Darbhanga News: समस्याओं का सृजन नहीं, समाधान की राह तलाशेंगे स्कूली छात्र, भावी पीढ़ी बनेगी आत्मनिर्भर
डाटा अध्ययन के बाद भावी पीढ़ी बनेगी आत्मनिर्भर छठी कक्षा से ही स्किल मोड्यूल श्रेणी में प्रवेश करेंगे बच्चे सीबीएसई ने अपने पाठ्यक्रम में कक्षा 6 से 8 के लिए कोडिंग विषय और कक्षा 9 से 12 के लिए डाटा साइंस विषय को शामिल कर लिया है।
दरभंगा, [अबुल कैश नैयर]। कोरोना संक्रमण के कारण पैदा हुईं चुनौतियों का सामना करने के लिए दशकों बाद आई नई शिक्षा नीति स्कूली व्यवस्था में आमूलचूल परिवर्तन करेगी। इसके तहत बच्चों के बस्ते का बोझ ना केवल कम होगा। बल्कि उन्हें आरंभ से ही समस्याओं के संग्रहण, अध्ययन, समीक्षा और समाधान की सीख मिलेगी। यहीं बच्चे आगे चलकर आत्मनिर्भरता में नजीर बनेंगे।
सीबीएसई ने अपने पाठ्यक्रम में कक्षा 6 से 8 के लिए कोङ्क्षडग विषय और कक्षा 9 से 12 के लिए डाटा साइंस विषय को शामिल कर लिया है। ये दोनों विषय चालूू शैक्षणिक सत्र से ही लागू कर दिए गए हैं। केंद्र सरकार ने पिछले साल आई नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति में कोडिंग और डाटा साइंस जैसे विषयों को पाठ्यक्रम में शामिल करने की अनुशंसा की थी।
कोडिंग 12 घंटे का है पाठ्यक्रम
ङ्क्षडग विषय को कक्षा 6 से 8 के लिए स्किल मॉड्यूल श्रेणी में डाला गया है। स्किल मॉड्यूल में कक्षा 6 से 8 के लिए इससे पहले तक 9 विषयों का विकल्प हुआ करता था। जिसमें आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, आईटी, मास मीडिया हैंडीक्राफ्ट आदि हैं, माइक्रोसॉफ्ट कंपनी ने कोङ्क्षडग विषय में हर कक्षा के लिए 12 घंटे का पाठ्यक्रम तैयार किया है। कोङ्क्षडग विषय के कुल 50 अंको में थ्योरी और प्रैक्टिकल क्रमश: 15 और 35 अंकों का होगा।
छठे विषय के रूप में होगा डाटा साइंस
कक्षा 9 से 12 के लिए डाटा साइंस विषय को एक स्किल सब्जेक्ट के रूप में शामिल किया गया है। विषय के कुल 100 अंकों में थ्योरी और प्रैक्टिकल क्रमश: 60 और 40 अंक का होगा। छात्र यह विषय मुख्य पांच विषयों के अतिरिक्त छठे विषय के रूप में ले सकते हैं। उदाहरण के तौर पर अगर किसी छात्र ने नौवीं में अंग्रेजी, ङ्क्षहदी, गणित विज्ञान और सामाजिक विज्ञान विषय का चुना व किया है तो छठे विषय के रूप में वह डाटा साइंस की पढ़ाई कर सकता है। बशर्ते उसके विद्यालय में इस विषय के पठन पाठन की सीबीएसई से अनुमति हो। एक प्रावधान यह भी दिया गया है कि अगर छात्र किसी गैर भाषाई विषय में अनुत्तीर्ण हो जाता है तो उस विषय की जगह डाटा साइंस आ जाएगा ।
31 स्कूल हैं सीबीएसई से संबद्ध
जिले में सीबीएसई से संबद्ध दसवीं तक के लिए कुल 31 विद्यालय हैं। जबकि 12वीं के लिए कुल 14 विद्यालय हैं। आठवीं तक के स्कूल को चलाने के लिए सीबीएसई से मान्यता की कोई आवश्यकता नहीं होती। इन स्कूलों का पंजीकरण बिहार सरकार की तरफ से होता है ।ऐसे स्कूलों की संख्या जिले में 300 से भी अधिक है। अगर हम इन विद्यालयों की बात करें तो सबसे बड़ी चुनौती यहां कोङ्क्षडग और डाटा साइंस जैसे विषयों के साथ न्याय करने वाले एक्सपर्ट शिक्षकों की होगी।
विश्लेषणात्मक कौशल होगा विकसित
दरभंगा पब्लिक स्कूल के निदेशक विशाल गौरव ने कोङ्क्षडग और डाटा साइंस को नए विषयों की सूची में शामिल किए जाने को स्वागत योग्य कदम बताया है। भविष्य की दुनिया में इन विषयों का प्रभाव और आवश्यकता दोनों ही बढऩे वाले हैं। उनका कहना है कि आसान शब्दों में Óकोङ्क्षडगÓ कंप्यूटर को दिए गए निर्देशों की भाषा है। इसको कंप्यूटर भाषा सीखने से कहीं अधिक ऐनालिटिकल स्किल्स या विश्लेषणात्मक कौशल के विकास में सहायक कदम की तरह देखना चाहिए।
- समय की मांग को समझ रहा है सीबीएसई
सीबीएसई की सिटी को-ऑर्डिनेटर तथा जीसस मेरी एकेडमी की प्राचार्य डॉ माधुरिमा सिन्हा कहती हैं कि कोङ्क्षडग और डाटा साइंस जैसे विषय पहले भी थे। लेकिन पाठ्यक्रम में विधिवत शामिल नहीं होने के कारण स्कूल प्रबंधनव बोर्ड के हाकिमों ने कभी इसे गंभीरता से नहीं लिया। जो पाठ्यक्रम थे वह जैसे तैसे संचालित किए जा रहे थे। इसलिए इसकी अहमियत नहीं थी। नई शिक्षा नीति का दर्पण अब सीबीएसई के निर्णयों में झलकने लगा है।