइबेरिया सहित ठंड प्रदेशों से बड़ी संख्या में पक्षियां सरैयामन में आई हैं। पक्षियों के वास के लिए सरैयामन शांत वातावरण अनुकूल है। हालांकि कोरोना बंदिश के कारण पर्यटकों के प्रवेश पर प्रतिबंध की वजह से भी विदेशी पक्षी कलरव कर रहे है। यहां की आवोहवा की अनुकूलता के कारण इस बार लालसर, करछा, दिगौच आदि पक्षियों के अलावा कई तरह की दुर्लभ पक्षियों का आगमन हुआ है। हालांकि यह क्षेत्र 33 प्रजाति की दुर्लभ पक्षियों का बसेरा है। इसमें मेहमान पक्षियों की उपस्थिति इसकी विशेषता को बढ़ा रही है।

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सरैयामन में दुलर्भ पक्षियों के लिए अनुकूल माहौल

उदयपुर वन आश्रयणी में दुर्लभ पक्षियों के लिए अनुकूल माहौल है। इन पक्षियों में इंडियन पीफाउल, ब्लैक बिटर्न, व्हाइट रुम्पेड, वल्चर, मार्श हैरियर और गे्र हेडेड लापङ्क्षवग आदि शामिल हैं। इस प्राकृतिक परिवेश में अपनी मौजूदगी से पर्यटकों के मन - मिजाज को प्रफुल्लित कर रही हैं। यहां का सरैयामन झील कई विशेष तरह के फ्लोरा एवं फाउना के लिए जाना जाता है। झील के चारों ओर मौजूद जामून के पेड़ एवं इनसे गिरने वाले जामून के फल इस पानी को निर्मल बनाती है। इस वजह से भी मन के इर्द - गिर्द पक्षियों के झुंड को देखा जा रहा है। मन की स्वादिष्ट मछलियां पक्षियों का भोजन बन रही हैं।

विभागीय सर्णेक्षण में तैयार किया गया है रिपोर्ट

जूलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया, पटना यूनिवर्सिटी के जंतु विज्ञान विभाग एवं मंदार हील नेचर क्लब, मुंगेर के विशेषज्ञों द्वारा की गई पक्षियों की गणना में यह बात सामने आई है कि यहां कई तरह की दुर्लभ पक्षियों का अधिवास है। गणना के अनुसार इस क्षेत्र में 130 प्रजाति की पक्षी कलरव करती हैं। इनमें 90 प्रजाति की पक्षी भारतीय उप महाद्विपीय हैं। इसके अलावा प्रवासीय पक्षी हैं, जिनका आगमन मुख्य रूप से शरद ऋतु में ही होता है। इन दुर्लभ पक्षियों में जंगली बुश कोयल, जंगली मूर्गा, बगुला, विभिन्न तरह की गिद्ध आदि शामिल हैं।

ये हैं उदयपुर में अधिवास करने वाली दुर्लभ पक्षी

जंगली बुश कोयल, रेड जंगली फाउल (जंगली मुर्गा), इंडियन पीफाउल, कॉटन पिगमी गूज, ग्रेट क्रेस्टेड ग्रेब, ब्लैक बिटर्स, लिटल इग्रोट(लगुला), इजिप्टियल फल्चर (प्रवासी गीद्ध), ह्वाईट रप्चर भल्चर, ग्रीफर भल्चर, रेड हेडेड भल्चर, कॉमन मोरहेन ग्रे हेडेड लैपविन, एसियन कोयल, ब्लू टेल्ड बिटर, इडियन ग्रे हार्न बिल, ग्रे कैप्ड पीगोनी वुड पेकर, एलो क्राउंड वुड पेकर, हिमालयन गोल्ड ब्लैक आदि शामिल हैं।

- राज्य सरकार ने उदयपुर को वर्ष 2010 में पूर्ण रूप से वन आश्रयणी घोषित कर दिया अनुकूल परिस्थितियों के कारण यहां दुर्लभ प्रजातियों की पक्षी अधिवास करती हैं। इस पर वन विभाग का ध्यान रहता है और निरंतर मॉनीटङ्क्षरग की जाती है। -एचके राय वन संरक्षक सह क्षेत्र निदेशक वाल्मीकि टाईगर रिजर्व


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