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सदर अस्पताल में नवजात को बोतल से दूध पिलाने पर पूरी तरह रोक, स्तनपान के लिए जागरूकता

स्तनपान से शिशुओं में नहीं होता डायरिया और निमोनिया। इसका बढ़ावा देने के लिए स्वास्थ्य कर्मी कर रहे प्रचार-प्रसार।

By Ajit KumarEdited By: Published: Wed, 05 Aug 2020 05:39 PM (IST)Updated: Wed, 05 Aug 2020 05:39 PM (IST)
सदर अस्पताल में नवजात को बोतल से दूध पिलाने पर पूरी तरह रोक, स्तनपान के लिए जागरूकता
सदर अस्पताल में नवजात को बोतल से दूध पिलाने पर पूरी तरह रोक, स्तनपान के लिए जागरूकता

समस्तीपुर, जेएनएन। सदर अस्पताल में नवजात को बोतल से दूध पिलाने पर पूरी तरह रोक लगा दी गई है। स्तनपान को बढ़ावा देने को लेकर दूध की बोतल मुक्त परिसर बनाया गया है। इस काम में मां का सहयोग जरूरी है। यदि विशेष परिस्थितियों में बच्चे को डिब्बा बंद दूध पिलाना हो तो चम्मच कटोरी की मदद लें न कि बोतल की। बोतल से दूध पीने से बच्चों को कई प्रकार के संक्रमण का खतरा रहता है। विश्व स्तनपान सप्ताह को लेकर स्वास्थ्य विभाग ने इसे अमल में लाने की योजना बनाई है।

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कुपोषण से बच्चों को सुरक्षित रखने में कारगर

स्तनपान नवजात और शिशु मृत्यु दर में कमी लाता है। साथ ही स्तनपान डायरिया, निमोनिया और कुपोषण से बच्चों को सुरक्षित रखने में कारगर साबित होता है। इसको लेकर कार्यपालक निदेशक मनोज कुमार ने इस बार के विश्व स्तनपान सप्ताह के दौरान जिला सदर अस्पताल सहित सभी प्रथम रेफरल इकाई को बोतल दूध मुक्त घोषित करने का निर्देश दिया है। मिल्क सब्सटीट््यूट एक्ट 1992 का वर्ष 2003 में संशोधन हुआ। इसके अनुसार किसी भी प्रकार के दूध उत्पाद और बोतल दूध के प्रचार-प्रसार पर प्रतिबंध लगाया गया ताकि स्तनपान की जगह बोतल दूध के इस्तेमाल में कमी लायी जा सके।

स्तनपान से शिशुओं में नहीं होता डायरिया और निमोनिया

जन्म के प्रथम एक घंटा में स्तनपान शुरू करने वाले नवजात में मृत्यु की संभावना 20 प्रतिशत तक कम हो जाती है। प्रथम छह महीने तक केवल स्तनपान करने वाले शिशुओं में डायरिया एवं निमोनिया से होने वाली मृत्यु की संभावना क्रमश: 11 व 15 गुणा कम हो जाती है। स्तनपान करने वाले शिशुओं की शारीरिक एवं बौद्धिक विकास में समुचित वृद्धि होती है और व्यस्क होने पर बहुत सारी बीमारियों के होने का खतरा कम हो जाता है। स्तनपान कराने वाली माताओं में स्तन एवं ओवरी कैंसर होने का खतरा कम रहता है। इस कार्यक्रम में समेकित बाल विकास सेवाएं निदेशालय के पदाधिकारियों की भागीदारी अपेक्षित है। कार्यक्रम के सफल संचालन के लिए जिला योजना समन्वयक को नोडल पदाधिकारी बनाया गया है। इस वर्ष का विषय माता-पिता को स्तनपान के लिए सशक्त एवं सक्षम बनाना है।

स्तनपान को बढ़ावा देने के लिए हो रहा प्रचार-प्रसार

एएनएम, आशा और आंगनबाड़ी कार्यकर्ता द्वारा विश्व स्तनपान सप्ताह के दौरान अधिक से अधिक माताओं को शिशु के जन्म के एक घंटे के अंदर स्तनपान प्रारंभ करने में मां की सहायता करनी है। साथ ही गर्भवती महिलाओं को छह महीने तक केवल स्तनपान कराए जाने के महत्व को बताया जाना है। आंगनबाड़ी सेविका एवं आशा अगस्त महीने में होने वाली बैठक में सभी दो वर्ष तक के बच्चों की माताओं को निमंत्रित कर उन्हें जानकारी देंगी। बच्चों के पोषण स्तर में सुधार के आधार पर संबंधित माताओं की प्रशंसा की जाएगी। साथ ही संभव होने पर पंचायती राज संस्थाओं के महिला पदाधिकारियों द्वारा प्रोत्साहित कराया जाना है।

मां के साथ-साथ अभिभावकों को किया जा रहा जागरूक

विश्व स्तनपान सप्ताह की थीम में स्तनपान को बढ़ावा देने के लिए मां के साथ पिता और अन्य अभिभावकों को भी जागरूक किया जा रहा है। स्तनपान को बढ़ावा देने के लिए अभिभावकों का सशक्तीकरण एक गतिविधि नहीं है बल्कि एक ऐसी प्रक्रिया है जो प्रसव पूर्व जांच के दौरान और शिशु के जन्म के समय अवश्य प्रदान की जानी चाहिए। मां बच्चे को नियमित रूप से स्तनपान तभी कराती है जब उसे एक सक्षम माहौल और पिता, परिवार के साथ समुदायों से आवश्यक सहयोग प्राप्त होता है।

दूध बोतल मुक्त परिसर बनाया गया

जिला स्वास्थ्य समिति, समस्तीपुर के जिला योजना समन्वयक आदित्य नाथ झा ने कहा कि स्तनपान को बढ़ावा देने के साथ ही सदर अस्पताल को दूध बोतल मुक्त परिसर बनाया गया है। इससे नवजात और शिशु मृत्यु दर में कमी आएगी। साथ ही स्तनपान डायरिया, निमोनिया और कुपोषण से बच्चों को सुरक्षित रखने में कारगर साबित होगा। जन्म के एक घंटा के भीतर स्तनपान कराने को लेकर स्वास्थ्य संस्थानों में मां को जागरूक किया जा रहा है। 


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