मुजफ्फरपुर में जलजमाव व जर्जर सड़क से परेशानी, सब कह रहे- अइसन में कइसे रहतइ लोग
आज भी लोग जलजमाव जर्जर सड़कें जाम व कूड़े-कचरे से निकलने वाली दुर्गंध से जूझ रहे हैं। इन दिनों स्थिति और भी नारकीय हो चुकी है। कई इलाकों में बीस दिनों से अधिक से जलजमाव है। पानी काला हो चुका है। संक्रमण का खतरा बढ़ गया है।
मुजफ्फरपुर, [ राकेश कुमार]। शहर को स्मार्ट सिटी घोषित हुए चार वर्ष बीत गए। फिर भी व्यवस्था स्मार्ट नहीं हो सकी। शहरवासियों को नेताजी, सफाई महकमा व योजना से जुड़ी एजेंसी के साहबों का स्मार्ट आश्वासन जरूर मिलता रहा। आज भी लोग जलजमाव, जर्जर सड़कें, जाम व कूड़े-कचरे से निकलने वाली दुर्गंध से जूझ रहे हैं। इन दिनों स्थिति और भी नारकीय हो चुकी है। कई इलाकों में बीस दिनों से अधिक से जलजमाव है। पानी काला हो चुका है। संक्रमण का खतरा बढ़ गया है। साफ-सफाई की स्थिति जस की तस है। घरों व गली-मुहल्लों का कचरा उठाकर सड़क किनारे डंप कर दिया जा रहा। दोपहर में उसका उठाव किया जाता। बारिश के मौसम में नाला व सड़क निर्माण के नाम पर पूरे शहर में खोदाई हुई है। लोग कह रहे पहले से भी स्थिति खराब हो गेलई ह। अइसन में कइसे रहतइ लोग।
यदा-कदा नजर आ रहे नेताजी
एक नेताजी का सफाई महकमे से लगाव जगजाहिर है। तभी तो चुनाव परिणाम के अगले ही दिन महकमे के कार्यालय पहुंच गए थे। अक्सर कार्यक्रमों या फिर जर्जर सड़कों का तो कभी नाला निर्माण कार्य का निरीक्षण करते दिख जाते। विकास को लेकर हमेशा बातें करते रहते। शहर के नारकीय हालात को लेकर विपक्ष के नेताजी उनके निशाने पर रहते थे। इन दिनों हल्की बारिश में ही शहर में जलजमाव हो गया। नाले का पानी घरों व दुकानों में प्रवेश कर रहा है। सामान बर्बाद हो रहा है। लोग घर छोड़ जा रहे हैं। जनता उनकी ओर समस्या से निजात के लिए टकटकी लगाए है, लेकिन वे...। जनता कह रही हमेशा दिखने वाले नेताजी इन दिनों यदा-कदा ही नजर आ रहे हैं। जिस समय लोगों को सबसे ज्यादा जरूरत है, उस वक्त कम ही दिखाई दे रहे। उनकी सुध लेने नहीं आ रहे। बेचारी जनता हाथ मल रही।
कोई पूछे तक न अइलक ह...
कुछ प्रखंडों में बाढ़ से तबाही मची है। हजारों लोग बेघर हुए हैं। कुछ बांध तो कुछ सड़कों के किनारे खुले आसमान के नीचे रहने को मजबूर हैं। खाने-पीने व पशु चारे की समस्या सामने खड़ी है। पेयजल के लिए काफी मशक्कत करनी पड़ रही। संबंधित विभाग ने कई जगहों पर पीडि़तों के लिए अब तक कोई व्यवस्था नहीं की है। लोग किसी तरह जिदंगी गुजारने को विवश हैं। कई इलाकों में सड़कें टूट चुकी हैं तो कई जगहों पर नाव ही आवागमन का साधन है। पर्याप्त संख्या में नाव की व्यवस्था नहीं है। लोग ओवरलोड यात्रा करने को विवश हैं। अगर किसी को इमरजेंसी पड़ जाए तो ...। सड़क किनारे रहने वालों के लिए सुरक्षा के कोई इंतजाम नहीं हैं। हमेशा दुर्घटना की आशंका बनी रहती है। पीडि़त लोग कह रहे व्यवस्था तो छोडि़ए, कोई पूछे तक न अइलक ह। जइसे-तइसे दिन कट रहल ह।
...तो तीसरी लहर में देर नहीं लगेगी
कोरोना संक्रमण का खतरा अभी टला नहीं है। हालांकि जिले में संक्रमितों की संख्या काफी कम है। इक्के-दुक्के मरीज अभी भी मिल ही रहे हैं। फिर भी लोग सचेत नहीं हो रहे। सभी स्तर पर लापरवाही बरती जाने लगी है। बिना मास्क के ही लोग बेधड़क घरों से निकलने लगे हैं। चौक-चौराहों व हाट-बाजारों में बेवजह भीड़ जुटने लगी है। शारीरिक दूरी व निर्धारित मापदंडों का पालन नहीं किया जा रहा। दुकानों में भी बिना मास्क के ही खरीदारी करते लोग नजर आ रहे। बसों व आटो में कोविड नियमों की अनदेखी की जा रही। निर्धारित संख्या से ज्यादा यात्रियों को बैठाया जा रहा। इन्हें कोई रोकने-टोकने वाला नहीं। नियम तोडऩे वालों के खिलाफ सख्ती व कार्रवाई के नाम पर सिर्फ खानापूरी हो रही है। यह देख नियमों का पालन करने वाले लोग कह रहे यही हाल रहा तो कोरोना की तीसरी लहर आने में देर नहीं लगेगी।