समस्तीपुर में मासूम की हत्या के खिलाफ 16 अक्टूबर को विरोध प्रदर्शन
Samastipur News आइसा इनौस और ऐपवा की ओर से कल संगम हत्याकांड का विरोध प्रदर्शन किया जाएगा। संगठन के नेताओं ने सामाजिक एवं राजनीतिक संगठन राजनीतिक दल महिला संगठनों से भी संगम के हत्यारे को सजा दिलाने को लेकर सड़क पर उतरने की अपील गई है।
समस्तीपुर, जासं। ताजपुर थाना क्षेत्र के संगम हत्याकांड के खिलाफ आइसा, इनौस एवं ऐपवा ने 16 अक्टूबर को जिलाव्यापी विरोध दिवस मनाने की घोषणा की है। इसके तहत संगठन के कार्यकर्ताओं से प्रखंडों- पंचायतों में विरोध मार्च, पूतला दहन, प्रदर्शन, कैंडिल मार्च निकालने का आह्वान किया है। संगठन के नेताओं ने सामाजिक एवं राजनीतिक संगठन, राजनीतिक दल, महिला संगठनों से भी संगम के हत्यारे को सजा दिलाने को लेकर सड़क पर उतरने की अपील की है।
इस आशय का व्यान आइसा जिला सचिव सुनील कुमार, ऐपवा जिला अध्यक्ष बंदना सिंह, इनौस जिला प्रभारी सह माले जिला स्थाई समिति सदस्य सुरेन्द्र प्रसाद सिंह ने बताया कि गुरुवार की संध्या ताजपुर थाना क्षेत्र के गुनाईबसही स्थित मेला के बगल में हरिश्चन्द्र सहनी की 8 वर्षीय पुत्री संगम कुमारी की निसृंश तरीके से गला रेत कर हत्या कर लाश को बगल के विद्यालय में छूपा दिया गया था जहां राहगीरों द्वारा देखने के बाद शोर मचाने पर लोगों का हुजूम उमड़ पड़ा था। जानकारी पाकर पहुंची पुलिस कच्छप गति से घटना की जांच कर रही है. लोगों में इस जघन्य हत्याकांड के खिलाफ आक्रोश व्याप्त है। लोग जानना चाहते हैं कि आखिर 8 साल की बच्ची किसी को क्या बिगाड़ी की इसकी हत्या कर दी गई. हत्या की वजह क्या है. लोग हत्यारोपी को तत्काल सजा दिलाना चाहते हैं। आइसा नेता सुनील कुमार ने शनिवार को शहर के विवेक-विहार चौक पर 5-30 बजे से आहूत कैंडिल मार्च में बड़ी संख्या में भाग लेकर सफल बनाने की अपील शहरवासियों से की है।
सड़क जाम कर उपद्रव करना असामाजिकता का परिचायक : एसडीपीओ
समस्तीपुर। किसी भी विवाद या घटना को लेकर सड़क जाम करना असामाजिकता है। यह स्पष्ट गुंडई है। ऐसे लोगों के विरुद्ध सख्त कार्रवाई की जाएगी। उक्त बातें दलङ्क्षसहसराय एसडीपीओ दिनेश कुमार पांडे ने कहीं। कहा कि प्राय: देखा जाता है कि किसी भी घटना या विवाद में सड़क जाम कर उत्पात शुरु कर दिया जाता है। इसमें राहगीरों को काफी कठिनाई होती है। सड़क जाम में कोई बीमार व्यक्ति इलाज के बगैर तड़पता है तो किसी परीक्षार्थी की परीक्षा छूट जाती है। किसी को यात्रा तो किसी को आफिस पहुंचने में विलंब होता है।
बच्चे स्कूल से छूटते हैं तो सड़क जाम में फंसकर भोजन पानी के लिए व्याकुल हो जाते हैं। मालवाहक, बस यात्री, बाइक सवार को जबरन रोका जाता है। नहीं रूकने पर डराया, धमकाया जाता है। निजी स्वार्थ के लिए सैकड़ों लोग सड़क पर तड़पने को मजबूर हो जाते हैं। ऐसा कृत्य कोई सज्जनता की निशानी नहीं है। सड़क जाम करने वालों के साथ आसपास खड़े व्यक्ति मौन समर्थन करते हैं। कुछ बगल में खड़े होकर तमाशा देखते हैं। यह सभी भीड़ का हिस्सा होते हैं। अक्सर सड़क जाम के लिए बच्चों और महिलाओं को आगे कर दिया जाता है। इसके बाद प्राथमिकी दर्ज होती है। अब तमाशबीन बने लोगों पर भी कार्रवाई होगी।