राही चलते जाना रे : 24 दिनों तक लगातार चलकर लुधियाना से मुजफ्फरपुर पहुंचे पूर्णिया के युवक
बचत के पैसे हुए समाप्त तो पैदल ही निकल पड़े। रास्ते में एक साथी की तबीयत बिगड़ी तो कंधे पर ही ले गए अस्पताल।
मुजफ्फरपुर, जेएनएन। अधिकतर पैदल और कहीं-कहीं किसी वाहन वाले की मदद से छपरा के रहने वाले 12 युवकों का जत्था लुधियाना से चलने के बाद 24वें दिन मुजफ्फरपुर पहुंचा। चांदनी चौक पर ये युवक ऑटो वाले से छपरा चलने को कह रहे थे, लेकिन, कोई चालक जाने के लिए तैयार नहीं हो रहा था। ऐसे में वे आगे की ओर पैदल ही बढ़ते जा रहे थे।
व्यवस्था होती तो पैदल नहीं आते
पूछने पर जत्थे में शामिल राजू कुमार, पंकज कुमार, रंजन कुमार, संतोष कुमार, नीरज कुमार, रामस्वरूप ठाकुर, दुखन राम, भुलेसर राम, जोगिंदर पासवान ने बताया कि सरकार व्यवस्था करने की बात कहती है। अगर व्यवस्था की गई होती तो पैदल इतनी दूरी तय नहीं करना पड़ती। भुलेसर ने बताया कि लुधियाना के बहादुरगंज में इंडिकेटर बनाने वाली एक कंपनी में सभी कार्य करते थे।
कंपनी ने बकाया भुगतान नहीं किया
कंपनी ने मार्च महीने के बाद कार्य पर आने से रोक दिया। बकाया पैसा भी नहीं दिया। जब भुखमरी की स्थिति होने लगी तो हमलोगों ने सोचा कि यहां भूखे मरें इससे अच्छा पैदल भी घर पहुंच जाएं तो वहां कुछ न कुछ विकल्प हो ही जाएगा। यही सोचकर 24 दिनों में करीब 1400 किलोमीटर दूरी तय कर ली है। लेकिन, मंजिल अभी काफी दूर है। मदद मिल जाती तो जल्दी पहुंच जाते। मगर कोई व्यवस्था ही नहीं दिख रही ।
कंधे पर ले गए अस्पताल
संतोष ने बताया कि यूपी में आने के बाद एक साथी दुखन की तबीयत बिगड़ गई और हमारे पास कोई साधन भी नहीं था और न मोबाइल ही था कि उससे किसी को सूचना देते। ऐसे में पैदल ही कंधे पर उठाकर उसे एक अस्पताल में ले जाकर उसका इलाज कराया। कड़ी धूप में सभी पूर्णिया जाने वाली सड़क पर धीरे-धीरे बढ़ते जा रहे थे। एक उम्मीद है कि घर पर भूखे मरने की नौबत नहीं आएगी। यदि यहीं कुछ काम मिल जाए तो फिर दूसरे राज्य जाने की सोचेंगे भी नहीं।