शिवहर में जमीन की रजिस्ट्री, केस दर्ज कराने के लिए सीतामढ़ी जाने की मजबूरी
दो जिलों में फंसी शिवहर-सीतामढ़ी की चार गांवों की हजारों की आबादी। वर्ष 2017 में तत्कालीन डीएम ने भेजा था प्रस्ताव वर्षों से गृह विभाग में धूल फांक रही फाइल। इस वजह से लोगों को परेशानी का सामना करना पड़ता है।
शिवहर, जेएनएन। गांव शिवहर जिले और थाना सीतामढ़ी जिले में। जमीन का निबंधन कराने के लिए शिवहर और थाना में केस दर्ज कराने के लिए सीतामढ़ी जिले का चक्कर। ठीक इसी तरह गांव सीतामढ़ी जिले का और थाना शिवहर जिले में। सीतामढ़ी और शिवहर के दो-दो समेत चार गांवों की दस हजार की आबादी दशकों से दो जिलों में झूल रहीं हैं। इसके चलते न केवल आम जनता बल्कि सीतामढ़ी और शिवहर पुलिस को भी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।
फाइल गृह विभाग में धूल फांक रही
पुलिस को अपराध नियंत्रण में परेशानी और गश्ती लगाने का फेरा है। हैरत की बात यह कि वर्ष 2017 में शिवहर के तत्कालीन डीएम राज कुमार ने शिवहर जिले के तरियानी प्रखंड के खोट्ठा और खुरपट्टी को तरियानी थाने में और सीतामढ़ी जिले के बेलसंड थाने के सौली और रूपौली को तरियानी थाना से हटाकर बेलसंड थाने में शामिल करने का प्रस्ताव भेजा था। लेकिन, वर्षों बाद भी प्रस्ताव से संबंधित फाइल गृह विभाग में धूल फांक रहा है। शिवहर, एसपी संतोष कुमार भी बताते है कि परीसीमन की उलझन पुलिस के लिए बाधक बनी हुई है। हालांकि, बताते हैं कि प्रस्ताव भेजा जा चुका है। जल्द ही प्रस्ताव पर अमल होने की उम्मीद है।
पुलिस को आने में काफी समय लग जाता
शिवहर निवासी अनिल कुमार, धर्मपुर निवासी बच्चा गिरी, तरियानी निवासी अजय सिंह, खोट्ठा निवासी अनिल सिंह, राम सेवक सिंह, अरूण सिंह आदि बताते हैं कि खोट्ठा, खुरपट्टी के इलाके में आपराधिक वारदात होने के बाद पुलिस को आने में काफी समय लग जाता है। वजह इन गांवों से बेलसंड थाने की दूरी दस किमी है। जबकि, युवाओं को भी थाने से चरित्र प्रमाण पत्र के लिए बेलसंड जाने की मजबूरी है। बड़े मामलों में एसपी से शिकायत के लिए 30 से 35 किमी की दूरी तय कर सीतामढ़ी जाने की मजबूरी है। बताते चलें कि शिवहर जिले के तरियानी प्रखंड का खोट्टा और खुरपट्टी गांव का थाना सीतामढ़ी जिले के बेलसंड को बनाया गया है। जबकि, सीतामढ़ी जिले के बेलसंड प्रखंड का सौली और रुपौली पंचायत का थाना शिवहर जिले के तरियानी को बनाया गया है। उल्लेेखनीय हैं कि पांच प्रखंड और साढ़े छह लाख की आबादी वाला शिवहर अनुमंडल वर्ष 1994 में स्वतंत्र जिले के रूप में बिहार के नक्से पर आया था। पहले यह सीतामढ़ी जिले का ही अंग था। जिला बनने के बाद भी थानों का परिसीमन नहीं बदल सका। लिहाजा, इलाके के लोग दशकों से दो जिलों के बीच झूल रहे है।