शाही लीची ताजा रखने के लिए हो रहे अनुसंधान
शाही लीची को उसकी मिठास ने देश- विदेश में विशेष पहचान दी है। मगर, इस विशेष पहचान को खोने का खतरा मंडरा रहा।
मुजफ्फरपुर। शाही लीची को उसकी मिठास ने देश- विदेश में विशेष पहचान दी है। मगर, इस विशेष पहचान को खोने का खतरा मंडरा रहा। हाल के वर्षो में जो शाही लीची बाहर भेजी जा रही वह पूरी तरह तैयार नहीं होती। इस कारण उसमें मिठास की जगह खटास रह जाती। अब इसे किसी साजिश का हिस्सा कहें या पैसे का लोभ, शाही लीची का नाम खराब होने की आशंका है।
मानक के अनुरुप नहीं अभी शाही लीची
लीची अनुसंधान केंद्र के निदेशक डॉ. विशाल नाथ का मानना है कि शाही लीची 20 मई तक तैयार होगी। अभी इसकी एसिडिटी व टीएसएस (कुल घुलनशील ठोस) का अनुपात मानक नहीं हो पाया है। वहीं इसका वजन भी औसत से छह से आठ ग्राम कम है। रंग भी चटक लाल नहीं। इससे अभी इसमें खटास है। जो भी किसान या व्यवसायी अभी शाही लीची की बिक्री कर रहे वे इसकी पहचान को संकट में डाल रहे। उनसे गुजारिश है कि मानक के अनुरूप होने पर ही लीची की बिक्री करें। क्योंकि प्रतिस्पद्र्धा में अब देहरादून व अन्य जगह की लीची भी है। खटास के कारण अगर बाहर के लोगों ने इसे खारिज कर दिया तो थोड़े से लाभ के लिए बड़ा नुकसान हो जाएगा।
शाही लीची के लिए यह है मानक स्थिति
एसिडिटी - 0.5 से 0.6 प्रतिशत
टीएसएसी (मिठास) - 18 प्रतिशत
वजन - कम से कम 20 ग्राम प्रति लीची
पल्प रिकवरी - 60 से 70 प्रतिशत
रंग - चटक लाल
अभी यह है स्थिति
एसिडिटी - एक प्रतिशत
टीएसएसी (मिठास) - 10 से 12 प्रतिशत
वजन - 14 ग्राम प्रति लीची
पल्प रिकवरी - 40 से 50 प्रतिशत
रंग - हरा
डेढ़ से दो माह तक ताजा रखने की कोशिश
शाही लीची मीठी होने के साथ ही कोमल भी होती। इसे अधिक दिनों तक ताजा नहीं रखा जा सकता। इसके लिए लगातार अनुसंधान हो रहे। चार से छह डिग्री सेल्यिस तापमान व 55 से 60 फीसद आर्द्रता में इसे डेढ़ से दो माह तक ताजा रखा जा सकता है। डॉ. विशाल नाथ ने बताया कि पांच टन की क्षमता वाला एक कोल्ड रूम तैयार है। इतनी ही क्षमता का एक और सोलर कोल्ड रूम तैयार किया जा रहा। इसके अलावा 60 टन की क्षमता वाले एक मॉडल पैक हाउस व दो रेफर वैन का डीपीआर तैयार है। इसमें करीब दो करोड़ की लागत आएगी। इससे लीची को स्टोर करने के साथ ही रेफर वैन से बाहर भी भेजा जा सकेगा। इस वैन में कोल्ड चेन बरकरार रहेगा।