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Ramadan 2021: रमजान के इस्तकबाल की उमंग, कोरोना की काली साया कर रही तंग

Muzaffarpur Ramadan 2021 13 या 14 अप्रैल से शुरू हो सकता है माह-ए-रमजान। कोरोना को लेकर सामूहिक तरावीह व इफ्तार को लेकर संशय। लॉकडाउन से हुई आर्थिक तंगी से बाजार की रौनक गायब। कोरोना वायरस से हुई आर्थिक तंगी का असर भी बाजार पर दिख रहा है।

By Ajit KumarEdited By: Published: Sat, 10 Apr 2021 09:37 AM (IST)Updated: Sat, 10 Apr 2021 09:37 AM (IST)
Ramadan 2021: रमजान के इस्तकबाल की उमंग, कोरोना की काली साया कर रही तंग
रोजेदारों में सामूहिक तरावीह की नमाज व इफ्तार को लेकर संशय है।

मुजफ्फरपुर, जासं। Muzaffarpur, Ramadan 2021: माह-ए-रमजान 13 या 14 अप्रैल से शुरू हो जाएगा। इस मोकद्दस महीने के इस्तकबाल को मुस्लिम समुदाय उमंग में है। हर उम्र के लोग रमजान का रोजा पूरी अकीदत के साथ रखने का इरादा कर चुके हैं। रमजान की इस उमंग पर कोरोना वायरस की काली छाया इस वर्ष भी है। लिहाजा रोजेदारों में सामूहिक तरावीह की नमाज व इफ्तार को लेकर संशय है।

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कोरोना वायरस से हुई आर्थिक तंगी का असर भी बाजार पर दिख रहा है। बाजार की रौनक अब तक परवान नहीं चढ़ सकी है। लोग जरूरी सामान की खरीदारी में भी कटौती कर रहे हैं। इससे अब तक सहरी के लिए आवश्यक सामान व इफ्तार के खाद्य पदार्थ की खरीदारी काफी कम हो रही है। इसका सबसे ज्यादा असर खजूर पर पड़ रहा है। वहीं इफ्तार के लिए सबसे जरूरी चना आदि की खरीदारी भी कम हो रही है। किराना दुकानदार गनौर साह ने कहा कि रमजान को लेकर रूहअफजा, खजूर, सेवई, चना, चना दाल, बेसन, ड्राई फ्रूट, रिफाइन, सरसों तेल, घी, सूजी, चिउड़ा, चीनी, पापड़ आदि की खरीदारी अभी तेज नहीं हुई है। इस बार अब तक बाजार के रफ्तार नहीं पकडऩा चिंताजनक है। वहीं मो. इरफान, मो. फरहान, मो. शकील, मो. इकबाल, मो. जहांगीर, मो. अफसर, नूर आलम, मो. कैफ आदि ने कहा कि कोरोना से सबकी आर्थिक स्थिति चरमरा गई है। ऐसे में लोगों में रमजान को लेकर उमंग तो है, लेकिन पैसे की कमी से बहुत जरूरी सामान ही सीमित खरीद रहे हैं। खजूर विक्रेता मो. नौशाद ने कहा कि इस बार व्यापारी भी सहमे हैं। कोरोना को लेकर जो हालात हंै उससे कभी कुछ भी हो सकता है। साथ ही खजूर की कीमत भी काफी बढ़ गई है। इसका भी असर है।

रमजान का मकसद बुराई से दूर करना

माड़ीपुर स्थित खानकाह व इदारे तेगिया के सज्जादानशीं अल्हाज शाह अलवीउल कादरी ने कहा कि रमजान अल्लाह के करीब होने और बुराई से दूर होने का महीना है। यह इबादत का महीना है। नमाज के साथ ही तरावीह यानी कुरान की तिलावत करने से बहुत नेकी मिलती है। रमजान का मतलब पूरे शरीर को पाक रखना है। न बुरा कहना है न ही बुरा सुनना है। किसी को भी तकलीफ नहीं देनी है। गरीबों का पूरा सहयोग करना है। एक रकात नमाज की रमजान के दौरान अल्लाह 70 गुना शवाब देता है। इस माह में तीन असरा होते हैं। पहला 10 दिन रहमत का, दूसरा बरकत का और तीसरा मगफेरत का होता है।


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