Samastipur News: हिंदी कथाकार के निधन पर जनवादी लेखक संघ ने व्यक्त की शोक
Samastipur News प्रख्यात हिंदी कथाकार डॉ. रमेश उपाध्याय के निधन पर जनवादी लेखक संघ ने गहरा शोक व्यक्त किया है। संघ के जिलाध्यक्ष शाह जफर इमाम ने जानकारी दी कि डॉ. उपाध्याय का दिल्ली के एक निजी अस्पताल में निधन हो गया।
समस्तीपुर, जागरण संवाददाता। प्रख्यात हिंदी कथाकार डॉ. रमेश उपाध्याय के निधन पर जनवादी लेखक संघ ने गहरा शोक व्यक्त किया है। संघ के जिलाध्यक्ष शाह जफर इमाम ने जानकारी दी कि डॉ. उपाध्याय का दिल्ली के एक निजी अस्पताल में निधन हो गया। डॉ. उपाध्याय का जाना जनवादी लेखन आंदोलन के लिए भारी क्षति है। 1942 में उत्तर प्रदेश में जन्मे स्व. उपाध्याय की उम्र लगभग 79 वर्ष थी और पिछले कुछ दिनों से वे कोरोना से संक्रमित थे। उनके निधन पर जनवादी लेखक संघ के जिला संरक्षक डॉ. शंकर प्रसाद यादव, सचिव डॉ. रामदेव महतो, उपाध्यक्ष डॉ. विनीता कुमारी, डॉ. अरुण अभिषेक एवं शरफे आलम, संयुक्त सचिव डॉ. शशि भूषण कुमार शशि, कासिम सबा, अरविंद कुमार दास एवं शंभू शरण यादव ने दुख व्यक्त करते हुए उन्हें श्रद्धांजलि दी तथा उनके परिवार के सदस्यों, उनके रिश्तेदारों, उनके साहित्यिक मित्रों एवं शुभचिंतकों के प्रति हार्दिक संवेदना व्यक्त की है।
कहानी संग्रह करने के साथ-साथ लिखी कई पुस्तकें
लगभग 60 वर्षों के अपने लेखकीय जीवन में उनकी पहली कहानी 1962 में प्रकाशित हुई थी और उनका पहला कहानी संग्रह जमी हुई झील 1969 में प्रकाशित हुआ। 1981 में जनवादी लेखक संघ की स्थापना में डॉ. उपाध्याय ने महत्वपूर्ण भूमिका अदा की थी। उन्होंने 15 कहानी संग्रह, तीन नाटक, कई नुक्कड़ नाटक एवं आलोचना की कई पुस्तकें भी लिखीं। गुजराती और अंग्रेजी की कई किताबों का उन्होंने हिंदी में अनुवाद भी किया। दिल्ली विश्वविद्यालय के कॉलेज ऑफ वोकेशनल स्टडीज में तीन दशकों तक एक अध्यापक के रूप में भी डॉ. उपाध्याय ने अपनी जिम्मेदारी का निर्वाह किया। आज के सवाल पुस्तक श्रृंखला का भी उन्होंने संपादन किया। अपने स्तरीय एवं महत्वपूर्ण लेखन के लिए उन्हें कई पुरस्कारों से सम्मानित भी किया गया था। वे अपने पीछे पत्नी, एक पुत्र तथा एक पुत्री एवं बड़ी संख्या में सगे-संबंधी छोड़ गए हैं। उनकी बेटी प्रज्ञा हिंदी की जानी-मानी लेखिका हैं जबकि बेटा अंकित चित्रकार हैं और पत्नी सुधा उपाध्याय भी हिंदी की लेखिका हैं।