Positive India: चार योद्धाओं के संकल्प से हार रहा कोरोना, लॉकडाउन में भूखों-प्यासों को दे रहे भोजन व जल
Positive India बिहार के चार युवा कोरोना से बचाव के लिए लोगों को जागरूक कर रहे हैं। साथ ही वे आपदा की इस घड़ी में भूखे-प्यासे लोगों के लिए भोजन-पानी की व्यवस्था भी कर रहे हैं।
मधुबनी, राघवेंद्र झा। कोरोना के संकट की घड़ी में बिहार के मधुबनी में चार युवा भूखे-प्यासे लोगों को भोजन व पानी उपलब्ध करा रहे हैं। इसके लिए प्रतिदिन मालवाहक ऑटो में खाना व पानी लेकर मधुबनी के जयनगर के विभिन्न इलाकों में जाते हैं। इस पर आने वाला खर्च मिलकर वहन करते हैं। साथ ही वे कोरोना सं बचाव के लिए लोगों को जागरूक भी करते चलते हैं। इन युवाओं ने संकल्प लिया है कि लॉकडाउन तक उनका अभियान जारी रहेगा।
गरीब-असहाय लोगों की मदद को बढ़ाए हाथ
होटल चलाने वाले गोपाल पूर्वे, मिठाई की दुकान के संचालक सोनू महथा, राकेश कुमार व व्यवसायी शिपू कुमार का काम लॉकडाउन के चलते बंद हो गया। इससे उनके कारीगर बेरोजगार हो गए। इसे देखते हुए उन्होंने निर्णय लिया कि क्यों न इन्हीं कारीगरों से भोजन बनवाकर गरीबों में बांटा जाए। इससे कारीगरों की रोजी-रोटी भी चलती रहेगी और गरीब-असहाय लोगों की मदद भी होती रहेगी।
रोजाना तीन सौ लोगों को करा रहे भोजन
फिर क्या था, 30 मार्च से इसकी शुरुआत हो गई। इस मुहिम को इन लोगों ने 'हम और आप अभियान' नाम दिया। प्रशासन की अनुमति से मालवाहक ऑटो में खाना व पानी लेकर चल दिए। पहले दिन 221 लोगों को भोजन कराया। अब यह आंकड़ा प्रतिदिन करीब तीन सौ हो गया है। ये लोग गाड़ी लेकर निकलते हैं तो रास्ते में जो भी भूखा मिलता है उसे खाना व पानी देते हैं। झुग्गी-झोपड़ी, मलिन बस्ती में भी पहुंचते हैं।
सुविधा के लिए जारी किए दो मोबाइल नंबर
अभियान के तहत युवाओं ने दो मोबाइल नंबर भी जारी किए हैं। जरूरतमंद इन नंबरों पर फोन करते हैं तो उन तक भोजन पहुंचाते हैं।
कोरोना संक्रमण से बचाव के लिए करते प्रचार
इतना ही नहीं, ये लोग कोरोना से बचाव के लिए प्रचार भी करते हैं। लोगों से बार-बार साबुन से हाथ धोने, भीड़ में नहीं जाने और घर में रहने आदि की अपील करते हैं। जरूरतमंदों को हाथ धोने के लिए साबुन देते हैं। खाना बनाने से लेकर इसके वितरण में सफाई व फिजिकल डिस्टेंसिंग का पूरा ख्याल रखते हैं।
खुद ही मिलकर खर्च वहन करते चारों युवा
गोपाल पूर्वे, सोनू महथा, राकेश कुमार व शिपू कुमार का कहना है कि प्रतिदिन छह से सात हजार रुपये खर्च होते हैं, जिसे वे लोग मिलकर वहन करते हैं। संकट की इस घड़ी गरीबों और जरूरतमंदों की मदद से बड़ा कोई कार्य नहीं।
लोगों के साथ प्रशासन की भी मिल रही सराहना
उनके अभियान को आम लोगों के साथ प्रशासन भी सराह रहा है। मधुबनी के जयनगर की बीडीओ कुमारी चंद्रकांता का कहना है कि भूखे को खाना खिलाना व प्यासे को पानी पिलाना मानवता का सबसे बड़ा धर्म है।यह सराहनीय कार्य है।