राशन डीलर दे रहे कम वजन, शिकायत की तो करने लगे गाली-गलौज, मारपीट पर उतारू
डीलर ने राशन कार्ड में अंकित सात सदस्यों की बजाए चार लोगों का राशन दिया। पूछने पर कोई संतोषजनक जवाब नहीं दिया। जब सामग्री की तौल की तो ढाई किलो कम थी।
मुजफ्फरपुर, जेएनएन। जनवितरण प्रणाली अौर विवाद एक-दूसरे के पर्याय बन गए हैं। ये अलग बात है कि कोरोना काल में इससे जुड़े मामलो की संख्या कुछ अधिक ही बढ़ गई है। हाल का मामला जिला अंतर्गत कटरा प्रखंड से संबद्ध है। यहां के पहसौल निवासी मीरा देवी ने डीलर के खिलाफ मारपीट करने की शिकायत की है।
सात लोगों की जगह चार को राशन
आरोप लगाया कि वह डीलर प्रमोद चौधरी से खाद्यान्न लाने गई। डीलर ने राशन कार्ड में अंकित सात सदस्यों की बजाए चार लोगों का राशन दिया। पूछने पर कोई संतोषजनक जवाब नहीं दिया। जब सामग्री की तौल की तो ढाई किलो कम थी। उसे पूरा करने को कहा तो डीलर तैश में आ गए और गाली- गलौज करने लगे। विरोध करने पर मारपीट पर उतारू हो गए। दो हजार के नोट दिए थे जिसमें से पैसे वापस नहीं किए। इसकी शिकायत खाद्य आपूर्ति अधिकारी सहित मुख्य सचिव बिहार से की है। इधर, डीलर ने आरोपों को बेबुनियाद बताया।
उपभोक्ताओं के प्रति व्यवहार असंवेदनशील
इस मामले में दोषी कौन है, इसका पता तो जांच के बाद ही चल सकेगा। लेकिन, पीडि़ता ने जो आरोप लगाए हैं यह लगभग सभी पीडीएस दुकानों से जुड़ा है। ये अलग बात है कि कई उपभोक्ता विवाद बढ़ने के भय से इसकी शिकायत नहीं करते। वे अपना नुकसान सहना ही बेहतर समझते हैं। डीलर का उपभोक्ताओं के प्रति व्यवहार असंवेदनशील होता है। आए दिन इस तरह की शिकायतें भी खूब सुनने को मिलती हैं।
पारदर्शी व्यवस्था बनाए जाने की जरूरत
इस स्थिति में अधिकारियों की जिम्मेदारी भी बढ़ जाती है। उन्हें चाहिए कि वे एक पारदर्शी व्यवस्था बनाएं। शिकायतों के निस्तारण को लेकर भी एक व्यवस्था बनाने की जरूरत है। इसके बाद ही डीलरों के मनमानी को रोक पाना संभव हो सकेगा। यदि कोई उपभोक्ता किसी तरह की शिकायत लेकर पहुंचता है तो गोपनीयता रखते हुए उसकी जांच हो। इसके बाद कार्रवाई की जाए तो स्थिति में सुधार संभव है।