अब रेल परिचालन की दिशा में क्रांति लाने की तैयारी, ISRO के उपग्रह से जुड़ेंगी ट्रेनें, ये होंगे फायदे
पूर्व मध्य रेलवे के 172 इलेक्ट्रिक इंजनों में लगाया जा रहा यह सिस्टम। एस बैंड मोबाइल सेटेलाइट सर्विस से ट्रेनों की जानकारी सेंट्रल लोकेशन सर्वर को मिलेगी।
समस्तीपुर, [प्रकाश कुमार]। ट्रेनों की सही लोकेशन नहीं मिलने के कारण होने वाली परेशानियों से यात्रियों को निजात मिल जाएगी। अब वे ट्रेनों की रियल टाइम स्थिति जान सकेंगे। इसके लिए रेलवे इंजनों में आधुनिक जीपीएस (ग्लोबल पोजिशनिंग सिस्टम) लगा रहा है। यह सीधे भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के सेटेलाइट से जुड़ा रहेगा।
पूर्व मध्य रेलवे में ट्रेन परिचालन संबंधी सटीक सूचना के लिए ट्रेनों को इसरो के जीएसएटी उपग्रह से जोड़ा जा रहा है। इसके लिए इंजन में रियल टाइम ट्रेन इन्फॉर्मेशन सिस्टम लगाए जा रहे हैं। इसके तहत ट्रेन के आने की सूचना कंट्रोल चार्ट में दर्ज करने के लिए इसरो के बनाए गए गगन जियो पोजिशङ्क्षनग सिस्टम का उपयोग किया जाएगा। इस सिस्टम से ट्रेन के आगमन, प्रस्थान, तय की गई दूरी, निर्धारित ठहराव और सेक्शन के बीच की ताजा जानकारी इसरो के एस-बैंड मोबाइल सेटेलाइट सर्विस (एमएसएस) से सेंट्रल लोकेशन सर्वर को मिलेगी। पूर्व मध्य रेलवे के सीपीआरओ राजेश कुमार ने बनाया कि 172 इलेक्ट्रिक इंजनों में यह सिस्टम लगाया जा रहा है। 162 में लग चुका है। अन्य में शीघ्र ही लग जाएगा। यह काम डीजल शेड और लोको वर्कशॉप में चल रहा है।
स्मार्ट फोन पर मिल जाएगी सूचना
कोहरे के कारण होने वाली असुविधा से निपटने के लिए रेलवे ने कमर कस लिया है। साथ ही ट्रेन समय से चले, इसके लिए भी खास इंतजाम किए गए हैं। ट्रेन लेट होने की स्थिति में उसकी सही लोकेशन और स्टेशन पर पहुंचने का संभावित समय यात्रियों को उसके स्मार्ट फोन पर भेजा जाएगा। इससे वे परेशानी से बच जाएंगे। सबसे बड़ी बात यह कि ट्रेन रनिंग स्टेटस पर ट्रेन की लोकेशन देखने की जरूरत नहीं पड़ेगी।