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लो वोल्टेज की समस्या दूर करने को लगाए गए चार नए ट्रांसफॉर्मर

मनियारी प्रखंड मुख्यालय तुर्की से 11 किमी पूरब सूफी संत हुसैन साहब के पूर्व के नाम मोहम्मद मोबारक हुसैन के मोहम्मदपुर मोबारक के नाम से प्रसिद्ध गाव बना कालातर में मोहम्मदपुर मोबारक के नाम से पंचायत है।

By JagranEdited By: Published: Sun, 17 Nov 2019 02:14 AM (IST)Updated: Sun, 17 Nov 2019 02:14 AM (IST)
लो वोल्टेज की समस्या दूर करने को लगाए गए चार नए ट्रांसफॉर्मर
लो वोल्टेज की समस्या दूर करने को लगाए गए चार नए ट्रांसफॉर्मर

मुजफ्फरपुर। मनियारी प्रखंड मुख्यालय तुर्की से 11 किमी पूरब सूफी संत हुसैन साहब के पूर्व के नाम मोहम्मद मोबारक हुसैन के मोहम्मदपुर मोबारक के नाम से प्रसिद्ध गाव बना कालातर में मोहम्मदपुर मोबारक के नाम से पंचायत है। वर्तमान में सूफ़ी संत मोबारक हुसैन साहब की मज़ार पर प्रतिवर्ष अकीदतमंदों द्वारा चादरपोशी एवं गुलपोशी की जाती है। स्थिति है कि मोहम्मदपुर मोबारक पंचायत में चार मौजे समाहित हैं। भूमिहार-ब्राह्माण बहुल पुरूषोतमपुर, यादव बहुल मेथुरापुर, चकमेहसी, मुस्लिम बहुल्य छोटा मौजे भरती पोखर समेत पंचायत के 15 वार्डो में अनुसूचित जाति दूसरे स्थान पर है। स्वतंत्रता के सात दशक बाद भी धरातल पर विकास की रोशनी नहीं पहुंची है। स्वास्थ्य, सड़क, शिक्षा, पेयजल, पर्यावरण, जल संरक्षण, महिला सशक्तीकरण, परिवार नियोजन समेत भी सरकारी योजनाएं प्रखंड प्रशासन एवं जनप्रतिनिधियों के भंवरजाल में फंस कर रह गई। पंचायत के विकास व समस्याओं को लेकर चौपाल लगाई गई जिसमें लोगों ने मुखर होकर अपनी समस्याएं रखीं। चौपाल में उपस्थित वार्ड सदस्य अशोक राय ने दैनिक जागरण की इस पहल की सराहना करते हुए पंचायत की समस्याओं को बेझिझक रखा। कहा कि डीलर हरिश्चंद्र व गणेश ठाकुर पर समय-समय पर राशन कालाबाजारी समेत घटतौली, निर्धारित दर से ज्यादा पैसे लेते हैं। आलम उर्फ मुन्ना ,मो. असलम कहते है कि पंचायत में विभिन्न जगहों पर बिजली के क्षेत्र में कार्य हुआ। परंतु विभागीय लापरवाही से आज तक कहीं पोल तो कहीं तार नदारद है। वार्ड सदस्य रंजीत कुमार कहते हैं कि मुखिया प्रतिनिधि सह पंचायत शिक्षक संजय पासवान के प्रयास से विभिन्न जगहों पर लो वोल्टेज की समस्या दूर करने के लिए चार नए ट्रांसफॉर्मर लगाए गए हैं।

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पंचायत में नल-जल योजना अंतिम पड़ाव में : मुखिया सारिका देवी ने कहा कि सरकार की योजनाएं कागज पर ही चल रही हैं। कबीर अंत्येष्टि, कन्या विवाह योजनाओं का लाभ लेने में पंच वर्षीय चुनाव तक गुजर जाते हैं। लेकिन सरकार की निगाह इस कोष पर नहीं है। प्रशासनिक तंत्र ख़ुद को स्वच्छ छवि वाले हो जाए तो पंचायत के विकास में कहीं कोई समस्या पैदा नहीं होगी। पंचायत में सोलिंग, मिट्टी भराई, नाला निर्माण के अलावा अपनी निधि से बिजली पोलों पर 125 सीएफएल (बल्ब)लगाया है। नल-जल योजना अंतिम पड़ाव में है।

चौपाल में रहे शामिल : मुखिया प्रतिनिधि सह पंचायत शिक्षक संजय पासवान, रफ आलम उर्फ मुन्ना, मो असलम, वार्ड सदस्य रंजीत कुमार, अशोक राय, मो. आमीर, सैयद फराद अहमद, मो. रफी आलम, मो. मुश्ताक, मो ग़ुलाम रसूल, मो मोईम, मो अब्दुल कुद्दुस, अमरजीत कुमार, मो सहवाज, मो अफताब शाह, मो अरवाब रजा, मो इंतखाब रजा।

पंचायत एक नजर में

पंचायत---- मोहम्मदपुर मोबारक

आबादी---- 16000

मतदाता-----7600

वार्ड---------15

आंगनबाड़ी केंद्र--13

जनवितरण दुकानदार--5

स्वास्थ्य केंद्र---- 1

सामुदायिक भवन 2

प्राथमिक विद्यालय--6

मध्य विद्यालय------3

हाई स्कूल ------1

श्मशान घाट----6

मंदिर--------7

मस्जिद-----4

बीपीएल---1900

पंचायत का इतिहास : पाच सौ वर्ष पूर्व प्रह्लादपुर के ठाकुर परिवार की जमींदारी थी। जमींदार परिवार के एकलौते संतान की अचानक तबीयत बिगड़ गई। ठाकुर परिवार ने अपनी हैसियत के अनुरुप दूर-दराज़ के वैद्य-हकीमों से इलाज़ कराया, लेकिन उसकी हालत दिनोंदिन नाजुक होती जा रही थी। उसी दौरान जमींदार के सिपाही मोहम्मदपुर जमीन-जायदाद को देखने आए थे। सूफी संत हुसैन से भेंट होने पर सिपाहियों ने परेशानी बताई। तब संत ने उसकी तबीयत ठीक हो जाने का वचन दे दिया। सिपाही ने लौट कर ठाकुर परिवार को यह बात कही। ठाकुर ने सिपाही को आदेश दिया कि संत को सम्मानपूर्वक प्रह्लादपुर लाया जाए। सिपाहियों के आग्रह पर संत आए तो उन्होंने ठाकुर को स्वयं कुएं से एक लोटा पानी लाने को कहा। संत ने लोटे के पानी को फूंक कर बालक को पिला दिया जिससे कुछ देर बाद वह चंगा हो गया। ठाकुर परिवार में खुशियां दौड़ गईं। जमींदार ने उन्हें कुछ मागने को कहा। संत ने कहा कि मुझे दो गज जमीन चाहिए, लेकिन इसके बदले मैं कुछ ताबे के पैसे दूंगा। जमींदार ने मान ली इनकी बात और दो गज जमीन की जगह सात सौ बीघा ताम्रपत्र पर लिखकर उन्हें दे दिया। यही जगह मोहम्मदपुर मोबारक पंचायत बनी। संत मोबारक हुसैन दो भाई थे जिसमें से एक भाई के नाम पर मुशहरी अंचल के अंतर्गत साढ़े तीन सौ बीघा के हसनचक बंगड़ा बस्ती बनी।


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