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सीट को लेकर एनडीए में सबकुछ ठीक नहीं : डॉ. रघुवंश प्रसाद सिंह

पूर्व केंद्रीय मंत्री ने कहा, वहां घुटन महसूस कर रहे नीतीश कुमार और रामविलास पासवान। नीतीश कुमार खुद कांग्रेस के संपर्क में, जदयू के कई नेता गठबंधन से होना चाहते अलग।

By Ajit KumarEdited By: Published: Mon, 14 Jan 2019 07:27 PM (IST)Updated: Mon, 14 Jan 2019 07:27 PM (IST)
सीट को लेकर एनडीए में सबकुछ ठीक नहीं : डॉ. रघुवंश प्रसाद सिंह
सीट को लेकर एनडीए में सबकुछ ठीक नहीं : डॉ. रघुवंश प्रसाद सिंह

मुजफ्फरपुर, जेएनएन। राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन में सीट समझौते को लेकर सबकुछ ठीक नहीं चल रहा। मुख्य सहयोगी जनता दल यू के राष्ट्रीय अध्यक्ष मुख्यमंत्री नीतीश कुमार खुद कांग्रेस के संपर्क में हैं। ये बातें राजद के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष पूर्व केंद्रीय मंत्री डॉ. रघुवंश प्रसाद सिंह ने कहीं। मकर संक्रांति भोज के दौरान बातचीत करते हुए कहा कि सीट का बंटवारा तो अंकों में हुआ, जीत का अंक क्या होगा? यह तो समय ही बताएगा।

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 भाजपा डूबती नैया है, उसपर जो सवारी करेगा उसका डूबना तय है। हम सुप्रीमो पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी, पूर्व केंद्रीय मंत्री उपेंद्र कुशवाहा पहले ही डूबती नाव से बाहर आ गए। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और लोजपा सुप्रीमो रामविलास पासवान को घुटन महसूस हो रही।

चुनाव से पहले टूटेगा गठबंधन

लोकसभा चुनाव का नामांकन होने के साथ ही गठबंधन का टूटना तय है। राजनीतिक गलियारे में जो दृश्य है उसके हिसाब से एनडीए परिवार ने सीट का बंटवारा कर लिया है, लेकिन जीतेंगे कहां? बिहार में आधार ही नहीं है। महागठबंधन बहुत ही मजबूत है। केंद्रीय मंत्री रामविलास पासवान के परिवार के अंदर घमासान मचा है। जदयू के कई नेता इस गठबंधन से अलग होना चाहते हैं।

 देखिए आगे-आगे होता है क्या। देश में भाजपा हटाओ, देश बचाओ और लोकतंत्र बचाओ का अभियान चल रहा। जनता महंगाई और जुमलेबाजी से तंग आ गई है। भाजपा नेताओं को आभास है कि वह जितनी सीटों पर लड़ेंगे, सब पर हार होगी। इसलिए, उन्होंने जदयू को भी बराबरी की सीट दे दी, ताकि हारे तो दोनों बराबर-बराबर।

 तंज कसते हुए कहा कि ऐसा देखे हैं क्या सबसे बड़ी पार्टी जिसके सांसद पिछले चुनाव में सबसे ज्यादा जीते हों उससे भी कम सीट पर वह चुनाव लडऩे को राजी हो जाए। यह बताता है कि भाजपा का नेतृत्व अंदर ही अंदर सहमा है। इसके कारण उसके सहयोगी भी यह मानते हैं कि बिहार में इस बार का चुनाव जीतना आसान नहीं। महागठबंधन में सीट के बंटवारे में कोई दिक्कत नहीं है, समय पर तय होगा।


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