एडीजे से मारपीट मामले में हाईकोर्ट में सौंपी गई रिपोर्ट, अगली सुनवाई एक को
जज के कक्ष में लोडेड पिस्तौल के साथ पुलिस पदाधिकारियों के प्रवेश पर कोर्ट ने किया सवाल। एडीजे के साथ मारपीट के आरोपित दोनों पुलिस अधिकारी किए गए निलंबित।
मधुबनी। झंझारपुर कोर्ट परिसर में 18 नवंबर को एडीजे अविनाश कुमार प्रथम के कक्ष में घटी घटना मामले में सोमवार को हाईकोर्ट में रिपोर्ट सौंपी गई। मामले की सुनवाई हाईकोर्ट में जस्टिस राजन गुप्ता की खंडपीठ ने की। कोर्ट ने लोडेड पिस्तौल के साथ पुलिस पदाधिकारियों के जज के कक्ष में पहुंचने पर सवाल किया। कोर्ट ने इस मामले में सहयोग के लिए एमिकस क्यूरी नियुक्त करने का निर्णय लिया है। सुनवाई के दौरान राज्य सरकार के महाधिवक्ता ने कहा कि राज्य की पुलिस दोनों पक्षों के मामलों को निष्पक्ष ढ़ंग से अनुसंधान करने में सक्षम है। कोर्ट को बताया कि दोनों पुलिस अधिकारियों को निलंबित कर दिया गया है। कोर्ट ने मामले की अगली सुनवाई के लिए एक दिसंबर की तिथि तय की है। बता दें कि मधुबनी के प्रभारी जिला जज की रिपोर्ट पर स्वत: संज्ञान लेते हुए हाईकोर्ट ने घटना के दिन ही राज्य के मुख्य सचिव, डीजीपी, प्रधान सचिव एवं मधुबनी एसपी को नोटिस करते हुए सुनवाई के लिए 29 नवंबर की तिथि तय की थी। दोनों पक्षों के आ चुके बयान : घटना के बाद एडीजे अविनाश कुमार प्रथम के बयान पर झंझारपुर थाना में प्राथमिकी दर्ज हो चुकी है। इसमें एडीजे ने बताया कि दोनों पुलिस पदाधिकारी उनके कक्ष में आए और उनके साथ अभद्रता की। विरोध करने पर पिस्तौल तान दी और मारपीट की। इस दौरान घोघरडीहा थानाध्यक्ष यह बोल रहे थे कि ऐसा वे अपने बॉस (एसपी, मधुबनी) के संरक्षण व आदेश से कर रहे हैं। पुलिस ने इस प्राथमिकी की जांच शुरू कर दी है। इधर, डीएमसीएच में इलाजरत घोघरडीहा थानाध्यक्ष गोपाल कृष्ण ने इससे विपरीत बयान देते हुए एडीजे पर ही कई गंभीर आरोप लगा दिए। थानाध्यक्ष ने कहा कि जब वे कक्ष में पहुंचे तो वहां पहले से नगर पंचायत के एक जेई दीपक राज मौजूद थे। कक्ष में जाने के बाद एडीजे ने उनके साथ अमर्यादित बातें की। विरोध करने पर उन्हें जूता से पीटा और उनके इशारे पर उनकी व उनके साथी एसआइ की भीड़ से पिटाई कराई गई। थानाध्यक्ष ने एडीजे पर धमकी देने का आरोप भी लगाया। थानाध्यक्ष के बयान पर प्राथमिकी को लेकर पुलिस पदाधिकारी मौन हैं। सूत्रों का कहना है कि एडीजे के विरूद्ध प्राथमिकी दर्ज करने के लिए हाईकोर्ट से अनुमति मांगी गई है। न्यायिक व पुलिस संगठन आमने-सामने : घटना के बाद से अधिवक्ता संघ दोषी पुलिस पदाधिकारियों पर स्पीडी ट्रायल के माध्यम से कार्रवाई की मांग कर रहा है। बैठक कर अधिवक्ता संघ ने 29 को हाईकोर्ट के निर्णय के बाद आगे की रणनीति तय करने का निर्णय लिया था। वहीं, दोनों पुलिस पदाधिकारियों के पक्ष में पुलिस संगठन भी आ चुका है। विभिन्न मांगों को लेकर 25 नवंबर से सामूहिक अवकाश की घोषणा भी की गई। हालांकि, बाद में पंचायत चुनाव के दौरान विधि-व्यवस्था का हवाला देते हुए सामूहिक अवकाश वापस लेने की घोषणा की गई। अब सबकी निगाहें हाईकोर्ट में एक दिसंबर को होने वाली सुनवाई पर टिकी है।