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नेट-जेआरएफ व प्रशासनिक प्रतियोगी परीक्षाओं की निशुल्क तैयारी करा रहे डॉ.दिलीप

जिले के आगानगर में रहने वाले समस्तीपुर कॉलेज समस्तीपुर में राजनीति विज्ञान के सहायक प्राचार्य डॉ.दिलीप कुमार छात्र-छात्राओं को प्रशासनिक और प्रतियोगी परीक्षाओं की निशुल्क तैयारी करा रहे हैं।

By JagranEdited By: Published: Tue, 01 Jun 2021 04:13 AM (IST)Updated: Tue, 01 Jun 2021 04:13 AM (IST)
नेट-जेआरएफ व प्रशासनिक प्रतियोगी परीक्षाओं की निशुल्क तैयारी करा रहे डॉ.दिलीप
नेट-जेआरएफ व प्रशासनिक प्रतियोगी परीक्षाओं की निशुल्क तैयारी करा रहे डॉ.दिलीप

मुजफ्फरपुर : जिले के आगानगर में रहने वाले समस्तीपुर कॉलेज समस्तीपुर में राजनीति विज्ञान के सहायक प्राचार्य डॉ.दिलीप कुमार छात्र-छात्राओं को प्रशासनिक और प्रतियोगी परीक्षाओं की निशुल्क तैयारी करा रहे हैं। 1990 बैच के जेआरएफ के टॉपर रहे डॉ.दिलीप यूजीसी नेट-जेआरएफ के साथ ही यूपीएससी व बीपीएससी समेत अन्य परीक्षाओं की तैयारी कर रहे विद्यार्थियों का कोरोना काल में ऑनलाइन मार्गदर्शन कर रहे हैं। इनके मार्गदर्शन में दर्जनों प्रतिभागियों ने नेट व अन्य प्रतियोगी परीक्षाओं में सफलता प्राप्त की है। उन्होंने बताया कि कोरोना काल में बच्चे पढ़ाई से दूर नहीं हों इसको लेकर उन्होंने दो से तीन कक्षाएं प्रतिदिन ऑनलाइन शुरू की हैं। इसमें खासकर ग्रामीण इलाके से जुड़े गरीब और मध्यमवर्ग के विद्यार्थी शामिल होते हैं। विद्यार्थियों को छूट है कि वे कभी किसी भी टॉपिक से समस्या होने पर बेझिझक वाट्सएप व मोबाइल पर सवाल पूछ सकते हैं। प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी करने वाले विद्यार्थियों को उन्होंने कुछ टिप्स दिए हैं। प्रतिदिन छह-सात घंटे अध्ययन जरूरी :

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डॉ.दिलीप ने कहा कि विगत दो-तीन वर्षों से प्रतियोगी परीक्षाओं में प्रश्नों का स्वरूप जटिल और गूढ़ हो गया है। ऐसे में बिना छह-सात घंटे प्रतिदिन अध्ययन किए सफल हो पाना मुश्किल है। इस अवधि में राजनीति विज्ञान के मानक पुस्तकों का अध्ययन करना होगा। खासकर नेट की परीक्षा में बीते वर्षों में सामुदायिकतावाद, नवउदारवाद, नवमा‌र्क्सवाद, इतिहास का अंत, विचारधारा का अंत, बहु संस्कृतिवाद, आधुनिकतावाद व उत्तरआधुनिकतावाद जैसे टॉपिक से सवाल पूछे गए हैं। पुरानी पुस्तकों में इन टॉपिक का जिक्र नहीं है। नई जो पुस्तकें आ रही हैं उनमें अधिकतर अंग्रेजी में हैं इस कारण प्रतिभागियों को परेशानी हो रही है। विद्यार्थी यदि राजनीतिक विकास, राजनीतिक अल्प विकास, राजनीतिक अभिजन, राजनीतिक संस्कृति, राजनीतिक आधुनिकीकरण, राजनीतिक संचार आदि विषयों का गहनता से अध्ययन करें तो इससे चार-पांच सवाल आसानी से हल किए जा सकते हैं। पॉलिटिकल थॉट में प्लोटो, अरस्तु, रूसो, बेन्थम, मा‌र्क्स आदि के अध्ययन से सवालों को हल करने में आसानी होगी। अंतरराष्ट्रीय संबंधों में यथार्थवादी सिद्धांत, नवयथार्थवादी सिद्धांत, संरचनावादी सिद्धांत, उत्तर संरचनावादी सिद्धांत, उदारवादी, नवउदारवादी, और नारीवादी सिद्धांत जैसे प्रमुख पाठ का अध्ययन उपयोगी होगा। लोक प्रशासन में सभी पाठों का अध्ययन जरूरी नहीं :

विद्यार्थियों को प्रतियोगिता की दृष्टि से लोक प्रशासन के मुख्य पाठों का ही अध्ययन करना चाहिए। टेलर का सिद्धांत, हरबर्ट-साइमन, चेस्टर बर्नार्ड, एफडब्ल्यू रिग्स व व्यवहारवादी सिद्धांत का अध्ययन करें तो इसमें से कई सवालों को हल कर सकते हैं। राजनीतिक सिद्धांत को समझने के लिए एसपी वर्मा की पुस्तक, राजनीतिक विचारों के लिए सेबाइन एंड जेपी सूद की पुस्तक, अंतरराष्ट्रीय संबंध और संगठन में महेंद्र कुमार, राजनीतिक समाजशास्त्र में जेसी जौहरी, भारतीय संविधान में तपन विश्वास व लोक प्रशासन में मोहित भट्टाचार्य की पुस्तकें उपयोगी हैं।


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