'जहर ' खत्म करने को विषधर का पालन, रक्षा में तत्पर रहते उनके पालनहार
VTR में वाइपर कोबरा समेत अजगर की कई प्रजातियां। इनकी देखरेख के लिए बहाल कर्मी उपकरण के साथ हमेशा तत्पर रहते हैं।
पश्चिम चंपारण, [सुनील आनंद] । सांप जैव चक्र की मुख्य कड़ी है। ये बड़ी संख्या में फसलों को नुकसान पहुंचाने वाले चूहों व अन्य जीवों को खाकर प्रकृति व मनुष्य को फायदा पहुंचाते हैं। इनके नहीं रहने या संख्या कम होने पर इस चक्र में गड़बड़ी होने लगती है। बावजूद इन्हें मारा जा रहा। इंसानों के दुश्मन के रूप में पेश किया जाता है। यह गलत है।
बरसात के दिनों में बचाने की जरूरत
यही वजह है कि भारत- नेपाल सीमा पर अवस्थित वाल्मीकि व्याघ्र परियोजना (वीटीआर) के जंगल में सांपों का संसार है। जिसके दस पालनहार भी हैं। ये सभी संविदाकर्मी हैं। जो हर तरह से इसका ख्याल रखते हैं। वैसे आम दिनों में तो इसकी जरूरत नहीं पड़ती। लेकिन, बरसात के दिनों में सांपों की जिंदगी बचाने के लिए ये लोग जान की बाजी लगा देते हैं। जंगल से भटक कर रिहायशी इलाके में पहुंचने वाले सांपों को पकड़ने की जिम्मेदारी इनकी है। इसके लिए इनको जीव जंतु विशेषज्ञ प्रशिक्षण देते हैं। साथ में उपकरण भी दिया जाता है। एक फोन कॉल पर ये सांप को पकड़ने के लिए पहुंच जाते हैं।
सांपों को मार रहे लोग
हाल में वीटीआर में सांपों की संख्या भी बढ़ी है। इसके फायदे को देखते हुए देश-दुनिया में सांपों के संरक्षण को लेकर जागरूकता अभियान चलाए जा रहे। बावजूद सांपों पर कभी तस्कर तो कभी आम इंसानों की कुदृष्टि ऐसी पड़ती है कि उनका पूरा कुनबा ही खत्म हो जाता। अभी हाल में जिले के गौनाहा थाना क्षेत्र के तारा बसवरिया गांव में एक घर में एक - एक कर 36 विषधर सांपों को ग्रामीणों ने मार डाला। दरअसल, घर में पहले एक सांप निकला। खोदने पर पता चला कि यहां 36 कोबारा है। ग्रामीणों ने सबों को लाठी से मार डाला।
जहरीला कोबरा भी डरता है इंसान से
जिसके डंसने मात्र से बड़े - बड़े जानवरों की मौत हो जाती है। वह भी इंसान से डरता है। सांप तब तक नहीं डंसते, जब तक इन्हें छेड़ा ना जाए या फिर गलती से पैर न पड़ जाए। वह आदमी से खुद डरता है। अगर, कहीं सामना हो जाता है तो अपनी सुरक्षा के लिए भागता है या फिर डंस लेता है।
सांपों का दिखना शुभ लक्षण
आचार्य पं. मनुदेव मणि त्रिपाठी बताते हैं कि सांप यमराज का दूत होता है। वह तभी किसी को डंसता है जब उसकी मौत निश्चित होती है। अन्यथा सांप इंसान के करीब भी नहीं आता। धर्मशास्त्र में सांपों का दिखना शुभ भी माना गया है। धामिन प्रजाति का सांप अगर दिख जाए तो उससे धन संपदा की वृद्धि होती है। इसी तरह नाग- नागिन को भी एक साथ देखना तरक्की का सूचक है। कभी - कभी राह चलते सांप दिख जाते हैं। ऐसा लगता है कि वे रास्ते को काट कर निकल गए। ऐसे में अगर किसी शुभ कार्य के लिए जा रहे हैं तो उस दिन काम को स्थगित कर देना चाहिए।
जहरीले व विषहीन सर्पदंश की पहचान
दिल्ली में जीव - जंतु विज्ञान के छात्र सुजीत कुमार का कहना है कि सभी सांप जहरीले नहीं होते। इसको पहचानना आवश्यक होता है। जहरीले सांप के डंसने से त्वचा पर एक या दो गहरे विषदंत के निशान बनते हैं।खून निकलता दिखता है। विषहीन सांप के डंसने पर विषदंत का निशान नहीं बनता। दांतों के निशान छोटे व एक समान दिखते हैं। सांप के काटने के बाद अधिकांश लोग झाड़-फूंक कराने लगते हैं। यह अंधविश्वास है। विषैले सांप काटने पर तत्काल चिकित्सक से मिलें। एंटी स्नेक वेनम का इंजेक्शन लगवा लें।
बरसात के दिनों में सांपों पर आफत
वीटीआर में बरसात के दिनों में वन गश्ती कम होती है। बारिश व बाढ़ की वजह से वनकर्मी सभी क्षेत्रों में जा नहीं पाते हैं। ऐसे में सांपों पर तस्करों की नजर भी रहती है। हालांकि बरसात के मौसम में विष की थैली परिपक्व होती है। वीटीआर में वाइपर, कोबरा समेत अजगर की प्रजातियां बहुतायत हैं। सर्दी के दिनों में सांप लंबी शीत-निद्रा की अवस्था होते हैं। गर्मी के बाद बारिश में उनमें वयस्कता आती है। बाहर विचरण करते हैं। ऐसे में घात लगाए शिकारी सांपों को जाल में फांस लेते हैं। उनके विष और त्वचा को निकालकर यूरोपीय देशों तक पहुंचाते हैं।