संकष्टी गणेश चतुर्थी आज, वर्षों बाद बना खास संयोग
परिवार की सुख-समृद्धि की कामना को लेकर गणपति पूजन करेंगी महिलाएं, रखेंगी व्रत। जानें व्रत करने की विधि....
मुजफ्फरपुर, जेएनएन। माघ मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को संकष्टी चतुर्थी के नाम से जाना जाता है। इस बार यह गुरुवार को है, जिस कारण इसका महत्व और भी बढ़ गया है। ज्योतिष मर्मज्ञ पं.प्रभात मिश्र बताते हैं कि गुरुवार के दिन संकष्टी चतुर्थी का पडऩा ज्यादा शुभ माना जाता है।
इस दिन महिलाएं परिवार की सुख-समृद्धि के साथ-साथ अपने बच्चों की खुशहाली की कामना करती हैं। गुरुवार की रात महिलाएं चंद्रमा को अघ्र्य देकर व्रत पूरा करेंगी। इस बार संकष्टी गणेश चतुर्थी पर पूर्वाफाल्गुनी नक्षत्र मिल रहा है। यह व्रत सर्वमंगलकारी है।
खास बात यह भी है कि इस बार 48 वर्षों के बाद अद्र्धकुंभ के दौरान ये व्रत होगा। इस दिन गुरुवार होने के कारण गणपति के साथ भगवान विष्णु का भी पूजन किया जाएगा।
इस विधि से करें संकष्टी व्रत
- सुबह स्नानादि के बाद उत्तर या पूर्व दिशा की ओर मुख करके गणपति का पूजन करें।
- उन्हें दूब, फूल, रोली, फल, मोदक व पंचामृत अर्पित करें।
- संकष्टी चतुर्थी के दिन गणपति को तिल के लड्डू का खास तौर पर भोग लगाएं।
- व्रत की कथा सुनें और आरती करें।
- संध्या समय चंद्रोदय के बाद चंद्रमा को अघ्र्य देकर व्रत खोलें।