पश्चिम चंपारण निवासी के प्रमोद बैठा के लिए आत्मनिर्भरता का मंत्र बना संबल
जुलाई में पश्चिम चंपारण में एलईडी बल्ब बनाने की फैक्ट्री लगाने वाले प्रमोद दूसरों को दे रहे रोजगार। लॉकडाउन से पहले दिल्ली की फैक्ट्री में करते थे मजदूरी प्रधानमंत्री ने मन की बात कार्यक्रम में की चर्चा ।
पश्चिम चंपारण, जासं। कोरोना काल में नौकरी गई तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आत्मनिर्भरता का मंत्र संबल बना। इसे अपनाते हुए पश्चिम चंपारण निवासी प्रमोद बैठा ने अपने हुनर को अवसर में बदलने की ठानी। एलईडी बल्ब बनाने का काम शुरू किया। आठ महीने में व्यापार इतना बढ़ चुका है कि दूसरों को रोजगार दिया है। रविवार को प्रधानमंत्री ने 'मन की बात कार्यक्रम में उनकी चर्चा की।
मझौलिया प्रखंड के रतनमाला गांव निवासी प्रमोद बैठा 10 वर्ष पहले रोजगार की तलाश में दिल्ली गए थे। वहां एलईडी बल्ब बनाने वाली एक फैक्ट्री में मजदूरी करते थे। इससे प्रतिदिन 200 से 300 रुपये मिल जाते थे। होली, दीपावली पर प्रमोद गांव आते थे तो कुछ बल्ब भी लाते थे। उसे यहां के दुकानदारों व ग्राहकों को बेचते थे।
प्रमोद की इच्छा थी कि वे खुद की फैक्ट्री गांव में लगाएं। लेकिन आॢथक तंगी के खौफ से नौकरी छोडऩे का साहस नहीं जुटा पाते थे। बीते वर्ष कोरोना के चलते लॉकडाउन हुआ तो नौकरी चली गई। वे गांव लौट आए। प्रधानमंत्री के आत्मनिर्भरता के मंत्र पर काम करने की ठानी। फैक्ट्री शुरू करने की बात पत्नी संजू देवी से बताई। गांव में संचालित स्वयं सहायता समूह से जुड़ीं पत्नी ने 25 हजार रुपये लोन लिया। पांच हजार पास से लगाकर 30 हजार की पूंजी से जुलाई में घर के एक कमरे में ही एलईडी बल्ब बनाने का कार्य शुरू किया। प्रमोद प्रतिदिन 50 बल्ब बनाकर बेचते थे। काम चल निकला तो दोस्तों और रिश्तेदारों की मदद से 3.50 लाख रुपये जुटाए। 1.70 लाख खर्च कर बल्ब बनाने की मशीन लगाई। बाकी रकम कच्चा माल में लगाया। अभी उनकी फैक्ट्री में प्रतिदिन 1000 से 1200 बल्ब बन रहा है। एक बल्ब बनाने में 12 रुपये लागत आती है। 15 रुपये में बिकता है।
प्रमोद बताते हैं कि पश्चिम व पूर्वी चंपारण के विभिन्न शहरों में रोजाना 5000 बल्ब की डिमांड है। ऑर्डर पूरा नहीं कर पाते, क्योंकि पूंजी का अभाव है। 10 मजदूर काम कर रहे हैं। मन की बात कार्यक्रम में चर्चा से खुशी हो रही। उनकी फैक्ट्री में काम करने वाले रोहित का कहना है कि बाहर जाने की जगह यहीं काम मिल गया। प्रतिदिन दो से तीन सौ रुपये मिल जाते हैं। जिलाधिकारी कुंदन कुमार का कहना है कि हुनरमंद मजदूरों के लिए प्रमोद प्रेरणास्रोत हैं। उन्हेंं हर तरह का सहयोग दिया जाएगा।