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RLD Chief Ajit Singh Died: चौधरी अजित सिंह का बिहार के मुजफ्फरपुर से रहा है भावनात्मक जुड़ाव

RLD Chief Ajit Singh चौधरी अजित सिंह का बिहार के मुजफ्फरपुर के भावनात्मक लगाव रहा है। यहां के सहकारिता नेता वीरेंद्र राय व अन्य किसानों के लगातार संपर्क में रहते थे। किसानों व खेती की बेहतरी के हमेशा मार्गदर्शन किया करते थे।

By Ajit KumarEdited By: Published: Thu, 06 May 2021 11:18 AM (IST)Updated: Thu, 06 May 2021 12:10 PM (IST)
RLD Chief Ajit Singh Died: चौधरी अजित सिंह का बिहार के मुजफ्फरपुर से रहा है भावनात्मक जुड़ाव
सहकारिता नेता वीरेंद्र राय से यहां के किसानों व खेती की स्थिति के बारे में पूछते रहते थे। फाइल फोटो

मुजफ्फरपुर, आनलाइन डेस्क। RLD Chief Ajit Singh: पूर्व प्रधानमंत्री व किसान नेता चौधरी चरण सिंह के पुत्र चौधरी अजित सिंह का गुरुवार की सुबह निधन हो गया। वे कोरोना संक्रमित थे। यूं तो वे कभी मुजफ्फरपुर नहीं आए, लेकिन उनका यहां से भावनात्मक जुड़ाव था। इस बारे में जिला के सहकारिता नेता वीरेंद्र राय ने कहा कि पूर्व प्रधानमंत्री व किसान नेता चौधरी चरण सिंह यहां आए थे। इस वजह से चौधरी अजित सिंह का मुजफ्फरपुर से भावनात्मक लगाव हो गया था। अजमेर में उनसे हुए मुलाकाता की बात को याद करते हुए वे कहते हैं कि उन्होंने यहां के किसानों व खेती की हालत के बारे में विस्तार से बातचीत की थी। कैसे किसानों व खेती का भला हो, इसके लिए गई सुझाव दिए थे। यहां सिंचाई की उपयुक्त व्यवस्था नहीं होने पर चिंता प्रकट की थी।

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पश्चिम उत्तर प्रदेश व हरियाणा में गहरी पैठ रखने वाले छोटे चौधरी की पहचान जाट नेता के रूप में भी थी। वे विगत 20 अप्रैल को कोरोनवायरस से संक्रमित हो गए थे। आरएलडी प्रमुख व पूर्व केंद्रीय मंत्री अजित सिंह के निधन की पुष्टि उनके पुत्र व पूर्व सांसद जयंत चौधरी ने की। दिल्ली के एक निजी अस्पताल में उनका इलाज चल रहा था। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उनके निधन पर दुख व्यक्त किया है। कहा, वे हमेशा किसानों के कल्याण के लिए समर्पित थे। उन्होंने केंद्र में कई विभागों की जिम्मेदारियों का कुशलता से निर्वहन किया था। 

  तिमुल के अध्यक्ष और जिला के सहकारिता नेता वीरेंद्र राय कहते हैं कि अजमेर में मुलाकात के दौरान अजित सिंह ने खुद कहा था कि 1974 के आंदोलन के दौरान मेरे पिताजी स्व.चौधरी चरण सिंह मुजफ्फरपुर गए थे। इसलिए उस जगह से मेरा भावनात्मक लगाव है। यहां के खैती की शैली में बदलाव का उन्होंने सुझाव दिया था। जिससे यह किसानों के लिए लाभकारी हो सके। सिंचाई के लिए बारिश पर निर्भर होने पर उन्होंने चिंता प्रकट की थी। उनके निधन पर वीरेंद्र राय ने दुख प्रकट किया है।  


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