राजद नेता का आरोप, सीतामढ़ी में कोरोना जांच के नाम पर फर्जीवाड़ा
पूर्व सांसद डॉ. अर्जुन राय का आरोप सीएस का इन्कार। कहा कि रीगा डुमरा रुन्नीसैदपुर प्रखंड में 30000 फर्जी जांच में दो करोड़ अस्सी लाख रुपये के घोटाले हुए। ये घोटाले एंटीजन टेस्ट किट की आड़ में तो हुए। शासन-प्रशासन को इसकी जिम्मेवारी ले और दोषियों पर सख्त कार्रवाई करे।
सीतामढ़ी, जासं। राजद नेता और पूर्व सांसद डॉ. अर्जुन राय ने कहा कि यहां भी कोरोना जांच में करोड़ों के घोटाले हुए। जांच कराने वाले के नाम फर्जी, मोबाइल नंबर जीरो, पता और उम्र भी फर्जी अंकित है। वे शनिवार को अपने आवास पर पत्रकारों से बात कर रहे थे। कहा कि रीगा, डुमरा, रुन्नीसैदपुर प्रखंड में 30000 फर्जी जांच में दो करोड़ अस्सी लाख रुपये के घोटाले हुए। ये घोटाले एंटीजन टेस्ट किट की आड़ में तो हुए। क्या गारंटी कि जांच कराने वालों को सही रिपोर्ट दी गई हो। शासन-प्रशासन को इसकी जिम्मेवारी ले और दोषियों पर सख्त कार्रवाई करे।
फर्जी सूची बनाई गई
पूर्व सांसद ने कहा कि मेरे पास कुछ कागजात हैं। इससे पता चलता है कि टेस्ट के नाम पर वोटर लिस्ट से नाम उतारकर फर्जी सूची बना ली गई। इसके जरिए जांच रिपोर्ट तैयार कर करोड़ों रुपये लूटे गए। रीगा, डुमरा और रुन्नीसैदपुर से फर्जी नाम वाली सूची मिली है। इसमें 30000 लोगों के नाम को सामने मोबाइल नंबर 10 अंकों का सिर्फ शून्य-शून्य और 10 अंक सिर्फ एक-एक अंकित है। एक व्यक्ति ने दो जगह रीगा और डुमरा में जांच कराई। मगर उसका नाम तीन जगह मोबाइल नंबर के साथ है। रुन्नीसैदपुर में मोरसंड गांव में भी उसका नाम अंकित है। उक्त व्यक्ति के एक छोटे भाई ने जांच कराई भी नहीं है। मगर उसका नाम भी डुमरा में जांच में अंकित है। सिविल सर्जन और एसीएमओ ऑफिस में उनके स्टॉफ के नाम के सामने भी मोबाइल नंबर शून्य-शून्य व एक-एक इसी तरहअंकित हैं। सिविल सर्जन डॉ. राकेश चंद्र सहाय से बात की तो पहले उन्होंने कहा कि कोई गड़बड़ी नहीं है। बाद में कहा कि कि दो दिन पहले मुझे जानकारी मिली। मैंने पूछा कि आपने कार्रवाई क्या की तो वे कहने लगे कि शुक्रवार शाम जानकारी मिली। फिर मैंने कहा कि क्या एक्शन लिया तो कहा कि स्पष्टीकरण पूछ रहे हैं। सिविल सर्जन ने बताया कि चार लाख लोगों का टेस्ट हुआ है।
कोरोना जांच पर भी सवाल
कहा कि एक किट पर 900 रुपये भुगतान दिखाया गया। इस प्रकार 30000 किट के नाम पर तीन प्रखंडों में दो करोड़ अस्सी लाख रुपये का फर्जीवाड़ा हुआ। यह तो बानगी भर है। जहां चार लाख किट में दो लाख फर्जी होंगे तो करोड़ों रुपये का यह घोटाला है। अगर फर्जी नंबर डाला है तो कैसे पता चलेगा कि जांच पॉजिटिव आई या निगेटिव।
कोई घोटाला नहीं
सिविल सर्जन ने कहा कि कोई घोटाला नहीं हुआ। यह बात सही है कि कार्य की अधिकता के कारण जांच कराने वालों की डेटा एंट्री में कोई चूक रह गई हो। इसके लिए वैसे लोगों पर कार्रवाई होगी। जांच के लिए भीड़ उमड़ रही थी। सभी जल्दबाजी में थे। इसलिए कैंप मोड में कार्य हुआ।