BPSC Results: 63वीं सिविल सेवा परीक्षा का रिजल्ट जारी, मुजफ्फरपुर के ऋषभ रहे टॉप-10 में...
2014 में कैट के बाद अब बीपीएससी में मारी बाजी रोशन किया जिले का नाम। लक्ष्मी नारायण नगर कॉलोनी में ऋषभ के घर बधाई देने वालों का तांता।
मुूजफ्फरपुर, जेएनएन। शहर के ऋषभ कुमार ने बिहार लोक सेवा आयोग (बीपीएससी) में परचम लहराकर जिले का नाम रोशन किया है। बीपीएससी की 63वीं संयुक्त प्रतियोगिता परीक्षा में ऋषभ को टॉप टेन में 9वां स्थान हासिल हुआ है। बिहार प्रशासनिक सेवा में ऋषभ एसडीएम के पद पर तैनात होंगे। बेला इलाके में लक्ष्मी नारायण नगर कॉलोनी (रामकृष्ण आश्रम) में खुशियों का माहौल है। बेटे का रिजल्ट सुनकर माता-पिता ने सबसे पहले ईश्वर का धन्यवाद किया। वे गोशाला स्थित बाबा शक्तिनाथ धाम मंदिर गए और पूजा-अर्चना की। इसके पहले 2014 में कैट की परीक्षा में ऋषभ ने सफलता पाई थी।
टॉप 10 में इन्होंने बनाई जगह
प्रथम स्थान भोपाल में कार्यरत श्रीयांश तिवारी ने प्राप्त किया है। दूसरे स्थान पर नालंदा जिले के नगरनौसा गांव के अनुराग कुमार, तीसरे पर पूर्णिया के मेराज जमील, चौथे पर पटना के आनंदपुरी मोहल्ले की सुनिधि रहीं। पांचवीं रैंक विश्वनाथगंज खगडिय़ा की श्रेया सलोनी ने प्राप्त किया। छठी रैंक नारदीगंज, नवादा की अर्चना कुमारी, सातवीं जमालपुर गोगरी, खगडिय़ा के अमूल्य रत्न, आठवीं पीसी कॉलोनी, कंकड़बाग की सृष्टि प्रिया, नौवीं मुजफ्फरपुर के हृषव तथा 10वीं रैंक बाबा बासुकीनाथ कॉलोनी, भागलपुर के शैलेंद्र कुमार सिंह ने प्राप्त किए हैं।
बेटे की सफलता से संवेदक पिता गौरवान्वित
ऋषभ का परिवार शिक्षित और खुशहाल रहा है। उनके पिता शैलेंद्र कुमार उर्फ राजू ओझा सरकारी विभागों के संवेदक हैं। मां कृष्णा कुमारी सेवानिवृत्त शिक्षक हैं। माधोपुर सुस्ता मध्य विद्यालय में पढ़ाया करती थीं। ऋषभ के पिता अपने बेटे की शानदार सफलता से फुले नहीं समा रहे। उनका कहना है कि पेशे से एक ठेकेदार होने के कारण अफसरों को सलाम ठोकना पड़ता है। मगर अब मेरे बेटे को लोग सलाम करेंगे। एक पिता के लिए इससे बढ़कर और बड़ी बात क्या होगी। कहते हैं कि ऋषभ पर बचपन से ही उम्मीद बंधी थी। वह तीन बहनों में सबसे छोटी संतान है। उसकी बड़ी बहन ज्योत्सना एमएससी एजी पासआउट है। दूसरी बहन निवेदिता नालंदा मेडिकल कॉलेज में डॉक्टरी की पढ़ाई कर रही है। तीसरी निकिता दिल्ली में गलगोटिया इंजीनियरिंग कॉलेज से इंजीनियरिंग कर रही है।
बचपन से ही सिविल सेवा में जाना चाहते थे ऋषभ
ऋषभ के पिता बताते हैं कि वह अभी बीस साल का है। 20 नवंबर, 1991 को उसका जन्म हुआ। ऋषभ बचपन से ही सिविल सेवा में जाना चाहते थे। यहीं सपना लेकर 2007 में दिल्ली गए। वहां इलेक्ट्रिकल इंजीनियङ्क्षरग में नामांकन लिया। इंजीनियङ्क्षरग के साथ सिविल सर्विसेज की तैयारी में जुटे रहे। उनका लक्ष्य यूपीएससी की परीक्षा उत्तीर्ण करना है। उस परीक्षा की तैयारी का आकलन करने के लिए ऋषभ ने बीपीएससी की परीक्षा दी और ये मुकाम हासिल हुआ है। इसके पहले भी उन्होंने परीक्षा देने की कोशिश की थी मगर नहीं दे पाए।
ऋषभ के पिता बताते हैं कि वह 2007 में दसवीं की परीक्षा में 97.2 फीसद अंक हासिल कर जिले में सेकेंड टॉपर रहा। गणित व विज्ञान में ऋषभ को सौ-सौ नंबर आए थे। वह बचपन से ही मेधावी था। ऋषभ की सफलता से ननिहाल महंत मनियारी में भी खुशियों का माहौल है। गांव वालों का कहना है कि ऋषभ के बारे में पहली बार तब जाना जब कैट में सफलता पाई। उसके मामा विनय कुमार शर्मा व प्रमोद कुमार शर्मा का कहना है कि ऋषभ की प्रतिभा और परिश्रम का यह प्रतिफल है। साथ ही उसके माता-पिता की तपस्या और बहनों की प्रेरणा काम आई है।