दुकानें बंद रख करते ये काम, मनमाने दाम में करते अनाज का वितरण
खाद्य सुरक्षा योजना से जुड़े डीलर निर्धारित अवधि में दुकानें बंद रखकर अनाज की कालाबाजारी करते हैं।
By Edited By: Published: Sun, 07 Oct 2018 11:47 AM (IST)Updated: Sun, 07 Oct 2018 11:49 AM (IST)
मुजफ्फरपुर (जेएनएन)। खाद्य सुरक्षा योजना के तहत डीलरों द्वारा निर्धारित अवधि में दुकानें बंद रखकर अनाज की कालाबाजारी करते हैं। डीएम द्वारा निर्धारित अवधि 21 से 30 तक प्रत्येक माह के दौरान ज्यादातर दुकानदार पूरी समय सीमा तक दुकानें नहीं खोलते हैं। इसके अलावा लाभुकों से मनमाने दाम वसूलते हैं।
ग्रामीण क्षेत्रों में ज्यादातर डीलरों के पास हर माह लाखों की कमाई के तमाम प्रकार के हथकंडे रहते हैं। तीन से चार दिन ही खोलते दुकानें डीएम द्वारा अनाज वितरण की प्रत्येक माह अवधि 21 से 30 तक निर्धारित की है। इस अवधि में जिले के 60 फीसद दुकानदार दुकानें तीन से चार दिन ही खोलते हैं।
इस दौरान आधे उपभोक्ताओं को अनाज मिलता है। बाकी को न मिले। इसकी चिंता नहीं होती है। जबकि, नियम है कि अनाज उठाव करने के बाद डीलरों को सभी ग्राहकों को सूचित किया जाना चाहिए। इसमें प्रखंड आपूर्ति पदाधिकारी की भी जिम्मेदारी बनती है। आम उपभोक्ताओं की होती है ये शिकायत डीलरों द्वारा ग्रामीण क्षेत्रों में अभी भी मनमाने दाम की वसूली करते हैं।
एक डीलर के यहां अगर हजार उपभोक्ता हैं तो एक उपभोक्ता को 20 किलो अनाज 100 रुपये में मिलना चाहिए। तो डीलर 50 रुपये तक अधिक दाम वसूलते हैं। इस प्रकार एक दुकानदार अधिक पैसा लेकर महीने में 50 हजार रुपये कमाता है। अधिक पैसा देने का कारण अधिकारी जब जांच में पूछते तो उपभोक्ता जवाब देते कि जितना मांगा, उतना दे दिया। केरोसिन भी प्रति लीटर दुकानदार 30 रुपये बेच कर तीन से चार रुपये प्रति लीटर अधिक वसूली करते हैं। वर्षो तक रद दुकानें टैग रहती पूर्व में मासिक रिपोर्ट बनाने में अनुमंडल पूर्वी व पश्चिमी में रद डीलरों की संख्या के साथ टैग दुकानों की भी संख्या देते थे, जो अब रिपोर्ट से गायब है। शनिवार को जब पश्चिमी अनुमंडल कार्यालय से टैग दुकानों की रिपोर्ट मांगी तो वहां अनभिज्ञता जाहिर कीे गई। छह माह ही मिल पाता अनाज टैग दुकानों के अनाज का आवंटन भी ठीक से नहीं बांटा जाता।
यह कहा जाए कि इन दुकानों के उपभोक्ताओं को साल में छह माह का भी अनाज नहीं मिलता। जिन दुकानदारों के पास टैगिंग होती है, वे अनाज की कालाबाजारी करते हैं। तीन माह के बदले एक माह का अनाज उपभोक्ताओं की यह शिकायत भी है कि उनसे राशनकार्ड पर तीन माह का अनाज दुकानदार लिख कर अनाज एक माह का देते हैं। पश्चिमी अनुमंडल में ऐसी 30 फीसद व पूर्वी में 10 फीसद रहती हैं शिकायतें।
डॉ. कुंदन कुमार ने बताया कि जन वितरण प्रणाली की दुकानों में जांच के दौरान शिकायतों के सच पाए जाने पर कार्रवाई होती है। जिला आपूर्ति पदाधिकारी जावेद अहसन अंसारी ने बताया कि 'जिले में खाद्य सुरक्षा योजना में मिलने वाली गड़बड़ी पर निरंतर कार्रवाई हो रही। स्थिति में काफी सुधार हुआ है।' आंकड़ों में आपूर्ति व्यवस्था जिले में कुल डीलर 1893 शहरी क्षेत्र में 192 कुल गेहूं का मासिक आवंटन 64,573 क्िवटल चावल का 96,860 क्िवटल कुल चयनित ग्रामीण क्षेत्रों में जनसंख्या 3705906 शहरी क्षेत्र में 283288 शहरी
ग्रामीण क्षेत्रों में ज्यादातर डीलरों के पास हर माह लाखों की कमाई के तमाम प्रकार के हथकंडे रहते हैं। तीन से चार दिन ही खोलते दुकानें डीएम द्वारा अनाज वितरण की प्रत्येक माह अवधि 21 से 30 तक निर्धारित की है। इस अवधि में जिले के 60 फीसद दुकानदार दुकानें तीन से चार दिन ही खोलते हैं।
इस दौरान आधे उपभोक्ताओं को अनाज मिलता है। बाकी को न मिले। इसकी चिंता नहीं होती है। जबकि, नियम है कि अनाज उठाव करने के बाद डीलरों को सभी ग्राहकों को सूचित किया जाना चाहिए। इसमें प्रखंड आपूर्ति पदाधिकारी की भी जिम्मेदारी बनती है। आम उपभोक्ताओं की होती है ये शिकायत डीलरों द्वारा ग्रामीण क्षेत्रों में अभी भी मनमाने दाम की वसूली करते हैं।
एक डीलर के यहां अगर हजार उपभोक्ता हैं तो एक उपभोक्ता को 20 किलो अनाज 100 रुपये में मिलना चाहिए। तो डीलर 50 रुपये तक अधिक दाम वसूलते हैं। इस प्रकार एक दुकानदार अधिक पैसा लेकर महीने में 50 हजार रुपये कमाता है। अधिक पैसा देने का कारण अधिकारी जब जांच में पूछते तो उपभोक्ता जवाब देते कि जितना मांगा, उतना दे दिया। केरोसिन भी प्रति लीटर दुकानदार 30 रुपये बेच कर तीन से चार रुपये प्रति लीटर अधिक वसूली करते हैं। वर्षो तक रद दुकानें टैग रहती पूर्व में मासिक रिपोर्ट बनाने में अनुमंडल पूर्वी व पश्चिमी में रद डीलरों की संख्या के साथ टैग दुकानों की भी संख्या देते थे, जो अब रिपोर्ट से गायब है। शनिवार को जब पश्चिमी अनुमंडल कार्यालय से टैग दुकानों की रिपोर्ट मांगी तो वहां अनभिज्ञता जाहिर कीे गई। छह माह ही मिल पाता अनाज टैग दुकानों के अनाज का आवंटन भी ठीक से नहीं बांटा जाता।
यह कहा जाए कि इन दुकानों के उपभोक्ताओं को साल में छह माह का भी अनाज नहीं मिलता। जिन दुकानदारों के पास टैगिंग होती है, वे अनाज की कालाबाजारी करते हैं। तीन माह के बदले एक माह का अनाज उपभोक्ताओं की यह शिकायत भी है कि उनसे राशनकार्ड पर तीन माह का अनाज दुकानदार लिख कर अनाज एक माह का देते हैं। पश्चिमी अनुमंडल में ऐसी 30 फीसद व पूर्वी में 10 फीसद रहती हैं शिकायतें।
डॉ. कुंदन कुमार ने बताया कि जन वितरण प्रणाली की दुकानों में जांच के दौरान शिकायतों के सच पाए जाने पर कार्रवाई होती है। जिला आपूर्ति पदाधिकारी जावेद अहसन अंसारी ने बताया कि 'जिले में खाद्य सुरक्षा योजना में मिलने वाली गड़बड़ी पर निरंतर कार्रवाई हो रही। स्थिति में काफी सुधार हुआ है।' आंकड़ों में आपूर्ति व्यवस्था जिले में कुल डीलर 1893 शहरी क्षेत्र में 192 कुल गेहूं का मासिक आवंटन 64,573 क्िवटल चावल का 96,860 क्िवटल कुल चयनित ग्रामीण क्षेत्रों में जनसंख्या 3705906 शहरी क्षेत्र में 283288 शहरी
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