मुंबई के लोग लेंगे मुजफ्फरपुर की लीची का आनंद, ऐसे संभव हुआ यह सब
तीन साल बाद इस बार पवन एक्सप्रेस से मुंबई जाएगी लीची की खेप। सांसद अजय निषाद की पहल पर बनी नई व्यवस्था किसानों को जगी उम्मीद। लीची टास्क फोर्स को इस साल सक्रिय करने की लीची उत्पादक संघ ने रखी मांग।
मुजफ्फरपुर, जागरण संवाददाता। मुंबई के लोग इस बार मुजफ्फरपुर की लीची का स्वाद चखेंगे। अब ट्रेन से मुंबई पहुंचेगी लीची की खेप। बिहार लीची उत्पादक संघ के अध्यक्ष बच्चा प्रसाद सिंह ने बताया कि 2017 तक मुजफ्फरपुर की लीची पवन एक्सप्रेस से मुंबई जाती रही, लेकिन उसके बाद बंद हो गई। सांसद अजय निषाद की पहल पर इस बार नई व्यवस्था शुरू हो रही है। सांसद के प्रति आभार जताते हुए कहा कि इस बार लीची उत्पादक किसानों को इससे काफी सहूलियत होगी। अध्यक्ष ने कहा कि 20 मई से लेकर 12 जून तक पवन एक्सप्रेस में उच्च क्षमता वाला पार्सल वैन लगाया जाएगा। इसके लिए वह अपने संगठन की ओर से किसान हित में पंजीकरण कराए हैं।
लीची किसानों को सुविधा दे जिला प्रशासन
अध्यक्ष ने कहा कि गत वर्ष कोविड काल में लीची की तोड़ाई एवं विपणन के लिए जिलाधिकारी की ओर से उप विकास आयुक्त की अध्यक्षता में लीची टास्क फोर्स का गठन किया गया था जिस कारण संपूर्ण लॉकडाउन में भी किसानों ने लीची तोड़ा व उसकी बिक्री हुई। कोई समस्या नहीं आई।बताया कि लीची तुड़ाई में पचास से अधिक श्रमिक एक साथ कार्य करते हैं और छोटे छोटे वाहनों से देर रात तक लोङ्क्षडग प्वाइंट पर भेजकर वहां से बड़े वाहनों द्वारा महानगर में भेजा जाता है। उन्होंने जिलाधिकारी से टास्क फोर्स गठित करने के लिए टेलीफोन से संपर्क किया। ङ्क्षसह ने कहा कि नए जिलाधकारी भी सहयोग को तैयार हैं।
कोरोना काल में मजदूरी नहीं मिलने से मजदूर बेहाल
पारू (मुजफ्फरपुर), संस : कोरोना काल में मजदूरी नहीं मिलने से मजदूर बेहाल हैं। मनरेगा योजना से मजदूरों को रोजगार देने की योजना का मशीनीकरण कर दिया गया है। वहीं, कोरोना से बचाव के लिए सरकार ने बहुत सारे कार्य पर बंदिश लगा दी है, जिससे रोजगार भी छीन गया है। सैकड़ों मजदूर विभिन्न प्रदेशों से गांव लौट गए हैं जो रोजगार की तलाश में भटक रहे हैं। पहले बड़े और मझोले किसानों को गेहूं कटाई के लिए मजदूरों की जरूरत होती थी, लेकिन अब मजदूरों की जगह मशीनों ने ली है। यही वजह है कि इस साल गेहूं कटाई के लिए मजदूरों की जगह मशीनों ने काम किया जिसेसे मजदूरों को काम नहीं मिल पा रहा है। वहीं, पहले मजदूरों के रोजगार के लिए चिमनी भटठा भी एक बड़ा अवसर माना जाता था। एक हजार र्इंट निर्माण में एक मजदूर को पसीने छूट जाते थे, लेकिन अब उस जगह मिट्टी की तैयारी मशीन से कराकर रोजगार और समय के अवसर को कम कर दिया गया है।