जुलूस-ए-अमारी में दिखा करबला की जंग के बाद मदीना वापसी का मंजर
जुलूस नवाब तकी खां इमामबाड़ा से निकल कर छोटी करबला दुर्गा स्थान पहुंचा। इसमें उजड़े हुए काफिलों को दर्शाया गया था।
By Ajit KumarEdited By: Published: Sat, 17 Nov 2018 09:07 PM (IST)Updated: Sat, 17 Nov 2018 09:07 PM (IST)
मुजफ्फरपुर,जेएनएन। जुलूस-ए-अमारी ने करबला की जंग के बाद इमाम हुसैन के उजड़े हुए काफिलों की मदीना वापसी याद दिलाई। अमारियों को देख शिया समुदाय के लोग अपने आंसू नहीं रोक सके। सबसे आगे जनाबे जैनब की अमारी थी। उनके पीछे जनाबे उम्मे कुलसुम, जनाबे उम्मे रबाब, उम्मे लैला, उम्मे फरवा, जनाबे फिज्जा आदि का अमारी था।
हजरत अब्बास का अलम, इमाम हसन असकरी का ताबूत, चुप ताजिया, व अली असगर का झूला जुलूस में शामिल थे। जुलूस नवाब तकी खां इमामबाड़ा से निकल कर छोटी करबला दुर्गा स्थान पहुंचा। बनारस बैंक चौक पर अमारी जुलूस को देखने के लिए काफी भीड़ उमड़ी। तकरीर में कर्बला की जंग में हजरत मुहम्मद साहब के नवासे इमाम हुसैन और उनके 72 साथियों पर ढाए गए जुल्म का दास्तां सुनाई तो पूरा मजमा फफक कर रो पड़ा। मौलाना ने कहा कि इमाम हुसैन ने हक की हिफाजत के लिए अपनी एवं अपने परिवार की शहादत दी। जुल्म के खिलाफ जो कुर्बानी इमाम ने दी वह दुनिया की इकलौती मिसाल है।
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