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मुजफ्फरपुर में समाप्त हो गए पोखर-तालाब, पानी की दोहरी मार झेल रहे शहरवासी

बारिश का पानी पोखर व तालाब में संचित नहीं होने से भू-जल स्तर गिर जाता है और लोगों को पानी की कमी का सामना करना पड़ता है। इस प्रकार शहरवासियों को पानी की दोहरी मार झेलनी पड़ती है। जरूरी है कि सभी पोखर-तालाब व सिकंदरपुर मन को बचाया जाए।

By Ajit KumarEdited By: Published: Sat, 29 May 2021 11:47 AM (IST)Updated: Sat, 29 May 2021 11:47 AM (IST)
मुजफ्फरपुर में समाप्त हो गए पोखर-तालाब, पानी की दोहरी मार झेल रहे शहरवासी
पोखर-तालाब में संचित होता था बारिश का पानी, नहीं होता था जलजमाव।

मुजफ्फरपुर, जासं। पोखर-तालाब एवं प्राकृतिक जलस्रोतों के समाप्त होने से शहरवासी पानी की दोहरी मार झेल रहे हैं। पहले बारिश का इनमें संचित हो जाता था। इससे न सिर्फ सालों पर धरती की प्यास बुझती थी, बल्कि भू-जल स्तर भी नहीं गिरता था। बारिश होने पर पानी पोखर व तालाब में चले जाने से जलजमाव भी नहीं होता था। इनके नहीं रहने से बारिश का पानी या तो नालियों से बहकर शहर से बाहर चला जाता है या क्रंकीट की सड़क पर कई दिनों तक जमा रहता है। इससे लोगों को जलजमाव की पीड़ा झेलनी पड़ती है। दूसरी ओर बारिश का पानी पोखर व तालाब में संचित नहीं होने से भू-जल स्तर गिर जाता है और लोगों को पानी की कमी का सामना करना पड़ता है। इस प्रकार शहरवासियों को पानी की दोहरी मार झेलनी पड़ती है। जरूरी है कि शहर के सभी पोखर-तालाब व सिकंदरपुर मन को बचाया जाए। तभी हमें इस दोहरी मार से मुक्ति मिलेगी। दैनिक जागरण के सहेज लो हर बूंद अभियान को लेकर प्रबुद्ध लोगों से चर्चा के दौरान ये बात सामने आईं।

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समाजसेवी मनीष कुमार ने कहा कि शहर में पहले दो दर्जन से अधिक पोखर व तालाब थे। सिकंदरपुर मन का विस्तार दूर तक था। बारिश होने पर उसका सारा पानी पोखर-तालाब व मन में चला जाता था। इससे शहर में जलजमाव की समस्या नहीं होती थी। साथ ही नाला का पानी फरदो नदी या बूढ़ी गंडक में चला जाता था। इस प्रकार हर साल वर्षा जल का संचय होता था, लेकिन अब ऐसा नहीं होता। वही समाजसेवी पंकज ङ्क्षसह ने कहा कि बरसात में सदर अस्पताल में जलजमाव हो जाता है। यदि अस्पताल परिसर में दो दर्जन सोख्ता बना दिए जाएं तो न सिर्फ जलजमाव की समस्या से निजात मिल जाएगा, बल्कि जमीन की प्यास भी बुझेगी। ऐसा ही प्रयोग स्कूल-कॉलेजों में होना चाहिए। मनोरंजन कुमार ने कहा कि बारिश के पानी को संचित करने के लिए शहर में मृत पड़े कुओं को ङ्क्षजदा कर सोख्ता के रूप में इस्तेमाल किया जाना चाहिए। इसके के लिए प्रशासनिक स्तर पर प्रयास होने चाहिए। 


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