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मुजफ्फरपुर में आकांक्षी जिला योजना की अपेक्षाकृत धीमी, यहां सौ दिन चले ढाई कोस वाली स्थिति

तीन वर्ष बाद सीएसआर के रूप में मिली पहली बड़ी राशि 24 करोड़ से स्वास्थ्य व पोषण क्षेत्र में होगा काम।पहले वित्तीय वर्ष 2018-19 में नहीं मिल सकी राशि शिक्षा व स्वास्थ्य के क्षेत्र की आधारभूत संरचना में बदलाव की जरूरत।

By Ajit KumarEdited By: Published: Sat, 26 Sep 2020 03:44 PM (IST)Updated: Sat, 26 Sep 2020 03:44 PM (IST)
मुजफ्फरपुर में आकांक्षी जिला योजना की अपेक्षाकृत धीमी, यहां सौ दिन चले ढाई कोस वाली स्थिति
पिछले वर्ष नीति आयोग ने तीन करोड़ रुपये किए स्वीकृत, शिक्षा के क्षेत्र में खर्च की जाएगी यह राशि।

मुजफ्फरपुर, प्रेम शंकर मिश्रा। विकास की अपार संभावनाओं वाला जिला मुजफ्फरपुर कई कारणों से पिछड़ेपन का शिकार है। प्रत्येक वर्ष आने वाली बाढ़, कृषि आधारित उद्योगों की कमी समेत कई कारणों से जिले के विकास को गति नहीं मिल सकी। नक्सल प्रभावित इस जिले को आकांक्षी जिले में शामिल किया गया तो उम्मीदें जगीं। मगर, तीन वर्ष बाद भी अपेक्षित विकास नहीं दिख रहा। कारण, नीति आयोग के इस कार्यक्रम के सबसे मजबूत पहलू सीएसआर (कॉरपोरेट सोशल रिस्पांसिबिलिटी) के रूप में बड़ी राशि नहीं मिली। पहली बार सीएसआर के रूप में मिली बड़ी राशि 24 करोड़ रुपये से कई योजनाओं का शिलान्यास किया गया है। यह राशि स्वास्थ्य व पोषण के क्षेत्र में इस्तेमाल किया गया है। इससे जिले का मानव विकास सूचकांक बेहतर होगा। इसके अलावा तीन करोड़ रुपये की भी स्वीकृति हुई है। यह राशि शिक्षा पर खर्च की जानी है। इसकी कार्ययोजना तैयार की जा रही है। जिले के कस्तूरबा गांधी समेत अन्य आवासीय विद्यालयों को लेकर योजना बनाई जा रही है। इसके बाद इसे नीति आयोग की स्वीकृति के लिए भेजा जाएगा। हालांकि, वर्ष 2019-20 में करीब 26 लाख रुपये मिले। यह आंगनबाड़ी केंद्रों पर खर्च किए गए।

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स्वास्थ्य व पोषण की कार्ययोजना पर काम

जिले की वर्ष 2011 की एसईसीसी (सामाजिक, आर्थिक व जाति जनगणना) को आधार मानें तो शहरी आबादी महज 7.9 प्रतिशत है। इसमें से कई प्रखंडों की शत-प्रतिशत आबादी ग्रामीण है। 16 में से ऐसे 12 प्रखंड हैं। वहीं करीब साढ़े नौ लाख परिवारों में आधे से अधिक परिवार गरीबी रेखा से नीचे है। प्रतिवर्ष एईएस (एक्यूट इंसेफेलाइटिस ङ्क्षसड्रॉम) से सैकड़ों बच्चों के पीडि़त होने व उनकी मौत यहां के लिए बड़ी चुनौती है। पिछले वर्ष इसके कारणों को लेकर किए गए सर्वे में यह बात सामने आई थी कि कुपोषण भी इसका एक कारण है। वहीं पीडि़त परिवारों में कई को आवास योजना का लाभ नहीं मिल सका है। अब जबकि आकांक्षी जिलों को शिक्षा, स्वास्थ्य व पोषण के लिए 60 फीसद राशि दी जानी है। इसे देखते हुए जिले में स्वास्थ्य व पोषण के क्षेत्र में 24 करोड़ की राशि का इस्तेमाल किया गया। बच्चों के बेहतर पोषण व इलाज की व्यवस्था को लेकर कार्यक्रम तैयार किए गए हैं। एसकेएमसीएच, सदर अस्पताल व रेफरल अस्पताल की आधारभूत संरचना विकसित करने की अधिक योजनाएं हैं। सीएसआर के तहत आरईसीएल (रुरल इलेक्ट्रॉनिक्स कॉरपोरेशन लिमिटेड) से मिली राशि से इन योजनाओं का शिलान्यास हुआ है। इन योजनाओं के पूरा होने पर जिले की रैङ्क्षकग में जरूर कुछ सुधार होगा। जुलाई 2020 में मुजफ्फरपुर का रैंक 78वां था।

लीची व लहठी के क्षेत्र में संभावनाएं

कृषि के साथ कुटीर उद्योग की संभावनाओं को लेकर भी योजनाएं तैयार की जा रही हैं। वित्तीय समावेशन व कौशल विकास को लेकर आधा दर्जन क्लस्टरों का निर्माण किया गया है। इसमें लहठी क्लस्टर भी शामिल है। मगर, सीएसआर के तहत बड़ी राशि इस क्षेत्र में नहीं मिल पाई है। इस कारण अभी छोटे समूह तक ही इसका लाभ पहुंच सकेगा। जबकि जिले के कई प्रखंडों में लहठी निर्माण होता रहा है। पूंजी व बाजार के अभाव में बंद पड़ी इन भ_ियों के लिए बड़े स्तर पर योजना बनाने की जरूरत है। वहीं जिले की लीची को जीआइ टैग तो मिल गया। मगर, प्रोसेङ्क्षसग यूनिट की कमी विकास में बड़ी बाधक है। आकांक्षी जिले के विकास को गति देने में कृषि व जलसंसाधन पर भी काम किया जाना है। मगर, इस पर अब तक कोई योजना नहीं बन सकी है।

सीएसआर की राशि से हुए ये कार्य

आरईसीएल से जिले को सीएसआर के तहत वित्तीय वर्ष 2019-20 में 26.4 लाख रुपये मिले थे। सेल्को फाउंडेशन द्वारा इस राशि से पोषण व स्कूली शिक्षा के क्षेत्र में कार्य हुए। मुशहरी कस्तूरबा गांधी आवासीय विद्यालय में स्ट्रीट लाइट व इनवर्टर लगाए गए हैं। हॉस्टल में 100 बेड का स्मार्ट क्लास बनाया गया। साथ ही सोलर इनर्जी सिस्टम लगाया गया। पीएचसी मीनापुर व प्रसूताओं के लिए डिलीवरी रूम में इनवर्टर लगाए गए। आंगनबाड़ी केंद्र मुशहरी, सरैया व कांटी में पांच केंद्रों पर सोलर सिस्टम लगाए गए। मीनापुर में चलंत आंगनबाड़ी बनाए गए हैं। इसे कभी भी दूसरी जगह ले जाया जा सकता है।

24.38 करोड़ की राशि से इन योजनाओं पर शुरू हुआ काम

- सदर अस्पताल में सौ बेड के प्रतीक्षालय का निर्माण - दो करोड़ 55 लाख 48 रुपये

- सदर अस्पताल में आवश्यक उपकरणों के साथ बहुउद्देशीय हॉल का निर्माण - दो करोड़ 46 लाख 20 हजार

- सदर अस्पताल में आयुष्मान केंद्र का निर्माण - एक करोड़ 21 लाख 39 हजार रुपये

- पीएचसी में 25 उष्मा नियंत्रकों की स्थापना - 87 लाख 50 हजार रुपये

- एसकेएमसीएच में 125 बेड के विश्रामालय का निर्माण -

- जिले के 1125 आंगनबाड़ी केंद्रों में सुधार। इसमें अनाज भंडारण से लेकर एलपीजी गैस कनेक्शन भी शामिल। केंद्रों को बच्चों के स्वास्थ्य व पोषण के अनुरूप तैयार करने की भी योजना

- 50 आंगनबाड़ी केंद्रों का नवीकरण।

इस बार भी बाढ़ की तबाही पर एक नजर

इस वर्ष जिले के 16 में से 15 प्रखंड बाढ़ प्रभावित रहे। 287 पंचायत और 3156 गांवों की कुल 22 लाख 66 हजार 565 जनसंख्या प्रभावित हुई। 198 पंचायत पूर्ण रूप से और 89 आंशिक रूप से प्रभावित हुईं। मीनापुर में सर्वाधिक तीन लाख 15 हजार 693 की आबादी प्रभावित हुई। मोतीपुर में सबसे कम 26 हजार 20 की आबादी प्रभावित हुई। वहीं एक लाख आठ हजार 532.88 हेक्टेयर कृषि क्षेत्र प्रभावित हुआ। यह कुल आच्छादित रकबा का 67.75 फीसद रहा।

यह है आकांक्षी जिला

देश के सामाजिक और आर्थिक रूप से पिछड़े जिलों की पहचान कर उसका समग्र विकास करने के उद्देश्य से केंद्र सरकार ने जनवरी 2018 में आकांक्षी जिला कार्यक्रम लागू किया। इसमें 115 जिलों को शामिल किया गया। नक्सल प्रभावित होने के कारण मुजफ्फरपुर जिले को भी इस सूची में शामिल किया गया। नीति आयोग द्वारा संचालित इस कार्यक्रम के तहत स्वास्थ्य, शिक्षा, पोषण, वित्तीय समावेश एवं कौशल विकास, बुनियादी ढांचा आदि में सुधार के लिए योजना तैयार कर उसे धरातल पर उतारा जाना है।  


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