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जलवायु परिवर्तन को रोकना कृषि वैज्ञानिकों के समक्ष चुनौती Muzaffarpur News

राष्ट्रीय लीची अनुसंधान परिसर में समेकित पौध स्वास्थ्य प्रबंधन पर सेमिनार। 10 राज्यों के वैज्ञानिक हुए शामिल फल फसलों पर पेश किए 75 शोध।

By Ajit KumarEdited By: Published: Thu, 05 Sep 2019 09:58 AM (IST)Updated: Thu, 05 Sep 2019 01:45 PM (IST)
जलवायु परिवर्तन को रोकना कृषि वैज्ञानिकों के समक्ष चुनौती Muzaffarpur News
जलवायु परिवर्तन को रोकना कृषि वैज्ञानिकों के समक्ष चुनौती Muzaffarpur News

मुजफ्फरपुर, जेएनएन। राष्ट्रीय लीची अनुसंधान केंद्र मुशहरी के प्रांगण में समेकित पौध स्वास्थ्य प्रबंधन पर दो दिवसीय सेमिनार का आयोजन किया गया। आयोजन राष्ट्रीय लीची अनुसंधान केंद्र व चाई के संयुक्त तत्वावधान में किया गया। देश के 10 राज्यों उत्तरप्रदेश, मध्य प्रदेश, झारखंड, दिल्ली, महाराष्ट्र, हरियाणा, तेलांगना, बिहार, उड़ीसा, छत्तीसगढ़ व उत्तराखंड के वैज्ञानिकों ने इसमें अपने शोध पत्र को पेश किया। इसमें पांच पूर्व व वर्तमान कुलपति डॉ. अजय कुमार सिंह सबौर भागलपुर, पूर्व वीसी डॉ. गोपालजी त्रिवेदी, डॉ. ध्रुव घई इंदौर, डॉ. राजेश नंडाल, आरसी श्रीवास्तव राजेंद्र केंद्रीय कृषि विवि के अलावा चार निदेशक डॉ. जीबी रिटूरी, डॉ. केके कुमार, डॉ. जेएस मिश्रा, डॉ. एके मिश्रा शामिल हुए।

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 वैज्ञानिकों ने जलवायु परिवर्तन के कारण पौध स्वास्थ्य पर पड़ रहे कुप्रभाव को रोकने, बढ़ते तापक्रम को कम करने के प्रबंधन पर विस्तृत चर्चा की। वैज्ञानिकों ने कहा कि एक ओर सरकार किसानों की आय दोगुनी करने पर बल दे रही। वहीं दूसरी ओर जोत की जमीन घट रही है जबकि आबादी दिनोंदिन बढ़ रही है। इन दोनों पस्थितियों के बीच भी नीची भूमि एवं जलजमाव वाले भूमि मेें बागवानी फसलों को बढ़ावा देना होगा ताकि किसानों को सीधा लाभ मिले। वैज्ञानिकों ने कहा कि अनियमित फलन को रोकने के लिए उसके कारणों को जानना आवश्यक होगा। केंद ्रनिदेशक डॉ. विशाल नाथ ने कहा कि जबतक क्षत्रप प्रबंधन नहीं होगा, गुणवत्ता में अपेक्षित सुधार नहीं होगा। जिस कारण किसानों को लागत से कम लाभ मिलेगा।

 डॉ. आरके पटेल ने कहा कि जलवायु परिवर्तन में जल प्रबंधन की महत्वपूर्ण भूमिका है। पूरे विश्व की तुलना में भारत में सबसे कम कीटनाशक का प्रयोग होता है। बावजूद कीटनाशक के प्रयोग की जानकारी किसानों को नहीं है जिस कारण हमारा उत्पाद अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहुंचते- पहुंचते छंट जाता है और हमारे देश के किसानों को लाभ नहीं मिल पाता है। ग्रामीण क्षेत्र में महिलाओं व युवकों को रोजगार देने के लिए मशरूम व मत्स्य उत्पादन को बढ़ावा देना जरूरी है।  


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