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मधुबनी में संसाधनों के अभाव में स्वास्थ्य सेवाओं से वंचित हो रही पांच लाख की आबादी

मधुबनी जिले का बेनीपट्टी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र भगवान भरोसे ही हा है। यहां पहुंचने वाले मरीज हलकान होा रहे हैं। यहां चिकित्सक और कर्मियों के कई पद रिक्त पड़े हैं। यहां धाओं का घोर अभाव बना हुआ है।

By Vinay PankajEdited By: Published: Wed, 06 Jan 2021 03:57 PM (IST)Updated: Wed, 06 Jan 2021 03:57 PM (IST)
मधुबनी में संसाधनों के अभाव में स्वास्थ्य सेवाओं से वंचित हो रही पांच लाख की आबादी
बेनीपट्टी प्रखंड स्थित प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र का भवन

 मधुबनी, जागरण संवाददाता। एक तरफ सरकार आम लोगों को बेहतर स्वास्थ्य सुविधाओं पर जोर दे रही है, वहीं दूसरी ओर संसाधनों के अभाव में लोग इन सेवाओं से वंचित हो रहे हैं। यही हाल है जिले के बेनीपट्टी प्रखंड स्थित प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र का। इस केंद्र पर करीब पांच लाख की आबादी स्वास्थ्य सेवाओं के लिए निर्भर करती है। लेकिन, इस स्वास्थ्य केंद्र पर संसाधनों के अभाव के कारण लोगों को समुचित स्वास्थ्य सेवाएं नहीं मिल पा रही। इसके कारण मरीजों को कई परेशानियां झेलनी पड़ रही हैं।

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एएनएम व ममता के बूते होता प्रसव :

पीएचसी बेनीपट्टी में प्रतिदिन 150 से 200 तक मरीज चिकित्सा के लिए आते हैं। बीमार मरीज 25 से 30 किलोमीटर की दूरी तय कर प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र इलाज के लिए पहुंच रहे हैं, लकिन पीएचसी में संसाधनों की घोर कमी के कारण उन्हें निराशा ही मिलती है। चौकानें वाली बात यह भी है कि महिला चिकित्सक नही रहने के कारण गर्भवती का इलाज व प्रसव एएनएम व ममता के बूते चल रहा है। महिला चिकित्सक की कमी के कारण महिला मरीजों को परेशानी का दंश झेलना पड़ता है। ओपीडी में 33 में 28 दवा उपलब्ध हैं, जबकि इंडोर में 112 में 80 दवा उपलब्ध हैं।

स्वास्थ्य कर्मियों के कई पद रिक्त :

पीएचसी में पांच चिकित्सक हैं, जिसमें अनुमंडलीय अस्पताल के दो विशेषज्ञ चिकित्सक को पीएचसी में प्रतिनियुक्त किया गया है। तीन एएनएम हैं। ड्रेसर व फर्मासिस्ट का पद रिक्त है। जांच के नाम पर कोरोना, खखार, टीवी, एचआईवी, गर्भवती महिलाओं के लिए शुगर, मलेरिया, कालाजर, की जांच की जाती है। साथ ही पीएचसी में एक्स-रे की सुविधा उपलब्ध है। बीएचडब्लू में 11 पद स्वीकृत हैं, जिसमें तीन बीएचडब्लू कर्मी है। फर्मासिस्ट के चार पद रिक्त हैं। विशेषज्ञ चिकित्सक का घोर अभाव है। इंडोर रोगी के लिए जगह की कमी है।

जर्जर भवन में चल रहा पीएचसी :

पीएचसी में चिकित्सक एवं स्वास्थ्य कर्मी के लिए आवास की व्यवस्था नहीं है। पीएचसी का कार्यालय जर्जर व क्षतिग्रस्त भवन में चल रहा है जो कभी भी धराशायी हो सकता है। बंध्याकरण के दौरान मरीजों की संख्या अधिक हो जाने के कारण बरामदे के फर्श एवं टेंट में मरीजों को रखा जाता है। पीएचसी के प्रसव कक्ष एवं मरीज कक्ष में साफ-सफाई तो देखी गई, लेकिन शौचालय का घोर अभाव है। पीएचसी के परिसर में एक भी शौचालय नहीं है।

प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी डॉ. शंभु नारायण झा का कहना है कि पीएचसी की समस्या के संबंध में विभाग को रिपोर्ट भेज दी गई है। जो संसाधन उपलब्ध हैं, उसी के सहारे मरीजों को बेहतर सुविधा प्रदान करने की कोशिश की जा रही है।


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