Samastipur News: पूछती है जनता कब खुलेगा चीनी मिल, जूट मिल का सितंबर में बजा था भोंपू फिर हुआ बंद
Samastipur News सितंबर में बजा था भोंपू फिर हुआ बंद 25 वर्ष पहले समस्तीपुर में बंद हुई थी चीनी मिल। बिक गया चीनी मिल जूट मिल की हालत भी भयावह । पूछती है जनता कब खुलेगा मिल
समस्तीपुर, जेएनएन। वर्षों से बंद समस्तीपुर चीनी मिल और मुक्तापुर जूट मिल। चुनावी वादों और दावों की पोल खोल रही है। हर चुनाव में किसानों और बेरोजगारों के हित में इन्हें चालू कराने के वादे किए जाते, लेकिन जीत के बाद मजबूरियों का हवाला भी दिया जाता है। इस बार भी मुद्दों के हवाले से इन मिलों का जिक्र छिड़ा है। उद्योग धंधों की कमी, कृषि प्रधान जिले में कृषि संबंधी बाजार और इसका हब बनाए जाने की आस लिए इस बार भी मतदाता वोट के लिए हुंकार भर रहे हैं। प्रत्याशियों के गुण-दोष बहस का हिस्सा बने हैं। लोग स्थानीय मुद्दों को नकारते हुए देश स्तर पर ही इस चुनाव के संपन्न होने की बात कह रहे।
उपेक्षा की शिकार हो गई जूट मिल
उत्तर बिहार का इकलौता जूट मिल छह जुलाई 2017 से बंद है। कल्याणपुर के विधायक सह उद्योग मंत्री महेश्वर हजारी ने 12 सितंबर को भोंपू बजाकर इसकी शुरुआत की घोषणा भी की। लेकिन आजतक यह चल नहीं सकी। इससे तकरीबन 3700 से अधिक श्रमिक और कर्मी अभी भी बेरोजगार हो गए हैं। श्रमिकों का कहना है कि जब भी बाजार में किसी तरह की समस्या उत्पन्न होती है, प्रबंधन किसी न किसी बहाने मिल बंद कर देता है। पीएफ सहित अन्य मद में श्रमिकों का लाखों का बकाया है।
हालाकि प्रबंधन भी सरकार के यहां बकाये का दावा करता रहा है। मुक्तापुर में 84 एकड़ रकबा में स्थित रामेश्वर जूट मिल की स्थापना 1926 में हुई थी। दरभंगा महाराज कामेश्वर ङ्क्षसह ने अपने पिता रामेश्वर ङ्क्षसह के नाम पर इसे खोला था। 1954 तक दरभंगा महाराज ने चलाया। इसके बाद 76 तक मेसर्स बिरला ब्रदर्स ने चलाया। 1976 में एमपी बिरला ने इसका अधिग्रहण कर लिया। 1986 से मिल का स्वामित्व विल्सन इंडिया के पास था। इसके बाद फिर प्रबंधन में बदलाव हुआ। 125 करोड़ का सालाना कारोबार करने वाली मिल में आज तालाबंदी है। प्रबंधन का कहना है कि उसके उत्पाद का बकाया सरकार ने नहीं लौटाया।
सरकार ने त्याग दिया दोबारा चलाने का निश्चय
समस्तीपुर के लिए लाइफ लाइन मानी जानेवाली चीनी मिल वर्ष 1995 में बंद हो गई। राज्य सरकार ने 2006 में वारिसलीगंज के अलावा बनमनखी, हथुआ, गुरारू, गोरौल, सिवान, समस्तीपुर और लोहट चीनी मिल को दीर्घकालिक लीज पर चलाने के लिए निजी निवेशकों से टेंडर भी मंगाए, लेकिन ऐसा कोई सामने नहीं आया। इस कारण इन्हें चलाने का निश्चय सरकार ने त्याग दिया। बाद के दिनों में इस मिल की संपत्ति व जमीन को नीलाम किया जाने लगा। इसमें समस्तीपुर चीनी मिल की जमीन भी नीलाम हो गई। नीलामी की पूरी राशि का भुगतान नहीं किया गया। इस कारण आज भी मजदूरों के बकाए का भुगतान नहीं हो पाया।